अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:अंजना कोविड-19 होने पर मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद में भर्ती हुई।एक महीने तक कोविड-19 का इलाज होने के बाद वह ठीक हो रही थी। कोविड-19 को मात देने के बाद अंजना डिस्चार्ज होने की तैयारी कर रही थी कि उसी रात अंजना को मिर्गी का दौरा आया और उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा। मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुषमा शर्मा के अनुसार मरीज अपनी बाए हाथ पैर को दाएं हाथ पैर के बराबर नहीं हिला पा रही थी। डॉ सुषमा शर्मा ने बताया कि पोस्ट कोविड लकवा एवं स्ट्रोक का शक होने पर और एमआरआई ब्रेन में पाया गया कि ब्रेन के साइड पर क्लॉट एवं खून के थक्के हैं उसी कारण से लकवा का अटैक हुआ है। इसी कारण मिर्गी का दौरा भी आया था। समय पर इलाज होने से अंजना ठीक हो गई।
एक अन्य पेशेंट जीव लाल कोविड से ठीक होने के बाद मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद से डिस्चार्ज हो चुके थे। पोस्ट कोविड लकवा एवं स्ट्रोक एवं हार्ट अटैक से बचने के लिए खून पतला करने की दवाई भी चल रही थी। लेकिन इस सब के बावजूद उन्हें अचानक घबराहट एवं बेचैनी शुरू हुई। और जब उन्हें मेट्रो हॉस्पिटल फरीदाबाद लाया गया तो यह पाया गया कि वह अपनी दाएं बाजू ठीक से नहीं उठा पा रहे थे और लड़खड़ा कर चल रहे थे। एम आर आई किया गया तो पाया गया कि उन्हें ब्रेन में कई छोटे-छोटे खून के थक्के थे। ह्रदय जांच करने पर हृदय में भी ब्लॉकेज पाई गई। मेट्रो अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर एवं डायरेक्टर कार्डियोलॉजी डॉक्टर नीरज जैन ने बताया कि अन्य रिस्क फैक्टर जैसे कि मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, धूम्रपान के अलावा पोस्ट कोविड स्टेट हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक के लिए रिस्क फैक्टर है।
इसलिए यह जरूरी हो जाता है की कोविड से ठीक होने के बाद मरीज अगर छाती में दर्द की शिकायत करता है तो ह्रदय जांच जरूर कराएं। डॉ नीरज जैन ने आगे बताया कि कोविड इंफेक्शन के कारण खून के थक्के जमने की संभावना बढ़ जाती है। जिसके कारण हार्ट अटैक,ब्रेन अटैक,फेफड़े की खून की नाड़ी के बंद होने की संभावना बढ़ जाती है। इन सब बीमारियों का खतरा कोविड से ठीक होने के 3 महीने के बाद तक बना रहता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि अगर किसी मरीज को कोविड हुआ था और वह ठीक हो गया है तो भी समय-समय पर हृदय की जांच कराते रहें और जो मरीज हृदय रोगों से ग्रस्त हैं वह भी अपनी जांच कराते रहें। हार्ट अटैक के लक्षण जैसे कि सीने ,बाजू, पीठ में दर्द, चलने पर सांस फूलना या पसीना आना के महसूस होने पर तुरंत अपने हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
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