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महेंद्रगढ़ : यज्ञ करने से देवताओं के ऋण से मुक्ति मिल जाती है, स्वामी विज्ञानानंद

विनीत पंसारी की रिपोर्ट 

महेन्द्रगढ़ :  श्री गीता विज्ञान प्रचार समिति महेन्द्रगढ़ के तत्वावधान में बाबा जयरामदास धर्मशाला में “श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानोत्सव” के अन्तर्गत चल रही भागवत कथा के समापन पर सोमवार को यज्ञ का आयोजन किया गया । महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती के सानिध्य में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने यज्ञ में पूर्णाहूति दी ।
अपने आशीर्वचनों में महामंडलेश्वर ने भागवत कथा व यज्ञ की महत्ता बताते हुए सबकी खुशहाली व समृद्धि की कामना की । उन्होंने कहा कि भगवान की मंगलमयी कथा का जो कानों से श्रवण करता है, वाणी से कीर्तन करता है तथा हृदय से ध्यान करता है उसकी वृत्ति ब्रह्माकार हो जाती है । भारतीय संस्कृति में यज्ञ प्रधान बताया गया है । यज्ञ करने का अर्थ है देवताओं के ऋण से मुक्त होना । यज्ञ से पृथ्वी, जल, वायु, तेज, आकाश – इन पंचभूतों की शुद्धि होती है । यज्ञ से घर-परिवार, समाज तथा राष्ट्र में खुशहाली एवं शान्ति रहती है तथा मंगलकामनाएं पूर्ण होती हैं । स्वामीजी ने श्रद्धालुओं से हरिनाम का सतत जाप करते रहने की बात भी कही ।
इस अवसर पर श्रीकिशन मस्ताना, पं. आत्मप्रकाश बोहरा, रामू, अशोक भट्टी, दीपक मैहता, सत्यनारायण जांगड़ा, किशन सोनी, हनुमान सेठ, हरीराम मैहता, श्रीकिशन सर्राफ, आचार्य श्याम, संगीताचार्य रमाकान्त, योगाचार्य शिवम, चन्द्रप्रकाश, राहुल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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