अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के सेक्टर-93 ए स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ट्विन टावर का 40 मंजिल का नक्शा नोएडा से पास होने के दौरान जो भ्रष्टाचार हुआ है उसकी जांच कीजिए मुख्यमंत्री के आदेश पर एसआईटी की टीम का गठन किया गया है, यह टीम आज नोएडा प्राधिकरण पहुंची और जांच का काम शुरू कर दिया।एसआईटी के सवालों का जवाब देने और उनका पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराने के लिए प्राधिकरण ने तैयारी कर ली है। एसआईटी का अध्यक्ष औद्योगिक विकास आयुक्त एवं नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन संजीव मित्तल सदस्य ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव और मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सब्बरवाल आज सुपरटेक एमराल्ड मामले में वर्ष 2004 में आवंटन के समय से लेकर 2012 तक में मानचित्रों में हुए बदलाव व आरटीआई का जवाब नहीं देने के मामले की जांच करेगी।
नोएडा प्राधिकरण सीईओ, रितु माहेश्वरी का कहना है कि सुपरटेक एमराल्ड से संबंधित, जो भी रिकॉर्ड टीम मांगेगी, उसे मुहैया कराया जाएगा। सुपरटेक एमराल्ड में अवैध रूप से बने दोनों टावरों को गिराने का आदेश 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे। इससे पहले वर्ष 2014 में हाई कोर्ट इन टावरों को गिराने का आदेश दे चुका है। मामले की गंभीरता को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ने दोनों एसीईओ की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी थी।एसआईटी की गठन के बाद अब एसआईटी कर रही है और उसे एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए है। एसआईटी को तीन दिन के बाद आज नोएडा पहुंची है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि टीम के प्राधिकरण कार्यालय में आकर ही जांच करने करने के शासन को रिपोर्ट दे देगी। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो एसआईटी की जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब सुपरटेक एमराल्ड के साथ-साथ वर्ष 2004 से 2017 तक जितनी भी परियोजनाओं के मानचित्रों में बदलाव किया गया और एफएआर में फेरबदल किया गया, उन सभी परियोजनाओं की जांच एसआईटी करेगी। हालांकि, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी फिलहाल सुपरटेक मामले में ही एसआईटी के जांच करने की बात कह रहे हैं। सुपरटेक एमराल्ड मामले की ही अगर ठीक ढंग से जांच हुई तो इस मामले में सीईओ स्तर तक के अधिकारी नपेंगे। हालांकि, ये अलग बात है कि मानचित्र में बदलाव की अनुमति उस समय समिति लेती थी, ऐसे में सीईओ के हस्ताक्षर नहीं हैं लेकिन एफएआर की मंजूरी सीईओ व बोर्ड बैठक तक में होती है। इस मामले में वर्ष 2006 में पहली बार मानचित्र में बदलाव के समय सीईओ संजीव शरण, दूसरी बार 2009 में मानचित्र में बदलाव के समय सीईओ महेंद्र सिंह व तीसरी बार 2012 में बदलाव के समय सीईओ कैप्टन एस के द्विवेदी थे। अब देखना है कि एसआईटी नोएडा प्राधिकरण की ओर से भेजे गए आठ नामों पर ही अपनी रिपोर्ट शासन को देगी या उससे आगे जाकर ओएसडी, एसीईओ व सीईओ को भी जांच के घेरे में लाएगी।
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