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बिहार की जनता भाजपा और जेडीयू से छुटकारा चाहती है और मैं स्वागत करता हूं – कांग्रेस -सुने इस वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरे देश के किसान रोड़ पर हैं, अपना गुस्सा इस सरकार के खिलाफ, एनडीए के खिलाफ दिखा रहे हैं। काले कानून के खिलाफ जो आक्रोश सभी मीडिया के चैनलों में आज के दिन सुबह से चल रहा था, उसी वक्त, इसी दिन आज चुनाव आयोग ने एक लंबी प्रेस वार्ता की और चुनाव की घोषणा की है, बिहार के चुनाव की। बिहार की जनता भाजपा और जेडीयू से छुटकारा चाहती है और मैं स्वागत करता हूं कि चुनाव आयोग ने आज बिहार की जनता को कुशासन से मुक्ति देने की तारीखों की घोषणा की है, उनका मैं दिल से स्वागत करता हूं।

ये चुनाव बिहार का राजनैतिक दलों के बीच नहीं, जनता के अहम मुद्दे और वहाँ पर ना ताल, ना मेल, एक खींचे ईस्ट में, दूसरा खींचे वेस्ट में और बीच में जनता पिस रही है, ऐसे बिहार के कुशासन वाले शासक को और जनता के मुद्दों के बीच का ये चुनाव होने जा रहा है, साफ-साफ है, जो जनता 15 साल से एक फरेब का चेहरा बनाकर सु:शासन की बात करने वाले को पहचान चुकी कि ये तो कु:शासन, जिस भाजपा ने कहा था जेडीयू यानि कि जनता का दमन और उत्पीड़न, प्रधानमंत्री जी ने जेडीयू की यही व्याख्या की थी और नीतीश कुमार जी ने भाजपा के लिए कहा था – बीजेपी मतलब ‘बड़का झूठा पार्टी’, ये भी कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा, भाजपा से दोबारा हाथ नहीं मिलाऊंगा, पर फिर भी दोनों साथ-साथ आए,क्योंकि शासन में बैठना था, पॉवर के अलावा और कोई समीकरण नहीं था। आज बिहार में हर जगह आप नजर करो, लोग दुखी और त्रस्त हैं। जो नीति आयोग एनडीए की सरकार के वक्त का बना, उस नीति आयोग ने कहा कि sustainable development में पूरे देश में अगर कोई सबसे नीचे गिरा हुआ राज्य है, सस्टेनेब्ल डेवलपमेंट में, तो वो बिहार है और उसका नतीजा हम देख रहे हैं। वहाँ पर तेज दिमाग वाले युवा हैं, यूपीएससी में टॉपर बिहारी बाबू ज्यादा रहते हैं, बिहार की बच्चियां ज्यादा रहती हैं, उस बिहार में शिक्षा देने के लिए शिक्षक नहीं हैं, तो उसको तनख्वाह नहीं, शिक्षक आत्महत्या करता है। कोरोना की महामारी को मैनेज करने में पूरी तरह से सरकार फेल, सरकार में बैठे हुए लोग भी कोरोना से ग्रस्त होकर दम तोड़ रहे हैं। जो श्रमिक इस देश के चमकते कंगूरे या विकास की नींव बनाता है, वो बिहारी मजदूरों का उसमें सबसे बड़ा योगदान है, उनको भगवान भरोसे छोड़ा गया। दर-दर की ठोकरें मेरे बिहार के श्रमिक खाते रहे, उनकी कोई चिंता नहीं की बिहार सरकार ने, ना मोदी सरकार ने। भाजपा के एमएलए के लिए सरकार की गाडी कोटा तक इललीगल तरीके से गई, पर बिहार के मेरे आम बिहारी परिवार के बच्चों की व्यवस्था नहीं हुई। इन सब मुद्दों में कोई मुद्दा अगर किसी को कहे, तो वो है मोदी जी का वो अनाउंसमेंट, 30 करोड़ दूं, 50 हजार करोड़ दूं, अरे भाईयों, बहनों 80 हजार करोड़ दूं और फिर बोले लो 1 लाख 20 हजार करोड़ का पैकेज दिया और मैं धन्यवाद करता हूं उस आरटीआई एक्टिविस्ट का, जो मुंबई से हैं, उन्होंने आरटीआई फाइल की और फाईनेंस विभाग ने अभी-अभी जवाब दिया है कि बिहार के पैकेज का एक रुपया भी बिहार को नहीं दिया गया। वो चाणक्य जी की भूमि है, वो भूमि लोकतंत्र की जननी है, उस बिहार की भूमि के लोग दिमागी रुप से तेज हैं। कैसा भी खेल, खेलें, भाजपा और जेडीयू, बिहार की जनता इस बार इनके झांसे में नहीं आएगी। कांग्रेस और गठबंधन के साथियों की सरकार बनेगी। हम एक पॉजीटिव एजेंडा के साथ वहाँ जाएंगे और लोगों का जो प्यार, आशीर्वाद हमें मिला है, मेरे सारे पीसीसी के मैंबर, हर डिस्ट्रिक्ट का दौरा करके आए हैं, सही आंकलन करके आए हैं, मुझे खुशी है कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेताओं ने पंचायत अध्यक्ष तक की नियुक्तियां करके संगठन को मजबूत करने का काम किया है और 2015 में भी हमारा स्ट्राईक रेट अच्छा था। इस बार भी हम और हमारे साथी जो भी हैं, उन सभी के साथ मिलकर बिहार की जनता के आशीर्वाद से वहाँ पर हमारी सरकार बनेगी।

बिहार चुनाव से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में गोहिल ने कहा कि पॉलीटिक्ली वाइब्रेंट स्टेट है, तो अभी आज तो सिर्फ चुनाव की घोषणा हुई है, आगे -आगे क्या होगा उसकी भविष्यवाणी आज करना बड़ा मुश्किल है। आज मैं यहाँ कहता हूँ कि हमारे साथियों के बीच में हमारी बात ठीक से चल रही है। मेरी एक कोशिश है कि लाइकमाइंडेड पार्टीज के साथ मिलकर, क्योंकि जनता ये चाहती है, बिहार की जनता बदलाव चाहती है तो हमारे कंधों पर भी एक बड़ी जिम्मेदादारी है, जो इस कुशासन को हटाना चाहती है जनता, वो चाहती है कि एक होकर हम लडें, तो उस जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं मानता हूँ कि हम लाइकमाइंडेड पार्टीज को साथ बैठकर निर्णय लेना होता है, जहाँ पॉलीटिकली वाइब्रेंट स्टेट होने के नाते सबको ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना है, तो खींचातानी हो सकती है, पर आखिर अगर सोच की लड़ाई लड़ते हैं, जनता की आवाज सुनकर उनके लिए हम लड़ रहे हैं तो हमारी राजकीय खुदगर्जी का कोई मायना नहीं रहता है, जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बिहार चुनाव में गठबंधन के बारे में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में गोहिल ने कहा कि मेरी कुशवाहा जी से लगातार बात होती रहती है, वो एनडीए को छोड़कर, खुद मंत्री थे, वो उस वक्त छोड़कर क्यों निकले, क्योंकि उन्होंने बहुत करीब से एनडीए को देखा था और सैद्धांतिक तौर पर निकले थे, मैं मानता हूँ कि आगे कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। बिहार में मुख्यमंत्री के चेहरे से संबंधितएक अन्य प्रश्न के उत्तर में, गोहिल ने कहा कि मैंने पहले ही कहा है कि हर पार्टी को अपना नेता, अपने चेहरा देने का अधिकार है, उसमें क्या गलत है? तो अगर आरजेडी अपना चेहरा देती है, तो इससे किसी को एतराज नहीं है। जहाँ तक गठबंधन की बात है, गठबंधन के साथियों से हमारी बातें होती रहती हैं, कुछ स्टेज पर हम आगे भी बढ़ें हैं, कुछ स्टेज पर चर्चा का अवकाश भी है और जब तक वो बातें खत्म होकर एक फाइनल स्टेज पर नहीं आती हैं, जो बातें अभी चर्चा के मुद्दों पर होती हैं, उनको साझा करना मेरे लिए ठीक नहीं है, कांग्रेस एक डेमोक्रेटिक व्यवस्था को मानने वाली पार्टी है, सभी को साथ मिलकर जो भी मत बनेगा, उसके साथ कांग्रेस पार्टी रहेगी। एक अन्य प्रश्न पर कि कोरोना काल में चुनाव आयोग ने चुनावों को लेकर कई रूपरेखा बनाई है, तो क्या आपको लगता है कि इनका कार्यान्वयन करना संभव हो पाएगा या कागजों पर ही रह जाएंगे, श्री गोहिल ने कहा कि हमने तो मांग की थी आप जानते हो कि 500 से ज्यादा वोटर एक पोलिंग स्टेशन में नहीं होने चाहिए। अब ये कह रहे हैं कि हजार कर दिए हैं, हमने, मैं नहीं मानता हूँ, इससे बहुत फर्क पड़ेगा, वक्त एक घंटा बढ़ाने से कोई बहुत लंबा फर्क नहीं पड़ेगा, पर चुनाव आयोग क्योंकि एक संवैधानिक, कॉन्स्टीट्यूशनल, इंडिपेंडेंट अथॉरिटी है और मैं खुले मन से कभी भी कॉन्स्टीट्यूशनल अथॉरिटी का क्रिटिसिज्म नहीं करता हूँ, लेकिन सुझाव हमने दिए थे, अगर उन सुझावों को माना गया होता, तो अच्छा होता। तो अब ये जिम्मेवारी, एडमिनिस्ट्रेशन, लोकल और चुनाव आयोग पर और बढ़ गई है। अगर कल को बिहार में और कोरोना बढ़ जाएगा, आज बहुत हालत खराब है, बिहार में, न ठीक तरह से वहाँ पर टैस्ट हो रहे हैं, न ठीक तरह से परवरिश हो रही है, न अस्पताल में पूरी व्यवस्था हो रही है और दर-दर की ठोकरें मरीज खाते हुए ऐसी हालत में उसमें कहीं चुनाव कोरोना और बढ़ाने का एपीसेंटर न बन जाए, वो देखना बहुत-बहुत जरुरी है।

एक अन्य प्रश्न पर कि सुशांत सिंह का मामला अभी सुर्खियों में है, क्या आपको लगता है कि बिहार चुनाव में इसका कोई फर्क पड़ेगा गोहिल ने कहा कि हम सबको नाज़ है, सुशांत सिंह बिहार का युवा, टैंलेंटेड युवा, जिसने कम समय में बॉलीवुड में एक बहुत बड़ा नाम कमा लिया था, उस केस मे न्याय मिले, ये हमारी मांग थी। सबसे पहले हमने विधानसभा में, कांग्रेस पार्टी के विधायक अवधेश सिंह ने प्रस्ताव रखा था, कांग्रेस पार्टी के विधायक ने कि इसको सीबीआई को दो और हमने मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट य़ा हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगेहवानी में होना चाहिए, परिवार भी जो चाहता था, हमारी पूरी संवेदना उस परिवार के साथ हैं। हम चाहते हैं कि उसमे न्याय मिले, अगर इसके पीछे कोई भी दोषी हो तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले, कौन पीछे है उससे कोई लेना देना नहीं है, पर सुशांत सिंह जी के नाम पर राजनीति करेंगे, सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर वोट बटोर लेंगे, ताकि लोग श्रमिक की दिक्कत भूल जाए, ताकि लोग बाढ़ को भूल जाएं, ताकि लोग कुशासन को भूल जाएं, जो वहाँ पर लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हुआ है, उसे भूल जाएं, कोरोना की दिक्कत है, वो मुद्दे चले जाएं और हम सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर वोट बंटोर लेंगे, मुझे लगता है कि ऐसा जो सोच रहा है वो मूर्खता कर रहा है। दिमागी तेज सोच वाले बिहार के लोग दिमाग से चलने वाले हैं, वो जरुर, पूरा बिहार सुशांत के साथ है, पर बिहार के साथ कौन, वो क्वेश्चन मार्क जनता जरुर करेगी और इस सवाल का जवाब न भाजपा दे पाएगी, न जेडीयू दे पाएगी क्योंकि वो सिर्फ और सिर्फ राजनीति करते हैं। सीबीआई को दे दिया केस, अब क्या हुआ, अब हर रोज ध्यान भटकाने के लिए किसी न किसी फिल्म स्टार को समन किया जाता है, इंवेस्टीगेशन के दौरान कोई भी सबूत आता है तो वो कहीं बाहर नहीं जाना चाहिए एक क्रिमिनल प्रोसीजर कोड कहता है, फिर भी हर उस चैट को मीडिया के साथ साझा किया जाता है ताकि टीआरपी बढ़े, इस चक्कर में और मुद्दों को भूलकर चैनल भी वही फिल्मी दुनिया को दिखाते रहें औऱ असली मुद्दे न आएं दुनिया के सामने, वो कोशिश एक सोची-समझी साजिश मोदी मॉडल जो गुजरात मे था, वो नेशनल लेवल पर लागू हुआ है, उसी की बदौलत होता है, पर बिहार में 2014 के परिणाम के बाद, 2015 में एनडीए ने मुँह की खाई थी, इस बार 2019 के चुनाव के बाद इस विधानसभा चुनाव में History will repeat itself. इतिहास अपने आप में उसकी पुनरावृति होगी। बिहार चुनाव से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर मेंगोहिल ने कहा कि मैंने पहले भी कहा कि जो भी तय होगा, वो हम सब साथ मिलकर करेंगे, उसमें कोई दिक्कत नहीं होगी, सभी को अपना-अपना मत रखने का अधिकार है। पर मैं ज़रुर ये चाहूँगा कि एक सोच की लड़ाई हम लड़ रहे हैं, तो छुटपुट बातों को साइड में रखते हुए, अपना ईगो, अपना अहंकार छोड़ना होगा, क्योंकि बिहार की जनता ऑल्टरनेटिव चाहती है, अच्छा ऑल्टरनेटिव चाहती है। चाहती है कि एन्टी ऐस्टैब्लिशमेंट वोट का डिवीजन नहीं होना चाहिए और वैसे भी अगर कोई इसमें गलत रास्ते निकल भी पड़ेगा, अगर कोई भी निकल पड़ेगा, तो बिहार में तो जागरुक लोग क्या कहते हैं, आप देख लीजिए, वहाँ का कोई भी बड़ा चेहरा भी ऐसे गलत रास्ते पर निकलता है, तो कहते हैं ये वोट कटवा है, इसे वोट नहीं देंगे, तो अगर कोई गलत रास्ते निकलेगा, तो कोई, बीजेपी कभी-कभी करती है कि इस साथी को छुड़ा दो, सीबीआई, ईडी, डराओ-धमकाओ तो वो तोड़फोड़ किसी नेता के ऊपर भी वो करेंगे, और वो नेता उस डर से भी अलग होंगे, तो बिहार की जनता से भी वो अलग हो जाएंगे।

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