अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान व अन्य फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी के ऐलान को नाकाफी बताया है। उन्होंने कहा कि यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। धान की एमएसपी में मात्र 69 रुपए यानी 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जबकि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान हर साल लगभग 14 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी होती थी। यानी कांग्रेस सरकार बीजेपी के मुकाबले लगभग 5 गुणा ज्यादा रेट देती थी।
हुड्डा ने कहा कि भाजपा कार्यकाल के दौरान महंगाई लगातार आसमान छू रही है। पेट्रोल-डीजल के दामों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सिंचाई से लेकर लेबर, ट्रांसपोर्ट, खाद, बीज, दवाई तक हर चीज के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। खेती से भी यह सरकार टैक्स वसूली कर रही है। इतना ही नहीं, लगातार किसानों की फसल मौसम और सरकारी अनदेखी की भेंट चढ़ रही हैं। किसान खेती छोड़कर दिहाड़ी-मजदूरी करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ऐसी हालत में जरूरी है कि सरकार किसानों को उचित रेट, सब्सिडी, टैक्स और कर्ज से मुक्ति दे। अपने वादे के मुताबिक बीजेपी को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करके सी2 फार्मूले के तहत फसलों का रेट देना चाहिए। लेकिन ऐसा करने की बजाए, हर सीजन से पहले एमएसपी में बढ़ोतरी के ऐलान को इस सरकार ने औपचारिकता बनाकर रख दिया है। ना ही रेट में उचित बढ़ोतरी होती है और ना ही जिस रेट का ऐलान किया जाता है, वह किसानों को मिलता है। आखिरकार किसानों को एमएसपी से कम रेट पर निजी एजेंसियों के हाथों लुटना पड़ता है।
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