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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय हाइलाइट्स

मोदी सरकार जानबूझकर एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही- कांग्रेस

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली: कांग्रेस ने संसदीय स्थाई समिति की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग दोहराई है। इंदिरा भवन स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए एससी विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम, आदिवासी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया, ओबीसी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल जयहिंद ने कहा कि मोदी सरकार जानबूझकर एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है।  

राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ शिक्षा संस्थानों की संख्या बढ़ाने की जरूरत थी, लेकिन सरकारी स्तर पर यह प्रयास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ी है, लेकिन वहां आरक्षण लागू न होने और महंगी फीस के कारण एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के बच्चे इन संस्थानों में पढ़ नहीं पाते हैं। गौतम ने बताया कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान संविधान में अनुच्छेद 15(5) जोड़ा गया, जिसके तहत निजी शिक्षण संस्थानों में एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 और 2014 में इस प्रावधान को संवैधानिक ठहराया, लेकिन केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 15(5) को लागू नहीं किया।

गौतम ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थाई समिति की एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। रिपोर्ट के अनुसार निजी शिक्षण संस्थानों में एससी के केवल 0.89 प्रतिशत, एसटी के 0.53 प्रतिशत और ओबीसी के 11.16 प्रतिशत बच्चे ही पढ़ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समिति ने मोदी सरकार से इस दिशा में कानून बनाकर तुरंत अनुच्छेद 15(5) को लागू करने और निजी शिक्षण संस्थानों में एससी-एसटी,ओबीसी छात्रों को आरक्षण देने की सिफारिश की है। आदिवासी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू न करने को सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है और निजी संस्थानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 90 प्रतिशत बहुजन समाज को उच्च शिक्षा में केवल 12 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलना लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना है। वहीं ओबीसी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल जयहिंद ने भी केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह दौर एससी, एसटी और ओबीसी के लिए सबसे अंधकारमय रहा है। शिक्षा के निजीकरण और महंगी फीस के जरिए बहुजन समाज को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि देश में 517 निजी यूनिवर्सिटी हैं, जिनमें कोई आरक्षण नहीं है। देश में 45 हजार से ज्यादा डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें 78.5 प्रतिशत कॉलेज निजी हैं, इनमें आरक्षण नहीं है। उन्होंने ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की सीमा को संशोधित न किए जाने का मुद्दा भी उठाया।कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार से संसद के शीतकालीन सत्र में तुरंत कानून बनाकर निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने के साथ-साथ कमजोर तबकों से आने वाले छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग, स्कॉलरशिप की व्यवस्था करने और जातिगत भेदभाव के खिलाफ सख्त नीतियां लागू करने की मांग की।

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