अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
सूरजकुंड : 33वें अन्तर्राष्टीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की बड़ी चौपाल में मंगलवार की शााम राजस्थानी लोक नृत्य व मन लुभावन गीतों के नाम रही। राजस्थानी माटी की खुशबू समेटे मनलुभावन लोक गीतों की बहार में पर्यटक इस कदर खोये की समय का ध्यान नदारद हो गया। कलाकारों ने भी केसररिया बालम आओ नी गाकर दर्शकों को झुमने पर मजबूर कर दिया। इस रंगीली शाम की शुरूआत राजस्थान पर्यटन विभाग की अतिरिक्त निदेशक गुणजीत कौर ने दीप प्रव्वजलित कर के की । इस अवसर पर हरियाणा पर्यटन विभाग की अतिरिक्त निदेशक अनीता मलिक, राजस्थान पर्यटन विभाग की एडी सुनीता मीणा, एडी छत्रपाल सिंह, एडी आरके सैनी, एटीओ मनोज शर्मा, सूरजकुंड पर्यटन अधिकारी राजेश जून भी मौजूद थे।
सांस्कृतिक संध्या में राजस्थान की घोड़ी, रंगीला राजस्थान, मेरे रस के कमल, चरी नृत्य, भपंग वादन या दुनिया में हो रही टर ही टर, चरकुला नृत्य, चकरी नृत्य, घुमर नृत्य, राजस्थान का सुप्रसिद्घ कालबेलिया नृत्य तथा अंत में मयूर नृत्य व फूलों की होली मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके पर्यटकों का मनमोह लिया। दिन में मेले की छोटी चौपाल नम्बर-2 पर दिनभर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हरियाणा के अम्बाला जिला के कलाकारों ने पंजाबी गीतों, राजस्थान के कलाकारों ने राजस्थानी चक्री संगीत, कच्ची घोड़ी पंजाब के पटियाला जिला के पुलिस कलाकारों ने पंजाबी गीतों व नृत्य, महाराष्ट्र प्रांत के कलाकारों ने महाराज वीर शिवाजी की गाथाओं को कॉनवाडा संगीत के माध्यम से गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को उनके साथ नाचने व गाने पर महबूर कर दिया।