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गुडगाँव हरियाणा

हरेरा के अध्यक्ष के के खंडेलवाल ने मैसर्स विपुल लिमिटेड के खिलाफ एक जांच आयुक्त नियुक्त किया है ताकि पूछताछ की जा सके

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चण्डीगढ़: हरियाणा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (हरेरा), गुरुग्राम के अध्यक्ष डा. के.के.खण्डेलवाल ने कहा है कि योजना, विनिर्देशों और समय सीमा से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं करवाना रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 का उल्लंघन माना जाएगा और ऐसा करने वाले प्रमोटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह जानकारी हरेरा बैंच की गत दिवस हुई एक बैठक में दी गई, जिसमें हरेरा के अध्यक्ष डॉ. खण्डेल वाल के अतिरिक्त हरेरा सदस्य एस.सी. कुश और  समीर कुमार भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के पास बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें दर्ज की जा रही हैं, जिनमें प्रमोटर्स द्वारा आबंटियों के साथ अुनचित एवं दुर्यव्हार  करने से सम्बन्धित गम्भीर आरोप लगाए गए  हैं। यह देखा गया है कि जब कभी आवंटी प्रमोटर या उनके प्रतिनिधियों से संपर्क करते हैं तो उन्हें जानकारी नहीं दी जाती और यदि दी जाती है तो वह अधूरी होती है। आवंटियों को साइट पर जाने का अधिकार है और वे स्वयं निर्माण की गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं। लेकिन, लगातार अनुरोध करने के बाबजूद ऐसा कोई अवसर आवंटी को नहीं दिया जाता है और जब कभी आवंटी साइट पर जाते हैं तो प्रमोटर्स के सुरक्षा गार्ड न केवल उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं, बल्कि कई बार उनके साथ दुर्यव्हार  भी करते हैं।

आवंटियों के साथ किया गया यह व्यवहार न केवल अवैध एवं आपत्तिजनक है, बल्कि शालीनता के खिलाफ भी है।इसके अतिरिक्त, प्रमोटर का कस्टमर रिलेशन मैनेजमैंट विभाग भी सही और स्वागत योग्य तरीके से जवाब नहीं देता है। विभाग की प्रतिक्रिया कई बार पूरी तरह से नकारात्मक होती है और आवंटियों को न केवल असुविधा का सामना करना पड़ता है, बल्कि मानसिक पीड़ा से भी गुजरना पड़ता है। प्राधिकरण ने अपनी कार्यवाही के दौरान यह भी पाया है कि प्रमोटर के प्रतिनिधि आवंटी को धमकी भरे ढंग से फटकार एवं डांट लगाते हैं। इस प्रकार का द्वेषभाव स्पष्ट दिखाई देता है और रियल एस्टेट, जो वर्तमान में उपभोक्ता की कम मांग और विश्वास के कारण नाजुक चरण से गुजर रहा है, के विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।ग्राहकों के साथ बुरा-व्यवहार, अधिनियम में दिए गए  उनके अधिकारों से उन्हें वंचित करना और आवंटी को अपेक्षित जानकारी उपलब्ध न करवाया जाना रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 का उल्लंघन माना जाएगा और प्रमोटर को सख्त कार्रवाई और दण्ड का सामना करना होगा।प्रमोटर की इस तरह की लापरवाही और ढीले रवैये पर संज्ञान लेते हुए प्राधिकरण ने दो प्रतिष्ठित प्रमोटर्स नामत: ईएमएएआर और जेएमडी को अपने कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमैंट विभाग को प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश दिए हैं ताकि आवंटियों के साथ सम्मान और अनुग्रह के साथ व्यवहार किया जाए। चूंकि ये आवंटी ही हैं, जो अपनी मेहनत की कमाई को परियोजना की इकाइयों को खरीदने में लगाते हैं और बदले में प्रमोटर को बेचने और मुनाफा कमाने में मदद करते हैं।हरेरा, गुरुग्राम रेरा अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए आवंटियों /ग्राहकों के साथ व्यवहार करने के संबंध में प्रमोटरों और उनके कर्मचारियों के लिए एक आचार संहिता को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा ग्राहक को भगवान बताया गया है, 

ऐसी ही भावना रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रबल होनी चाहिए। प्राधिकरण प्रमोटर्स और उनके कर्मचारियों को अधिनियम में प्रदत्त आवंटियों के अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के बारे में शिक्षित करने के लिए कार्यशाला भी आयोजित करेगा। आवंटियों को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों और प्रमोटर के प्रति उनके दायित्वों के बारे में भी अवगत कराया जाएगा। इस तरह की जागरूकता से मिलेनियम सिटी, जो कि आवासीय, वाणिज्यिक, साइबर आईटी और औद्योगिक परिसरों के भावी गंतव्य के रूप में जानी जाती है, में रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी।इससे पूर्व, एक निष्पादन याचिका में रियल एस्टेट क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ी नामत: मैसर्ज ईएमएएआर एमजीएफ लिमिटेड के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद प्रमोटर द्वारा लगभग दो करोड़ रुपये की डिक्री दी गई।विभिन्न प्रमोटर्स से संबंधित लगभग 35 मामलों में, एक आदेश पारित किया गया है ताकि शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए मध्यस्थता के संबंध में प्राधिकरण के आदेशों के अनुपालन में मध्यस्थता केंद्र के समक्ष उपस्थित होने के लिए पार्टियों को निर्देश दिए  जा सके। निपटान राशि लगभग 150 करोड़ रुपये हो सकती है।अधिनियम की धारा 35 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्राधिकरण ने मैसर्स विपुल लिमिटेड के खिलाफ एक जांच आयुक्त नियुक्त किया है ताकि उन परिस्थितियों के बारे में पूछताछ की जा सके, जिनके तहत वैधानिक प्रावधान के अनुसार समय पर कब्जा नहीं दिया गया था और साथ ही आवेदन करने के साथ-साथ आवेदन प्राप्त करने की तिथि पर कब्जा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवश्यक विकास कार्यों की कमी की जांच की जा सके। इस संबंध में प्राधिकरण ने प्रमोटर के खिलाफ मुकदमा चलाने की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।इसी प्रकार, दायर शिकायत के जवाब को दाखिल करने में गैर-जरूरी देरी के लिए मैसर्ज वाटिका लिमिटेड और मैसर्ज अंजली प्रमोटर्स एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भारी जुर्माना लगाया गया था। इससे स्पष्ट होता है कि रेरा के कार्यान्वयन ने भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र की गतिशीलता को बदल दिया है, जिससे खरीदारों और निवेशकों का विश्वास और अधिक मजबूत हुआ है। अधिनियम डेवलपर्स और उपभोक्ताओं, दोनों में सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में सक्षम है।

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