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फरीदाबाद: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स में राज्य स्तरीय बास्केटबॉल खिलाड़ी के डिसलोकेट हुए घुटने की रीकंस्‍ट्रक्‍शन सर्जरी से किया गया सफल उपचार।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद के चिकित्सकों ने 18 वर्षीय एक ऐसे किशोर का सफलतापूर्वक उपचार किया, जिसका बायां घुटना बास्केटबॉल खेलते समय मुड़ गया था और आगे की ओर खिसक गया था, जिसकी वजह से वह अपने पैरों को मोड़ भी नहीं पा रहा था। डॉ. अशोक धर, एडिशनल डायरेक्टर, आर्थोपेडिक्स, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने रोगी, जो मध्य प्रदेश का राज्य स्तरीय खिलाड़ी है, के घुटने की रीकंस्‍ट्रशन सर्जरी की, जिससे अगले कुछ महीनों में वह फिर से बास्केटबॉल खेलने में सक्षम हो जाएगा। सर्जरी एक घंटे में पूरी हो गई और दो दिन बाद उन्हें स्थिर हालत में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद में भर्ती करने के समय रोगी को बहुत दर्द हो रहा था, उसका बायां घुटना अस्थिर था और उसकी मूवमेंट बहुत कम हो पा रही थी। रोगी के बाएं घुटने की एमआरआई और एक्स-रे किया गया, जिसमें पता चला कि उनके घुटने की हड्डी खिसक (डिसलोकेट) गई है। रोगी की स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया एमपीएफएल विधि (ऐसी सर्जिकल प्रक्रिया जिसमें बार-बार घुटने की हड्डी के खिसकने के उपचार और घुटने (नीकैप) को एक जगह पर स्थिर करने के लिए टिश्‍यू ग्राफ्ट का उपयोग किया जाता है) को अपनाने का निर्णय  किया, जिसमें उनके घुटने की हड्डी (नी कैप) को फिर से जोड़ने के लिए उनके बाएं हैमस्ट्रिंग के टिश्‍यू का उपयोग किया गया। इस विधि को इसलिए अपनाया गया क्योंकि इससे घुटनों की स्थिरता बढ़ती है, बार-बार होने वाले डिस्लोकेशन का जोखिम कम होता है और इसकी वजह से होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। इस चिकित्सा विधि से उपचार के बाद घुटनों की कार्यक्षमता में सुधार होता है और रोगी बिना किसी चिंता के बेहतर जीवन जीने में सक्षम होता है। इस प्रक्रिया में न्यूनतम इनवेसिव तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है, सर्जरी के बाद असुविधा कम होती है और रोगी शीघ्र ही रोजमर्रा की गतिविधियों और खेल-कूद में सक्षम हो जाता है।रोगी की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए एडिशनल डायरेक्टर  डॉ. अशोक धर,ने कहा, ‘‘बास्केटबॉल खिलाड़ियों को बहुत अत्यधिक मूवमेंट करना होता है और अचानक से दिशा बदलने से घुटने को स्थिर रखने वाले सॉफ्ट टिश्‍यू में चोट लगने का जोखिम बढ़ जाता है। घुटने के टिश्‍यू के फटने से घुटना अस्थिर होने के साथ काफी दर्द हो सकता है और घुटने की मूवमेंट सीमित हो सकती हैं। एमपीएफएल रीकंस्‍ट्रक्‍शन प्रक्रिया घुटने की कैप (नी कैप) को सीधा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रीकंस्‍ट्रक्‍श्‍ान सर्जरी का उद्देश्य लिगामेंट के फंक्‍शन को रिस्टोर करना है, जिससे खिलाड़ी को दोबारा चोट लगने के जोखिम को कम करने के साथ ही उच्च-स्तरीय गतिविधि में वापस आने में सक्षम बनाया जा सके। यह प्रक्रिया परफॉर्मेंस को बनाए रखने और लंबे समय तक घुटने को नुकसान पहुंचने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। टिश्‍यू को सटीक जगह पर और सीधा रखने की आवश्यकता के कारण इस तरह की रीकंस्‍ट्रक्‍शन सर्जरी चुनौतीपूर्ण होती है। इसके लिए सर्जरी से पहले सावधानीपूर्वक योजना बनाने और टिश्‍यू को जोड़ने के लिए जरूरी एरिया की सटीक पहचान करने की जरूरत होती है। सॉफ्ट टिश्‍यूज काफी के आसपास का हिस्सा काफी नाजुक होता है ऐसे में किसी प्रकार की जटिलता से बचने के लिए काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। टिश्‍यू की प्‍लेसमेंट और अलाइनमेंट सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है और छोटी से छोटी चूक भी परिणाम खराब कर सकती है। सर्जिकल स्किल्‍स और टैक्निक में निरंतर सुधार इन चुनौतियों को कम करने और सफलता दर में सुधार लाने में मदद करती है। इस मामले में, यदि रोगी का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो उसके घुटने की हड्डी (नी कैप) बार-बार खिसक जाती और उसे गठिया (अर्थराइटिस) हो सकता था।’’फैसिलिटी डायरेक्टर  योगेंद्र नाथ अवधिया ने कहा, ‘‘रोगी की गंभीर स्थिति को देखते हुए यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण मामला था। डॉ. अशोक धर के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने सही दिशा में उपचार किया और इतनी कम उम्र में रोगी को आर्थराइटिस होने से बचाया जा सका। अनुभवी चिकित्सकों और डायग्नोसिस एवं उपचार में सटीकता के लिए एडवांस्‍ड टैक्‍नोलॉजीज से लैस है, जिससे रोगियों को गुणवत्तापूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं।’’

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