अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:जब मेरी बेटी स्कूल की बस उतरी तो उसके नजदीक एक दिन जहरीला सांप कोबरा और दूसरी बार में गुहेरा बिल्कुल नजदीक आ गया और इन सब से मेरी बेटी की जान बहुत ही मुश्किल से बच पाई थी। ये वाक़्या बिल्कुल उनके घर के सामने का था। इससे आप साफ तौर पर अंदाजा लगा सकतें हैं कि इन हालतों में अपने बेटी को देख कर एक मां-बाप के ऊपर उस वक़्त क्या गुजरी होगी। एक बार तो उनके दिमाग में ये भी आ गया था,कि उनकी बेटी के साथ ये जहरीला सांप अपने डंक का शिकार बना ही डालेगा।
ये खौफनाक मंजर कई दिनों तक उनके दिमाग घूमता ही रहा था। इसके बाद उन्होनें ये संकल्प लिया की अपने घर के आसपास में जो भी झाड़ियां हैं उसे पूरी तरह से साफ़ करके रहेंगें और हरियाली को पेड़ -पौधे लगा कर बढ़ाएंगे। ये कहना हैं ग्रीन फिल्ड कॉलोनी,फरीदाबाद के प्लाट न.1462 के एक फ्लैट में रहने वाले धर्मेंद्र विधूड़ी का।
धर्मेंद्र बिधूड़ी का कहना हैं कि वह लोग दिल्ली के तुगलकाबाद के रहने वाले हैं,वहां पर अब भी उनकी दादालाइ प्रॉपर्टी हैं और उनके परिवार के अन्य सदस्य गण रहते हैं। वह अपने परिवार के साथ वर्ष -2017 में फरीदाबाद की ग्रीन फिल्ड कॉलोनी के प्लाट नंबर -1462 के पहली मंजिल पर एक फ्लैट खरीद कर शिफ्ट हो गए थे। मेरे परिवार में मेरी मम्मी छन्नों देवी (82), पत्नी कविता बिधूड़ी, बेटी सृष्टि व छोटी बेटी धर्मिता बिधूड़ी हैं। अपने दोनों बेटियों का अरावली इंटर नेशनल स्कूल में एडमिशन करवाया था। उनकी दोनों बेटियां स्कूल बस से ही आती -जाती हैं। उनका कहना कहना हैं कि उनके फ्लैट के सामने खाली प्लाटों में काफी झाड़ियां थी जिसकी उंचाई लगभग 8-8 फुट थी। साथ में यहां सड़कें भी काफी टूटी-फूटी हुई थी।
गंदगी का भी आलम था। एक दिन जब मेरी दोनों बेटियां सृष्टि और धर्मिता स्कूल बस से घर के सामने उतरी तो एक दम से जहरीला सांप व गुहेड़ा को बिल्कुल नजदीक देखा, को नजदीक देखकर एक दम से मेरी बेटियों के होश उड़ गए। उसे बिल्कुल उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह करें तो क्या करें। स्कूल बस भी जा चुकी थी, उस वक़्त इस सड़क से लोग भी काफी कम गुजरते थे। फिर भी जैसे -तैसे मेरी दोनों बेटियां बच कर अपने फ्लैट के अंदर घुस आई । ये बातें सुन कर वह तो बिल्कुल सन रह गए। उसी दिन से उनके दिमाग में ये बातें चलने लग गया था। उनके दिमाग ये भी बातें आई की आज तो मेरी बेटियां तो ईश्वर की कृपा से तो बच गई पर आने वाले समय में और किसी का बच्चा इन जहरीला सांप का शिकार ना हो जाए। ऐसे में उनके दिमाग में एक दिन ख्याल आया की क्यों ना अपने पॉकेट को साफ़ सुथड़ा बनाया जाए और खाली प्लाटों को साफ़ सुथड़ा करके उसे बैठने के लिए बनाया जाए। इस दिशा में एक सुंदर सोच के साथ में उन्होनें अपना कार्य शुरू कर दिया।
उनका कहना हैं कि शुरुआत में वह तो बिल्कुल अकेला ही चले थे इस मुहीम में,इसके बाद उनके सुंदर सोच का सम्मान करते हुए आसपास के काफी लोग उनके साथ जुड़ गए। लोगों के जुड़ने से उनका हौसला और ज्यादा बढ़ गया और सभी लोगों ने आपस में मिलकर सबसे पहले फ्लैट के सामने वाले खाली पड़े प्लाट की सफाई की और एक पार्क टाइप से उसे सुंदर बनाया गया। इसके बाद उन्हीँ के पॉकेट में रहने वाले एक शख्स ने प्लाट के मालिक से शिकायत कर दी की,उनकी प्लाट पर कुछ लोगों के द्वारा कब्ज़ा किया जा रहा हैं। उसकी इस शिकायत के बाद प्लाट मालिक अपने प्लाट पर आकर देखा तो उन सभी लोगों का दिल से धन्यवाद किया और कहा कि मेरा काम आप लोगों ने आसान कर दिया हैं प्लाट साफ़ करके। इसके बाद वह लोग दूसरी प्लाट की सफाई करने का बीड़ा उठाया तो उसी शख्स ने फिर से उस प्लाट के मालिक जोकि बिल्डर हैं को शिकायत कर दी हैं, वह भी अपने प्लाट पर आया और देखा। और उसने अपने प्लाट के आगे एक अर्थमूभर मशीन से खुदाई करवा दिया। जिससे लोग उनके प्लाट पर ना जा सकें। अब तो उन दोनों प्लाटों पर बिल्डिंगें बन रही हैं।
उनका कहना हैं कि उनके इस पॉकेट का मुख्य रास्ता गेट न. 15 की तरफ से हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के सहयोग से सेमेंटेट सड़कें आधी ही बन पाई। इसके बाद उन्होनें उनके ग्रुप ने आपस में फंड एकत्रित करके अपने पॉकेट को साफ़ -सफाई और पेड़ पौधे लगाकर सुंदर और हरा भरा बनाने की दिशा में कार्य शुरू किया। सबसे पहले उनके ग्रुप के सदस्यों ने अपने गेट को सजाने का कार्य किया। वहां पर गेट की पेंटिंग की गई, फिर जंजीरों को डिजाइन के लिए गेट के दोनों तरफ लगाया गया और एक बेहतरीन बोर्ड भी लगाईं गई। फिर सड़क के दोनों तरफ तार फेंसिंग करके, उसमें सफाई करने के बाद, तीन ट्रक मिटटी भरी गई। इसके बाद मिट्टी को लेवल में करके उसमें पेड -पौधे को ट्री गार्ड सहित लगाईं गई,
ताकि पेड़ -पौधे लम्बें समय तक सुरक्षित रह सकें। इस हर भरे स्थान को “तुलसी गार्डन” का नाम दिया गया। उनका कहना हैं कि इसके लिए वहीँ शख्स ने उनके साथ गाली- ग्लौज की और मारपीट करने के लिए उकसाया। जब मारपीट हो गई तो उनके ऊपर झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया। इस झगड़े में जिन जिन लोगों को आरोपित बनाया गया हैं असल में वह लोग झगड़े वाले दिन मौके पर थे ही नहीं, वह खुद नहीं थे जिसको वह सभी लोग आज भी फेस कर रहे हैं। उनका कहना हैं कि शिकायत कर्ता ने जहां भी उनकी इन कामों की शिकायत की ये बता कर की हैं कि वह तुग़लकाबाद , दिल्ली का गुर्जर हैं और आपकी प्लाटों पर कब्ज़ा कर रहा हैं। जबकि इसकी ये शिकायत बिल्कुल सफ़ेद झूठ हैं।
धर्मेंद्र बिधूड़ी बतातें हैं कि वह सन 1998 में उन्होनें होटल मैनेजमेंट करने के बाद दुबई 6 साल, लंदन में 3 साल, अमेरिका में दो साल तक बड़े -बड़े होटलों में विभिन्न पदों पर नौकरी की, जहां पर उन्हें देश -दुनिया के टॉप 10 लोगों से मिलने का मौका मिला। इसके बाद वह वर्ष -2009 में एमबीए का कोर्स किया। इसके बाद वह देश के जाने माने कई कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों पर रह कर नौकरियां की हैं। अंत में उन्होनें डीएलएफ, गुरुग्राम में कुछ वक़्त पहले ही जॉइन किया था और पिछले साल जून-2020 में कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन में एक महीने की नोटिस देने के बाद उन्हें नौकरी से हटा दिया। तब से लेकर अब तक वह अपने घर पर खाली बैठे हैं। और अब वह फिर से नए नौकरी की तलाश कर रहे थे। उनका कहना हैं कि उनकी धर्म पत्नी कविता बिधूड़ी दिल्ली में जेबीटी टीचर हैं।
वह काफी समय से स्कूल बंद होने से घर पर खाली बैठी हुई थी। वह लगभग ढेड़ महीने पहले फिर से स्कूल जॉइन की हैं। उनका कहना हैं कि जो लोग मुझे गुर्जर बता कर बदमाश की तरह पेश कर बदनाम कर रहे हैं, उन्हें सोचना चाहिए की बरादरी कोई भी हो, सभी लोग एक जैसे तो नहीं होते। ऐसे में एक शरीफ इंसान को बदमाश और माफिया बताना उचित नहीं हैं। इस बात की सजा उस शख्स को ईश्वर एक जरूर देगा । उनका कहना हैं कि उस शख्स की मदद आसपास के ही लोग करेंगें, जिसे इस वक़्त वह शख्स अपना दुश्मन मान रहा हैं। पडोसी रिश्तेदारों से बढ़ कर होते हैं। क्यूंकि वह हर वक़्त दुःख सुख के साथी होते हैं। और रिश्तेदार लोग तो बुलाने पर आते हैं तब तक जरुरत के समय बहुत लेट हो जाती हैं।
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