अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज एक बहुत महत्वपूर्ण विषय लेकर हम आपके सामने उपस्थित हुए हैं और जो हमारा मूल शीर्षक है आज की प्रेस वार्ता का, वो है ये जो 7 का अंक है, ये भारत सरकार और मोदी के साथ चिपक चुका है। अगर हम बात करें मुद्रास्फीति महंगाई की दर, जिसकी कल घोषणा हुई, वो 7.01 प्रतिशत। अगर हम बात करें बेरोजगारी की दर सीएमआईई ने निकाली वो 7.8 प्रतिशत। अगर हम बात करें एक जनवरी से लेकर अब तक रुपए में कितना ह्राश हुआ, रुपया कितना डेप्रिशियेट हुआ, तो वो 7 प्रतिशत। एक जमाना था हमारे साथ भी 7 का अंक चिपका था 2004 से 2014, पर हमने उसको चिपकाया था जीडीपी की विकास दर में। हमारी जो एवरेज ग्रोथ रेट है 2004 से 2014, वो 7 प्रतिशत से ज्यादा रही थी। हमने भी 7 को लिया था, पर वो लिया था हमने देश की जीडीपी विकास दर में, महंगाई की दर में नहीं, रुपए के हाश में नहीं, बेरोजगारी की दर में नहीं।
साथियों, कल जो महंगाई दर के आंकड़े घोषित हुए, उसके बाद ये प्रतीत होता है कि जैसे-जैसे महंगाई की दर इकॉनोमी में बढ़ती जा रही है, वैसे के वैसे मोदी सरकार की अयोग्यता incapability and incompetence to handle economy देश के सामने आ रही है। हाँ, मोदी सरकार का एक काम जरुर जोरों-शोरों से चल रहा है, पोलराइजेशन की राजनीति, डिस्हार्मेनी की राजनीति। जबकि महंगाई की दर से देश को निजात दिलाने की बात हो, बेरोजगारी की दर कम करने की बात हो, गिरते हुए रुपए को रोकने की बात हो, वहाँ पर वो मौन बैठी हुई नजर आ रही है।
मैं कुछ आंकड़े लेकर आया हूं और ये सारे आंकड़े भारत सरकार ने जो कल अपनी प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, उसमें से लिए हैं।
देश ने पिछले महीने जून, 2022 में बेरोजगारी की दर देश में 7.8 प्रतिशत थी और 25 लाख लोगों ने अपनी नौकरी सिर्फ जून, 2022 में खोई है। ये मैं नहीं कह रहा, ये सीएमआईई का आंकड़ा है कि 25 लाख लोगों ने सिर्फ एक माह में अपनी नौकरी खोई है। जब नौकरी खो रही है, लोगों की लगातार नौकरी जा रही है, उसमें आग में घी का काम कर रहा है लगातार बढ़ती हुई महंगाई की दर। महंगाई की दर लगातार पिछले 33 महीनों से अगर मैं बात करुं तो रिजर्व बैंक का जो मेन टारगेट है, 4 प्रतिशत उससे ज्यादा है और पिछले 6 महीने से महंगाई की दर रिजर्व बैंक की जो अपर लिमिट है 6 प्रतिशत उससे लगातार ज्यादा चल रही है।तो The BJP had bought about a doom with 7s. ये 7 का आंकड़ा उनके अभाग्य को, उनकी अयोग्यता को दर्शाता है। जब रुपया डेप्रिशियेट करता है 7 प्रतिशत पिछले 6 महीने में, रिटेल इन्फ्लेशन लगातार 7 प्रतिशत से ज्यादा बना हुआ है। अप्रैल में, मई में, जून में लगातार 7 प्रतिशत से ज्यादा बना हुआ और बेरोजगारी की दर लगातार 7 प्रतिशत से ज्यादा और बढ़ती जा रही है महीने दर महीने और ये सारे जो डेटा प्वाइंट हैं, इन डेटा प्वाइंट के बावजूद BJP government is in deep slumber, वो इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। एक और रोचक तथ्य आपको बताना चाहता हूं। जब महंगाई का आंकड़ा आया कल, 7.01 प्रतिशत रिटेल महंगाई का, मुझे उम्मीद थी कि देश की वित्त मंत्री इसके बारे में कोई टिप्पणी करेंगी। पर उन्होंने महंगाई के आंकड़ों को जारी होने के बाद 7 ट्वीट किए और सारे ट्वीट उन्होंने नासा के फोटो बताए देश को कि नासा में जो तारे हैं, सौरमंडल है, हवाएं हैं, वो कैसी चल रही हैं दूसरे ब्रह्मांड के दूसरे तारों पर, दूसरे ग्रहों पर। वित्त मंत्री जी अच्छी बात है आपको ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों में आपको इंटरेस्ट है, अच्छा लगा ये सुनकर, पर हिंदुस्तान में आपका इंटरेस्ट क्यों नहीं है? आपका और आपकी सरकार का क्या प्रपोजल है, क्या एक्शन प्वाइंट है कि हम जो 7 प्रतिशत इन्फ्लेशन है, इससे बाहर आ सकें? लगातार गिरते हुए रुपए को डॉलर के मुकाबले रोक सकें, बेरोजगारी की दर जो 7.8 प्रतिशत पर है, उसको हम नीचे ला सकें, इसके बारे में क्या एक्शन प्वाइंट हैं? हाँ, 7 ट्वीट जरुर करें नासा के फोटो का।साथियों, कल जो सीपीआई का डेटा रिलीज किया सरकार ने, उसमें रिटेल इन्फ्लेशन 7.01 प्रतिशत रहा और अगर हम अप्रैल, मई और जून इन तीन महीनों का एवरेज देखें, तो देश में इन्फ्लेशन 7.3 प्रतिशत है। रुरल इन्फ्लेशन जो हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था है ग्रामीण क्षेत्रों में जो इन्फ्लेशन है, वो देश के एवरेज से ज्यादा है। देश का एवरेज इन्फ्लेशन है 7.01 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में इन्फ्लेशन है 7.09 प्रतिशत। मतलब गांव में महंगाई शहरों से ज्यादा है। ध्यान रखें महात्मा गांधी जी ने कहा था कि भारत गांवों का देश है। हमारे देश की 70 प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है। जिनके लिए महंगाई दर 7.01 प्रतिशत नहीं है, 7.09 प्रतिशत है। रुरल अनएम्प्लोयमेंट रेट, ग्रामीण बेरोजगारी दर वो भी देश की एवरेज बेरोजगारी दर से ज्यादा है। देश में एवरेज बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत है और ग्रामीण क्षेत्रों में 8.03 प्रतिशत है। मतलब शहरों से ज्यादा बेरोजगारी गांवों में, शहरों से ज्यादा महंगाई गांवों में। ये मोदी सरकार का विकास का और आर्थिक अर्थनीति का मॉडल है।
फिर आगे चलते हैं लगातार पिछले 33 महीनों से रिजर्व बैंक का जो मेन टारगेट है महंगाई दर का 4 प्रतिशत, उससे हमारी महंगाई दर पिछले 33 महीनों से ज्यादा है। पिछले 6 महीनों से हमारी महंगाई दर जो अपर बैंड है रिजर्व बैंक का 6 प्रतिशत उससे भी ज्यादा है। और तो और साथियों, मैं नहीं कह रहा रिजर्व बैंक का टारगेट है कि जुलाई, अगस्त, सितंबर में महंगाई की दर 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, मतलब अभी से भी ज्यादा। ये मैं नहीं कह रहा, ये रिजर्व बैंक का टारगेट है और फूड इन्फ्लेशन, खाने-पीने की महंगाई 7.75 प्रतिशत है और सब्जियों में महंगाई दर है 17.37 प्रतिशत अर्थात् पहले हमारी थाली में से रोटी छीनी मोदी सरकार ने, आटे पर जीएसटी लगाकर। अब उन्होंने सोचा रोटी तो छीन ली, पर फिर भी सब्जी तो है अभी, तो सब्जी पर महंगाई दर देश में 17.37 प्रतिशत। क्या आपमें से किसी का भी वेतन, आय पिछले एक साल में 17 प्रतिशत से बढ़ी है, पर सब्जियों की महंगाई दर 17 प्रतिशत से बढ़ी है। ये मैं नहीं भारत सरकार के आंकड़े कह रहे हैं। 25 लाख लोग पिछले महीने जून, 2022 में अपनी नौकरी खोते हैं। 11 हजार लोगों को स्टार्टअप से फायर किया जाता है। ये सारे आंकड़े पब्लिक डोमेन में हैं। रुपए आज 79.66 रुपए पर डॉलर पर खड़ा है, 80 कभी भी पार कर सकता है। जीडीपी ग्रोथ रेट अपने निम्नतम लेवल पर रखी गई है और उसके बाद इस सारे इशू में हमारी जो मोदी सरकार है, हमारी वित्त मंत्री हैं, वो इन इशू पर बात नहीं करती है, वो नासा की फोटो में दूसरे ब्रह्माणों के रंग पर उनका फोकस है, और तो और इस सारे आंकड़ों के दौरान एक और चीज निकल कर सामने आई कि भारत सरकार ने 47 वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में 5 प्रतिशत जीएसटी आटे पर, दहीं पर, पनीर पर, छाछ पर, मूली पर लगाने का काम मोदी सरकार ने किया।
इस बाबत हमारे तीन सवाल हैं, बड़े स्पेसिफिक सवाल हैं प्रधानमंत्री जी से-
प्रधानमंत्री आपका लोगों को इस महंगाई से राहत देने का क्या फार्मूला है, जो लगातार पिछले 6 महीनों से महंगाई की दर, रिटेल इन्फ्लेशन 7 प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है, उससे लोगों को राहत देने का आपका क्या फार्मूला है? क्या आपका महंगाई से लोगों को राहत देने का एक ही फार्मूला है कि आटे पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगा दो? हमारा दूसरा सवाल है कि जब रुपए अपने निम्नतम लेवल पर आ चुका है डॉलर के मुकाबले, जब बेरोजगारी की दर गांवों में 8 प्रतिशत से ऊपर पहुंच चुकी है, जब रिटेल इन्फ्लेशन 7 प्रतिशत पर है, मोदी जी और वित्त मंत्री जी आप कोई इस पर अपना ब्लू प्रिंट, इन समस्याओं से देश की अर्थनीति कैसे बाहर निकलेगी, इसका ब्लू प्रिंट देश के सामने क्यों नहीं रखते हैं? क्यों आप दोनों ने मौन व्रत लिया हुआ है, क्यों इन चीजों पर बात करने से कतराते हैं? तीसरा और महत्वपूर्ण बिंदु, जब रिजर्व बैंक कह रहा है कि अगले तीन महीने अर्थात्, जुलाई, अगस्त, सितंबर, पिछले 6 महीने से भी ज्यादा भयानक होने वाले हैं, क्योंकि पिछले 6 महीने में एवरेज महंगाई दर थी 7.3 प्रतिशत और आगे के तीन महीने का फोरकास्ट रिजर्व बैंक का 7.4 प्रतिशत का है, तो गवर्मेंट के माइंड में क्या उपाय हैं, वो देश के सामने क्यों नहीं रखते?