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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आज प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए क्या कहा , सुने इस लाइव वीडियो में।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद व महासचिव जयराम रमेश ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों, 16 फरवरी को मैंने एक वक्तव्य दिया था, जो आपके पास है, फिर से दूंगा आज आपको। क्योंकि 16 फरवरी को ही हमें जानकारी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना मन बना लिया है कि एक समिति का गठन होगा अडानी के मामले में जो सीमित तौर पर जांच करेगी कि सेबी के कानूनों और सेबी के नियमों का उल्लंघन हुआ है कि नहीं।मैंने 16 तारीख को ही कहा था कि… एक लंबा एक पेज का वक्तव्य मैं पूरा नहीं पढ़ूंगा, पर अंतिम तीन लाइन मैं सिर्फ पढूंगा, क्योंकि आज भी वो मायने रखता है। आज जो निर्णय आया है, समिति का गठन हुआ है, समिति के सदस्यों का नाम भी निकला है। फिर भी उसके बावजूद जो मैंने 16 फ़रवरी को कहा था, वो अंतिम तीन लाइन मैं पढ़ूंगा – “यदि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को इस मामले में जवाबदेह ठहराया जाना है, तो जेपीसी के अतिरिक्त कोई भी अन्य समिति इस मामले में सारे दोषियों को वैध ठहराने और दोषियों को दोष-मुक्त कराने की कवायद के अलावा और कुछ नहीं होगी। If the Prime Minister and the Government are to be held accountable, any committee other than a JPC will be nothing but an exercise in legitimisation and exoneration”.

और ये क्यों है, उसकी भी इस वक्तव्य में जानकारी आपको दी गई है, क्योंकि ये सिर्फ सेबी के कानून तक सीमित नहीं है, मामला ये नहीं है कि सेबी के कानून का उल्लंघन हुआ है, नियमों का उल्लंघन हुआ है, पर इससे आगे बढ़कर भी अलग-अलग मुद्दे हैं और पिछले 20 दिनों में रोज़ कांग्रेस पार्टी ने 3 सवाल उठाए हैं। आज भी सवाल उठाया गया है। आज भी तीन सवाल उठाए गए हैं, 60 सवाल हमने उठाए हैं। कोई सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति इसका जवाब नहीं दे सकती। ये जवाब सिर्फ एक जेपीसी के माध्यम से ही मिल सकता है। तो ये समिति अपना काम करेगी, हमारी कोई अपेक्षाएं नहीं हैं। यहाँ-वहाँ कुछ नियम का उल्लंघन हुआ है, कुछ कानून का उल्लंघन हुआ है, पर जो मोटे मुद्दे हैं, जो हम रोज़ उठा रहे हैं, जो हमारे नेता राहुल गांधी ने उठाया था लोकसभा में, जो एक्सपंज किया गया…. जो हमारे नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में उठाया था, जो एक्सपंज कराया गया, उन सवालों का जवाब सिर्फ जेपीसी के माध्यम से ही देश के सामने आ सकता है। क्योंकि ये जो मामला है, वहाँ तक सीमित नहीं है। असली मामला ये है कि राजनीतिक और कॉर्पोरेट सांठ-गांठ है। तो ये सुप्रीम कोर्ट की समिति के टर्म ऑफ़ रेफरेंस में नहीं होगा, है ही नहीं, मैंने देखा है।

दो महीने के अंदर क्या जांच कर पाएगी, सरकार कितनी जानकारी उनको देगी, सभी लोग सक्षम हैं, बड़े-बड़े नाम हैं, उद्योग जगत के नाम हैं, न्यायपालिका के नाम हैं… पर ये मामला ऐसा है, इतना बड़ा फैलाया गया है कि सिर्फ जेपीसी ही इसकी जांच कर सकती है। 8 महीने लगें, 9 महीने लगें, 10 महीने लगें। आप तो जानते हैं कि हर्षद मेहता के मामले में, केतन पारेख के मामले में करीब एक साल जेपीसी में चर्चा हुई।जो मांग हमने लोकसभा में की थी, राज्यसभा में की थी और हम रोज़ करते आ रहे हैं, सवाल उठाते रहे हैं, उठाते रहेंगे, इन सवालों का जवाब सिर्फ जेपीसी के माध्यम से ही जनता के सामने निकल सकता है। ये सुप्रीम कोर्ट की समिति सिर्फ सेबी के कानून तक सीमित है और मैं समझता हूं कि किस संदर्भ में ये समिति बैठाई गई है, हमें विश्वास नहीं है कि अडानी मामले में जो हकीकत है और खासतौर से प्रधानमंत्री और इस पूंजीपति के बीच में क्या विशेष रिश्ता रहा है, जो इसको इतना फायदा पहुंचाया गया है पिछले 10-12 साल में, उसकी असलियत कभी उभर कर नहीं आएगी, अगर जेपीसी का गठन नहीं होगा। हमारे लिए चुनाव के नतीजे जो आ रहे हैं, उत्साहजनक भी हैं और निराशाजनक भी हैं।

हमारा पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन बहुत उत्साहजनक रहा है और जैसा कि आप जानते हैं पश्चिम बंगाल की विधानसभा में हमारा पहला सदस्य होगा, महाराष्ट्र में 30 साल के बाद आरएसएस-बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस पार्टी जीती है। मैं समझता हूं ये एक बहुत सकारात्मक नतीजा है महाराष्ट्र में। तमिलनाडु में हमारे वरिष्ठ नेता बाई-इलेक्शन में जीते हैं और जितने मार्जिन से जीते हैं, वो बहुत उत्साहजनक है। तो उपचुनाव के नतीजे सकारात्मक हैं, हमें विश्वास दिलाते हैं कि कांग्रेस पार्टी के पक्ष में लोग फिर से देख रहे हैं कि उनको जनादेश मिले।उत्तर-पूर्वी राज्यों… त्रिपुरा में हम ये मानकर चल रहे थे कि हमें बहुमत मिलेगा, पर ऐसा नहीं लगता है कि वामपंथी और कांग्रेस के गठबंधन को बहुमत मिलेगा। तो निराशाजनक रहा है त्रिपुरा में। नागालैंड में तो हमें पहले से ही पता था कि तोड़-मरोड़ कर बीजेपी सरकार बना लेगी। पर नागालैंड में हम उम्मीद करते हैं…. सारे नतीजे नहीं आए हैं, पर नागालैंड में हमारा वोट शेयर ज़रूर बढ़ेगा।मेघालय में 2018 के चुनाव में हमारे 21 एमएलए थे, सारे के सारे एमएलए भाग गए हमारी पार्टी से। हमारे 60 उम्मीदवार जो इस बार थे, सभी नए उम्मीदवार थे। 60 में से 10 महिलाएं थीं, उम्मीदवारों की औसत आयु 45 साल से कम थी। युवा चेहरा था कांग्रेस का और हम ये मान कर चल रहे थे कि मेघालय में हम भविष्य के लिए कांग्रेस बना रहे हैं और ऐसा ही हुआ है। सीटें तो हम जीते हैं पर सरकार हमारी नहीं बन पा रही है और जो पार्टियां ये मान कर चल रही थीं कि वो अपना बल बढ़ाएंगी कांग्रेस को तोड़कर, उनको भी इतनी सफलता नहीं हासिल हुई है जितनी वो उम्मीद करती थीं। तो उत्तर-पूर्वी राज्यों में कांग्रेस का गढ़ रहा है, हमेशा कांग्रेस सरकार बनाती थी, पर कुछ 8-10 सालों से हम देख रहे हैं कि किस तरीके से राजनीतिक बाजार में बीजेपी सरकार बनाने में सफल होती है, वो इस बार भी देखने को मिला है। पर हम इन नतीजों को स्वीकारते हैं। संगठन को मज़बूत करना है, नए चेहरों को आगे लाना है, जैसा कि हमने मेघालय में किया है, नागालैंड में भी किया है। नागालैंड में हमारे कई उम्मीदवार 40 साल से कम थे। ये बात सही है… त्रिपुरा में हम बिल्कुल ये मान कर चल रहे थे कि हमें 32-33 सीटें मिल सकती हैं और हम सरकार बनाने की स्थिति में होंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। पर आप तो त्रिपुरा की राजनीति भी जानते हैं…. हमने कई शिकायतें की हैं चुनाव आयोग से हिंसा के बारे में, रिगिंग के बारे में, पर उसके बावजूद मैं नतीजे से नहीं भाग रहा हूं। त्रिपुरा में हम ये मान कर चल रहे थे कि हम सरकार बनाने की स्थिति में होंगे।एक प्रश्‍न पर कि त्रिपुरा के बारे में आप कह रहे कि हम मानकर चल रहे थे कि सरकार बनाने की स्थिति में होंगे, लेकिन हमने देखा कि आपका शीर्ष नेतृत्‍व प्रचार तक करने नहीं पहुंचा तो फिर ये उम्‍मीद किस आधार पर थी? क्‍या लगता है लेफ्ट के साथ जो बंगाल में किया है, त्रिपुरा में वो काम नहीं आ रहा? श्री जयराम रमेश ने कहा कि इस पर अभी मैं कुछ नहीं कहूंगा, हमारे उम्‍मीदवारों के साथ बैठकर, संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठकर ही विश्‍लेषण हो पाएगा। पर ये कहना कि ये गठबंधन गलत था…. मैं आज नहीं कहूंगा पर बहुत बातचीत के बाद, सोच-विचार के बाद ये गठबंधन किया था और सभी लोगों का मानना था, निष्‍पक्ष लोगों का मानना था कि गठबंधन को बहुमत मिलेगा… मैं समझता हूं सब लोग मानकर चल रहे थे गठबंधन को ज़रूर बहुमत मिलेगा, भारी बहुमत नहीं मिल सकता है पर 35-36 सीटें मिल सकती हैं पर वो नहीं हुआ है, क्‍यों नहीं हुआ है…. उसको देखना पड़ेगा पर मैं ये बिल्‍कुल कह सकता हूं कि त्रिपुरा में, नागालैण्‍ड में और मेघालय में हमने भविष्‍य को मद्देनजर रखते हुए टिकटें बांटी हैं इस बार और 2023 के चुनाव में हम सफल नहीं हुए हैं पर 5 साल बाद हमारा प्रदर्शन और भी मज़बूत रहेगा।एक अन्‍य प्रश्‍न के उत्तर में रमेश ने कहा कि ये राष्‍ट्रीय चुनाव नहीं है, ये विधानसभा के लिए चुनाव है और मैं नहीं समझता हूं कि राष्‍ट्रीय स्‍तर के नेता वहां जाकर प्रचार में इतने प्रभावशाली हो सकते हैं कि चुनाव एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ ला सकते हैं। स्‍थानीय स्‍तर पर संगठन मज़बूत है कि नहीं… वो महत्‍व रखता है, हमारे कैंडिडेट मज़बूत हैं कि नहीं… वो महत्‍व रखता है, प्रचार किस तरीके से वहां का संगठन कर रहा है… वो महत्‍व रखता है। तो ये कहना कि हमारे राष्‍ट्रीय नेता वहां नहीं गए, इसलिए हमारा प्रदर्शन इतना निराशाजनक रहा… मैं बिल्‍कुल सहमत नहीं हूं इससे, ये राष्‍ट्रीय चुनाव नहीं हैं, ये स्‍थानीय चुनाव हैं, स्‍थानीय कारण होते हैं और पिछले कुछ सालों से…. खास तौर से मेघालय की मिसाल लूं… मेघालय में 2018 में हमारे 21 उम्‍मीदवार जीते थे, हमारे 21 एमएलए थे, 2023 के चुनाव में एक भी जो हमारा एमएलए चुना गया था 2018 में, हमारी पार्टी के चुनाव-चिन्‍ह पर नहीं खड़ा हुआ, एक भी नहीं… क्‍योंकि कुछ ऐसी पार्टियां हैं जो कांग्रेस को ऐसे देखती हैं कि कांग्रेस से हम ले लें तो हमारी पार्टी और भी मज़बूत हो सकती है और उनका प्रदर्शन भी मेघालय में इतना सकारात्‍मक नहीं रहा है जितना कि वो सोचते थे। एक अन्‍य प्रश्‍न पर कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई है अडानी की जांच को लेकर लेकिन आप जेपीसी की बात पहले भी करते थे, अब भी करते हैं तो क्‍या कांग्रेस पार्टी इससे खुश नहीं है? श्री रमेश ने कहा कि कांगेस पार्टी चाहती है कि जेपीसी का गठन हो, ये मांग हम करते रहेंगे, 13 तारीख को भी हम मांग करेंगे, 6 तारीख तक जब तक पार्लियामेंट का सत्र चलेगा…. हम मांग करते रहेंगे रोज लोकसभा में और राज्‍यसभा में। ये हमारी मांग रोज़ करते रहेंगे और रोज़ हम सवाल उठाते रहेंगे। आपके व्‍हाट्सऐप में आ गया होगा… आज भी तीन सवाल उठाए हैं, आज तक 60 सवाल हमने उठाए हैं और मैं विश्‍वास के साथ कह सकता हूं इन 60 में से भी एक भी ऐसा सवाल नहीं है जिस पर सुप्रीम कोर्ट की समिति जांच करने की स्थिति में हो।एक अन्‍य प्रश्‍न पर कि सुप्रीम कोर्ट की इस कमेटी पर आपको भरोसा क्‍यों नहीं हैं? रमेश ने कहा कि क्‍योंकि मुद्दे ऐसे हैं… कितने भी विशेषज्ञ हों, जितने भी जाने-माने नाम हों, मुद्दे ऐसे हैं कि उनको अधिकार नहीं होगा, उनको जानकारी प्राप्‍त नहीं हो पाएगी, उनके पास साधन नहीं रहेंगे। जेपीसी की अलग से एक विशेषता होती है, हमने देखा है। हर्षद मेहता घोटाले के मामले में देखा है, केतन पारेख घोटाले के मामले में देखा है और कई ऐसे विषयों पर जब जेपीसी का गठन होता है… जेपीसी के पास इतने अधिकार होते हैं, इतने साधन होते हैं संस्‍थाओं से जानकारी हासिल करने के, वो किसी समिति के पास नहीं रहते हैं।

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