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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में क्या कहा, सुने इस लाइव वीडियो में।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक महत्‍वपूर्ण सवाल, जिसका इस देश के हर नागरिक पर प्रभाव पड़ता है कि सरकार में नीति निर्धारण करता कौन है? Who drives policy in the Modi government अगर कोई आपमें से इंवेस्‍टीगेशन करे, हर विभाग में, हर मंत्रालय में कितने कंसल्‍टेन्‍टस हैं और वो कंसलटेंटस किस एजेंसी के हैं, किसके आर्थिक इंट्रेस्‍ट का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, किसके लिए लॉबिंग कर रहे हैं, ये बड़ी रोचक जानकारी तो होगी ही, लेकिन गंभीर भी होगी और चिंताजनक भी होगी।अभी हाल ही में फोर्टिफाइड राइस, चावल को उसके अंदर एक प्रक्रिया करके आयरन डाल देते हैं तो जिनको आयरन डेफिशियेंसी होती है, उनको वो फोर्टिफाइड राइस खिलाएंगे, ऐसा प्रधानमंत्री ने लाल किले पर खड़े होकर घोषणा कर दी, 15 अगस्‍त, 2021 को कि साहब अब जो है सरकार मैन्‍डेटरी कर देगी, जितनी सरकारी स्‍कीम्‍स में अन्‍न बंटता है, चावल बंटता है वो फोर्टिफाइड राइस होगा और वो शुरू हो गया, दूसरे ही दिन, प्रधानमंत्री जी, देश के राजा बोलें तो सबने शुरू कर दिया।
जवान का नुकसान करते रहो, किसान का नुकसान करते रहो, विज्ञान का भी नुकसान देखो कैसे करते हैं- वैज्ञानिकों की नहीं सुनी जाती। क्‍या रिसर्च हुई है? करोड़ों भारतीयों को आप जबरदस्‍ती फोर्टिफाइड राइस खिला रहे हो, बिना ये जाने कि वो फोर्टिफाइड राइस उनके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक तो नहीं हैं without bothering to find out through experts, through scientist, whether the fortified rice, that you are forcing people to eat, whether it will be harmful for them. कुछ साल पहले, कुछ दशक पहले नमक को फोर्टिफाइड किया था, आयोडीन नमक में मिलाकर लोगों को दिया गया था, क्‍योंकि गोइटर नाम की एक बीमारी बहुत ज्‍यादा प्रचलित थी उस वक्‍त। तो आयोडीन की एक विशेषता होती है कि वो टायलेट के जरिए निकल जाता है, अगर आपके शरीर में ज्‍यादा मात्रा में हो। आयरन तो कोई 2,000 का नोट तो है नहीं कि जब चाहे वो बंद कर दें, आयरन अगर शरीर में ज्‍यादा हो गया तो वो नुकसान देगा, लेकिन साहब ने तय कर लिया कि साहब फोर्टिफाइड राइस अब इस देश को खाना है तो खाना पड़ेगा। 138 लाख टन फोर्टिफाइड राइस बंट चुका है, 2021 से लेकर आज 2023 तक, ऑलरेडी कंज्‍यूम किया जा रहा है people are consuming fortified rice, 137 Lakh ton so far, कोई रिसर्च नहीं, कोई कसंल्‍टेशन नहीं, कुछ नहीं। अब तो एक ऐसा दौर है कि न नागरिकों से कोई चर्चा होती है, न नागरिक संगठनों से कोई चर्चा होती है, विधेयक कंसलटेटिव कमेटीज़ के पास नहीं भेजे जाते हैं, निर्णय लेने की जो प्रक्रिया है, उसको इतना हल्‍का कर दिया गया है, माफ कीजिएगा, उसको बेच दिया गया, कंसलटेंट तय करते हैं, ब्‍यूरोक्रेट नहीं तय करता, माफ कीजिएगा अगर आपको लगता है कोई आईएएस आपकी नीति बना रहा है आपके लिए, आपके देश के लिए, तो गलत सोच रहे हैं आप। उस आईएएस पर भी कंसलटेन्‍ट बैठा हुआ है, ठेकेदार लॉबीज, कंसलटेंट ये इस देश की नीति तय कर रहे हैं, ये तय कर रहे हैं कि फोर्टिफाइड राइस खाया जाएगा इस देश द्वारा और ये सबसे ज्‍यादा 80 करोड़ लोगों को जो आप अनाज बांट रहे हो, अलग-अलग योजनाओं के तहत, मिड डे मील में भी यही राइस इस्‍तेमाल होता है, जहां-जहां इस्‍तेमाल होता है।अभी पिछले दिनों रिपोर्टरस कलेक्टिव ने एक रिपोर्ट छापी है। हम और आप जानना चाहेंगे कि साहब प्रधानमंत्री के मन में क्‍यों आया ये? एक दिन अचानक उठे और कहा कि साहब अब फोर्टिफाइड राइस खाया जाएगा, नीति आयोग कुछ भी कहे, स्‍वास्‍थ्‍य की बाकी एजेंसियां कुछ भी कहें, कुछ नहीं, प्रधानमंत्री ने कह दिया, हो गया। तो इस सवाल का जवाब कि प्रधानमंत्री ने ऐसा क्‍यों सोचा और क्‍यों कहा? इसका जवाब आपको नीदरलैंड में मिलेगा, नी‍दरलैंड की एक कंपनी है रॉयल डीएसएम, रॉयल डीएसएम पिछले डेढ़ साल में हिन्‍दुस्‍तान में एक बड़ा प्‍लान्‍ट भी लगा चुकी है, क्‍योंकि हिन्‍दुस्‍तान के राजा ने घोषित कर दिया कि फो‍र्टिफाइड राइस चलेगा तो तुरंत हैदराबाद के पास एक प्‍लांट लग गया। 1,800 करोड़ का ये बिजनेस है फोर्टिफाइड राइस का, अब रॉयल डीएसएम भारत सरकार के नीति निर्धारकों तक कैसे पहुंचा? ये बड़ा रोचक तथ्‍य है, ये उसी रास्‍ते से पहुंचा, जिस रास्‍ते का मैं अभी जिक्र कर रहा था, कंसलटेंट्स।मोदी सरकार को एलर्जी है, एनजीओज़ से, ये तो हमने और आपने, सबने देखा, लेकिन एलर्जी नहीं है कुछ एनजीओज़ से, ये इन कंसलटेंट से या इन एनजीओज़ से कोई एलर्जी नहीं है जो रॉयल डीएसएम को रिप्रजेंट करते हैं, उनका प्रतिनिधित्‍व करते हैं, 6 ऐसे संगठन there are 6 organizations which are either partnered with Royal DSM or funded by Royal DSM, both has collaboration with Royal DSM ये 6 ऐसी संस्‍थाएं भारत के मंत्रालय के भीतर बैठकर एक रिसोर्स सेंटर बनाया गया, पीयूष गोयल जी के मंत्रालय द्वारा, उस रिसोर्स सेंटर के भीतर बैठकर ये नीति तय की गई कि फोर्टिफाइड राइस इस देश में अब मैंडेटरी होगा, वही बंटेगा, वही बिकेगा।आप सोचिए कॉन्फिलिक्‍ट ऑफ इंट्रेस्‍ट तो बहुत छोटी बात हो जाती है। मैं एक कंपनी चलाता हूं, संजीव एनजीओ चलाता है, संजीव के एनजीओ को मेरी कंपनी से पैसा मिलता है और संजीव का एनजीओ सरकारों में जाकर बोलता है कि साहब आपको ये वाला चावल, कौन सा चावल – जो मेरी कंपनी बनाती है, ये चावल आपको कंपलसरी कर देना चाहिए, छोटा लब्‍बो-लबाब इस पूरी कहानी का ये है।ये है हमारा अमृत काल, इस अमृत काल में बच्‍चों को, गरीबों को, 80 करोड़ लोगों को विष दिया जा रहा है और इसको अमृत काल बताया जाता है। अब मास्‍टर का हर स्‍ट्रोक तो मास्‍टर स्‍ट्रोक होता ही है तो वाह-वाही हुई और साहब हमारे इतने बड़े दिल के, बड़ी जल्‍दी दिल पिघल जाता है हमारे साहब का। किसी देश में वाह-वाही हो जाए, कोई पांव छू ले, कोई गले लग जाए तो पलक-पांवड़े बिछाकर देश के सारे गेट खोल देते हैं कि आइए, जो चाहिए ले जाइए। हमें नहीं मालूम नीदरलैंड ने कोई पांव छूआ या नहीं, मुझे नहीं मालूम, आपने देखा हो तो… हो सकता है कि कहीं बंद कमरे में छू लिया होगा पांव। ये विदेश नीति है इस देश की और पूरा मीडिया, माफ कीजिएगा सुबह से शाम तक एंगल बता रहा है कि किस एंगल पर पांव छूए मोदी जी के, ये आज जो हो रहा है इस देश में, जो मास्‍टर स्‍ट्रोक आ रहे हैं मास्‍टर साहब के, उससे लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ, उससे बड़ा खिलवाड़ नहीं हो सकता, ये मजाक की बात तो नहीं है, ये बड़ी गंभीर बात है, क्‍योंकि लोगों के आप स्‍वास्‍थ्‍य के साथ खेल रहे हैं, थैलेसीमिया एक बीमारी, झारखंड के कुछ एक जिला है जिसमें थैलेसीमिया बीमारी बहुत ज्‍यादा है, वहां ये चावल पहुंच गया, चावल के बैग पर कहीं कोई वॉर्निंग नहीं लिखी हुई कि जिनको थैलेसीमिया है वो ये चावल नहीं खाएं।लगभग 1 साल तक झारखंड के इस जिले में जहां थैलेसीमिया बहुत ज्‍यादा है और इस चावल को खाने से थैलेसीमिया के जो मरीज हैं उनको और ज्‍यादा नुकसान हो सकता है, वो चावल उन्‍हें मिलता रहा, वो खाते रहे, ये है मास्‍टर स्‍ट्रोक, ये है पांव छूने की, हमें सजा और कुछ कंपनियों को फायदा।नीति आयोग के रिसर्चर्स ने फाईल पर लिखा है कि हाइपर टेंशन और डायबिटीज के मरीजों के लिए फोर्टिफाइड राइस नुकसानदायक हैं, ये चावल नुकसानदायक हैं। एक्‍सपर्टस की सलाह है कि आयरन डेफीशियेंसी दूर करने के लिए गर्भवती महिलाओं को डॉक्‍टर की सुपरविजन में आयरन दिया जाता है, आप एक बोरी चावल भेज देते हैं बिना कोई गाईड लाइन्‍स देते हुए कि साहब कौन ले सकता है, कौन नहीं ले सकता है। हमें नहीं मालूम अज्ञानतावश हो रहा है, मैं ये नहीं मानता क्‍योंकि हमारे आपके दोस्‍त कई हैं, आईएएस में हैं, काबिल लोग हैं, काबिल अफसर हैं तो अज्ञानता तो नहीं है सरकार में, सरकारें हमने भी चलाई हैं, हर चीज का ज्ञान मंत्री को नहीं होता, प्रधानमंत्री को भी नहीं होता, बुरा नहीं माने प्रधानमंत्री, उनको भी नहीं है। अफसरों को होता है, लेकिन दबाव है, अज्ञानता है, किसका दबाव है ये हमें नहीं मालूम। वैज्ञानिक रिसर्च के माध्‍यम से ये निर्णय नहीं लिया गया, ये हम दाबे के साथ कह सकते हैं, लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ खेला गया ये हम दाबे के साथ कह सकते हैं, किसकी सलाह थी, किसका दबाव था? आप लोग भी ढूंढ़ि‍ए, जो सामने दिख रहा है वो ये था कि 6 एनजीओज़, 6 के 6 एनजीओज़ की निर्भरता इस कंपनी पर, रॉयल डीएसएम पर और रॉयल डीएसएम अब फोर्टिफाइड राइस इस देश को खिला रहा है, ये एक लाईन में पूरी कहानी है।

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