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अपराध गुडगाँव फरीदाबाद

खिड़की दौला 57 लाख रिश्वत कांड की जांच की आंच दो सीनियर आईपीएस अधिकारी तक पहुंचा, इंस्पेक्टर विशाल जल्द होगा अरेस्ट   

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: खिड़की दौला थाने के एसएचओ रहे विशाल के 57 लाख रूपए रिश्वत लेने के मामले में फरीदाबाद विजिलेंस ब्यरों ने एक आरोपित को अरेस्ट किया हैं। इस आरोपित का नाम कृष्णा यादव हैं और यह आरोपित उस फार्म हॉउस का मालिक हैं जहां पर इस पूरी संगीन वारदात को अंजाम दिया गया था। इस केस में भ्रष्टाचार अधिनियम के साथ अब अवैध वसूली , अपहरण व एक मत होकर इस वारदात को अंजाम देने के भी कई धाराओं को जोड़ दिया गया हैं। आरोपित कृष्णा यादव इस पूरे प्रकरण में खिड़की दौला थाने के एसएचओ रहे विशाल सिंह व हेड कॉस्टेबल अमित के बिल्कुल साथ-साथ था। इस केस में आरोपित विशाल की कभी गिरफ्तारी हो सकती हैं। 

इस रिश्वत कांड की जांच की सुई अब तो दो बहुत बड़े आईपीएस अधिकारियों तक पहुंच गई हैं । इन  दोनों आईपीएस में से एक जूनियर हैं और एक इसके ऊपर का अधिकारी हैं। अब विजिलेंस ब्यरों की टीम खिड़की दौला थाने के एसएचओ रहे विशाल सिंह की तलाश की जा रहीं हैं। इसके गिरफ्तारी से पूरी तरह से साफ़ हो जाएगा। अभी तक जांच में आई बात से यही लग रहा हैं कि इंस्पेक्टर विशाल सिंह को सिर्फ मोहरा बनाया गया हैं। असल में असली खिलाडी तो पर्दे के पीछे  दोनों आईपीएस अधिकारी हैं। इनमें एक आईपीएस तो अच्छे पोस्ट पर हैं और दूसरा आईपीएस इससे नीचले पोस्ट पर यानी की जूनियर पोस्ट पर हैं जो  असली खिलाडी हैं। इस बड़ी रिश्वत कांड के प्रति मुख्यमंत्री मनोहर लाल बिल्कुल गंभीर नहीं हैं यदि होते तो इस की जांच एडीजीपी या डीजीपी रैंक से करवाते या सीबीआई से भी करवाया जा सकता हैं। इस वक़्त एक इंस्पेक्टर जोकि एक एसपी की देख रेख में कार्रवाई किया जा रहा हैं। क्या एक इंस्पेक्टर को दूसरा इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई कर सकता हैं,क्या एक एसपी स्तर अधिकारी दूसरे एसपी स्तर के अधिकारी से पूछताछ या उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता हैं। बिल्कुल नहीं,फिर ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल अब तक किसी सीनियर आईपीएस अधिकारी को इस केस की जांच क्यूंकि नहीं सौपी हैं।  

इतने बड़े स्तर व्यापारी नवीन भूटानी से तीन करोड़ रूपए का रिश्वत मांगना क्या उचित हैं। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपना स्थिति साफ़ कर देना चाहिए। अभी तक यही देखा गया हैं कि भ्रष्टाचार के नाम पटवारी , क्लर्क, हवलदार , एएसआई व सब इंस्पेक्टर व किसी विभाग के कनिष्ठ अभियंताओं को छोटी मोटी रिश्वत लेते हुए पकड़ कर जेल भेज दिया हैं , और भ्रष्टाचार मुक्त हरियाणा का ढिंढौरा पूरे पीट रहे हैं। क्या अभी विजिलेंस टीम ने किसी भी आईएएस और आईपीएस के खिलाफ को भ्राष्टाचार के मामले में पकड़ा हैं, अब तो खिड़की दौला थाना 57 लाख रूपए रिश्वत कांड में दो आईपीएस का नाम आया हैं। अब तो इनसे बड़े अधिकारियों को इस केस की जांच सौप दे। जोकि जांच में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें जेल में धकेला जा सकें।  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों आईपीएस अब भी अपने पदों बने हुए हैं। कल सीएम मनोहर लाल ने मीडिया से बड़ी यकीन के साथ कहा था कि आरोपित इंस्पेक्टर विशाल सिंह कहा जाएगा होगा तो गुरुग्राम में होगा, उसे जल्द ही अरेस्ट कर लिया जाएगा। इसके बाद आगे की  कार्रवाई आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ किया जाएगा। क्या इन पदों पर रह कर किसी भी आईपीएस अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती हैं। जरा तो सोचे आप। मिली जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता नवीन भूटानी से खिड़की दौला थाने के एसएचओ रहे विशाल ने कृष्णा यादव के फार्म हॉउस पर अवैध रूप से बंधक बना कर उसके साथ  बेहरमी से उसकी मार पिटाई की,फिर उससे इंस्पेक्टर विशाल सिंह ने तीन करोड़ रूपए की मांग की। इस के बाद पीड़ित नवीन भूटानी ने अपने परिचित को वहीँ से फोन किया। उसे आपबीती बता कर 3 करोड़ रूपए जल्द ही एकत्रित करने के लिए कहा। फिर किसी परिचित ने पुलिस के किसी जानकार बहुत बड़े एक पुलिस अधिकारी से इस बारे में जिक्र किया और उनसे मदद की गुहार लगाई। फिर उस अधिकारी ने गुरुग्राम के किसी पुलिस के बड़े अधिकारी को इस बारे फोन से बताया कि खिड़की दौला थाने का एसएचओ विशाल सिंह एक व्यापारी नवीन भूटानी  से गलत कर रहा हैं और वह उससे तीन करोड़ रूपए की मांग कर रहा हैं।

इस बात से  गुरुग्राम पुलिस प्रशासन में घबराहट पैदा हो गई। इसके बाद इंस्पेक्टर विशाल ने पीड़ित/ शिकायतकर्ता व्यापारी नवीन भूटानी से एक करोड़ रूपए की जल्द देने मांग की। इसके लिए उसे लगातार दो दिनों तक फार्म हॉउस पर बंधक बना कर उसे पुलिस प्रताड़ित करती रही। यह बात और ज्यादा और ज्यादा ना फैले इस उस दौरान नवीन भुटानी के जानकार के पास कुल 57 लाख रूपए इकठ्ठा हुआ था और इकठ्ठा हुआ 57 लाख रूपए इंस्पेक्टर विशाल को थाने के गेट पर एक गाड़ी में दे दिया गया। इसके बाद पीड़ित व्यापारी नवीन भुटानी को छोड़ दिया गया और वह अपने बीएमडब्लू कार में सवार होकर अपने घर चला गया। पर उसका लेपटॉप,कार के कागजात और अन्य जरुरी कागजात इंस्पेक्टर विशाल के पास ही रह गया था। व्यापारी नवीन भुटानी हेड कॉस्टेबल अमित को फोन करके अपने लेपटॉप व कागजात की मांग कर रहा था। क्यूंकि इस पूरे प्रकरण में हेड कॉस्टेबल अमित इंस्पेक्टर विशाल के साथ काम कर रहा था से अपना लेपटॉप व कागजात मांगा तो उसने इस एवज में उससे 10 लाख रूपए की मांग की, यह 10 लाख रूपए दो बार में 5 -5 लाख रूपए देना तय हुआ। इस बीच पीड़ित नवीन भूटानी ने आप बीती विजीलैंस के बड़े अधिकारी को बताई और उसे रंगे हाथों पकडने की योजना बनाई जैसे वह 29 दिसंबर 2020 को हेड कॉस्टेबल अमित को  5 लाख रूपए की पहली किश्त हेड कॉस्टेबल अमित को दिया तो घात लगाए विजीलैंस की टीम ने उसे रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। इसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ हैं। यह मालूम हुआ हैं कि रिश्वत के मिले 57 लाख रूपए में से 50 लाख रूपए एक सीनियर आईपीएस अधिकारी के पास पहुंचाए गए थे।     

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