अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: लिंग्याज विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी) में हर्षोल्लास और परंपरा के साथ लोहड़ी का पर्व मनाया गया। जो एक खुशी और सांस्कृतिक रूप से समृद्धता का प्रतीक है। हंसी की गूँज, अलाव की गर्माहट और पारंपरिक संगीत की लयबद्ध धुनों ने हवा को गुंजायमान कर दिया। इस अवसर पर प्राचीन परंपरा के अनुसार लोहड़ी जलाई गई व उसमें तिल व मूंगफली आदि डालकर परंपरागत गीत गाए गए। इस अवसर पर प्रो-चांसलर प्रो. (डॉ.) एम. के. सोनी, कुलपति प्रो. (डॉ.) राजेश कपूर, प्रो-वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) पी. के. शर्मा, रजिस्ट्रार प्रेम कुमार सालवान और डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर (डॉ.) सीमा बुशरा विशेष रूप से मौजूद रहे।
लोहड़ी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए रजिस्ट्रार प्रेम कुमार सालवान ने बताया कि अकबर काल में पंजाब प्रांत में सैनिकों द्वारा बहू बेटियों को अगवा कर उनको बेचा जाता था। पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाला दूल्ला भट्टी अकबर के सैनिकों का विरोध करता था। दुल्ला भट्टी अकबर के सैनिकों से बहू बेटियों को छुड़वाता था और उनका विवाह दान दहेज देकर करता था, इसलिए शादी के बाद बेटी को प्रथम लोहड़ी पर उपहार दिए जाते हैं। इस अवसर पर सभी स्टाफ सदस्यों ने पंजाबी लोकगीत आज नाच लो सारे मिलजुल के, रह ना जावे कोई साथी व सुंदर मुंदरिये तेरा की विचारा, दुल्ला भट्टी वाला आदि पर खूब नृत्य किया।
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