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प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों से कहा विपक्ष सच बोलता हैं तो उसके ऊपर इनकम टेक्स, ईडी व सीबीआई की रेड डलवा दी जाती हैं-देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक प्रोसेस बनाया है मौजूदा सरकार ने कि पक्ष हो या विपक्ष हो, जो भी सच बोलता है, सवाल करता है, भले उनके अपने साथ के लोग भी हों, अगर विपक्ष के लोग होते हैं, तो उनके ऊपर इंकम टैक्स की रेड डलवा दी जाती है, ईडी और सीबीआई को उनके पीछे लगा दिया जाता है, अगर पक्ष के लोग हों, तो पहले तो कोशिश करते हैं, उनको मार्गदर्शक मंडल में भेज दें, जो उन्होंने अपने बड़े नेताओं के साथ किया, मान लो नेता बड़ा नहीं है, इतना बड़ा नहीं है कि उसको मार्गदर्शक मंडल में भेजा जाए, अगर वो सीनियर इतने नहीं हैं और वो भी सवाल पूछते हैं, सच्ची बात करते हैं, तो उनके ऊपर भी वही कार्यवाही, जो कि विपक्ष के लोगों के ऊपर होती है अर्थात् इंकम टैक्स के छापे, ईडी और सीबीआई की रेड। ये एक प्रोसेस बन चुका है और पिछले 6 साल में, भले ही वो कहीं भी हो, भले ही आप जयपुर से लेकर, पटना से लेकर, कोलकाता से लेकर, सूरत तक और आज सूरत की ही बात करने वाले हैं, वो बात पहुंच चुकी है।

आपको याद होगा कि 8 नवंबर, 2016, रात्रि के 8 बजे माननीय प्रधानमंत्री जी देश के सामने आए और उन्होंने एक तुगलकी फरमान दिया कि देश से 500 और 1000 के नोट खत्म कर दिए जाएंगे, रात को 12 बजे। 12 बजे के बाद 500 और 1000 रुपए के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे। आपको याद होगा और देश के कई लोगों को याद है, क्योंकि उस प्रोसेस में हिंदुस्तान के, हमारे देश के 150 लोगों ने अपनी जान गंवाई लाइनों में खड़े होकर अपनी जानें गंवाई। ये वही प्रोसेस था, जिस प्रोसेस में जो हमारी जीडीपी और मैं बहुत सरकारी डेटा से ये बात बोल रहा हूं कि 2016-17 में भारत की जीडीपी 8.3 प्रतिशत थी और पॉजिटिव बोल रहा हूं, नेगेटिव की बात नहीं कर रहा हूं। जो 2019-20 में कोरोना के पहले फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में 8.3 से 4.2 प्रतिशत पर जाकर गिरी है। तो 150 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जीडीपी 8.3 से 4.2 प्रतिशत जाकर गिरी, लगभग 3 करोड़ 72 लाख लोगों ने एमएसएमई सेक्टर में अपना रोजगार गंवाया इस प्रोसेस में और ये भी अधिकारिक डेटा है, जितने भी मैं आपको आंकड़े दे रहा हूं। भारत की जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का जो हिस्सा 2015 में 15.6 प्रतिशत था वो अब घटकर 13.7 प्रतिशत हो गया है। ध्यान रहे ये वही समय है जब मेक इन इंडिया के शेर का तालियां बजा-बजा कर, जगह-जगह जाकर उसके ईवेंट होते थे, उस शेर के बावजूद, वो बब्बर शेर के मास्केट के बावजूद, क्योंकि आपने इसके बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग का जीडीपी में हिस्सा जो 15.6 प्रतिशत 2015 में था, वो 2019 में 13.7 प्रतिशत हो गया। 3 करोड़ 72 लाख लोगों ने अपना रोजगार खोया और देश में 45 साल की सबसे बुरी बेरोजगारी को देखा और ये सब कोरोना के पूर्व की बातें हैं। ये उसी नोटबंदी के निर्णय की मैं आपके सामने बात करने वाला हूं।

मैं यही बात करने वाला हूं कि शूटिंग दा मैसेंजर कब तक, पक्ष हो या विपक्ष हो, जो सच्चे सवाल पूछता है सरकार से, उनके ऊपर इंकम टैक्स की रेड डलवा दी जाती है। क्या ये न्यू इंडिया है, क्या इसे न्यू इंडिया कहा जाता है, क्या इस भारत को सबका साथ-सबका विकास या सबका विश्वास की बात की जाती है, क्या ये भारत की परिकल्पना हमारे लोगों ने की थी? मुझे तो लगता है और देश के अधिकांश लोगों को लगता होगा कि ऐसे भारत की परिकल्पना हमने नहीं की। याद रखिए कि ये नोटबंदी वही निर्णय है जिसके कितने बार गोल पोस्ट चेंज हुए। आपको याद दिलाना चाहता हूं,पहले बताया गया सरकार की ओर से कि 3 से 4 लाख करोड़ रुपए वापस ही नहीं आएंगे,जबकि 99 प्रतिशत से ज्यादा नोट वापस आ गए। फिर बोला गया कि जाली नोट पकड़ लिए जाएंगे, आपको जानकर आश्चर्य होगा आरबीआई का डेटा है, जितने नोट वापस आए,उनमें से मात्र .0013 प्रतिशत फेक करंसी निकली। तो पहले बोला गया ब्लैक मनी नहीं आएगी, फिर बोला गया कि जाली नोट नहीं आएंगे, फिर उसके बाद बोला गया कि टेरिरिज्म और नक्सलवाद से हमें छुटकारा मिल जाएगा। फिर बोला गया कि कैशलेस हो जाएगा, फिर बोला गया लैसकैश हो जाएगी इकॉनोमी, कुछ नहीं हुआ,इकॉनोमी आज हकीकत ये है कि क्वार्टर वन में -23.9 प्रतिशत के कॉन्ट्रैक्शन पर है इकॉनोमी और अगर आप किसी भी जानकार व्यक्ति को जो कि अर्थशास्त्र में ट्रेंड हो और वो ट्रैनिंग नागपुर के विद्यालय वाली ट्रैनिंग नहीं बोल रहा हूं, क्योंकि उनके विद्यालय वाली ट्रैनिंग तो नोटबंदी करती है, उनसे पूछेंगे तो, जो आज भारत की अर्थव्यवस्था की खराब हालत है, उसकी शुरुआत नोटबंदी से हुई।

हमने बार-बार कहा कि ये नोटबंदी का कार्यक्रम नहीं है,ये नोटबदली का कार्यक्रम है। ये ब्लैक टू वाइट का कार्यक्रम है। ये ब्लैक मनी को वाइट करंसी में,वाइट मनी में बदलने का कार्यक्रम है। हमने कई बार इसी पटल से हमने बार-बार सरकार से सवाल पूछे। हमने बार-बार ये सवाल पूछा कि अहमदा बाद डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक, एडीसीबी , जिसमें आज भी till date, होम मिनिस्टर उसके डॉयरेक्टर हैं और वो उस बैंक के चेयरमैन हुआ करते थे किसी जमाने में, उसने नोटबंदी के मात्र पहले 5 दिनों में 745 करोड़ रुपए की अदला-बदली की, उस बैंक ने और उन 5 दिनों बाद रिजर्व बैंक ने बैन लगा दिया कि ये बैंक, डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक इस तरह की नोटबदली का कार्यक्रम नहीं कर सकता। हमने इसी पटल से सवाल पूछा था सरकार से कि गुजरात के 11 डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक जिसमें कि बीजेपी के लीडर जिसको हैड करते हैं, उन बैंकों ने मात्र 5 दिनों में जबसे नोटबंदी हुई, उसके 5 दिनों में 3,118.51 करोड़ रुपए की अदला-बदली की। उसका कोई जवाब नहीं मिला और ऐसा ही सवाल एक इंकम टैक्स अधिकारी, भूतपूर्व इंकम टैक्स अधिकारी, भारतीय जनता पार्टी, सूरत के उपाध्यक्ष ने ऐसा ही सवाल सरकार से पूछा। उन्होंने पूछा कि एक सूरत के प्रतिष्ठित ज्वेलर का नाम कोट किया है, डॉक्यूमेंट भी उन्होंने सारे दिखाए। उन्होंने ये पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि जब नोटबंदी का निर्णय लिया गया, उस रात मात्र साढ़े 8 से

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