अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : सीएम, केंद्रीय राज्य मंत्री, हरियाणा के मंत्रियों, विधायकों व जिला प्रशासन को सभी को अखबारों , न्यूज़ चैनलों बेब पोर्टल पर अपनी ख़बरों को देखने की ललक होती हैं, पर यह खबर छपे गी कैसे ,यह किसी भी मंत्रियों को नहीं मालूम, किसी भी मंत्रियों के कार्यक्रम में न पहुंचने पर कोई भी मंत्री जिला सूचना एंव जनसम्पर्क के कर्मचारियों को धमका देता हैं या तो सस्पेंड करवा देता हैं पर उनसे कारण कोई नहीं पूछता हैं, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर राज्य में यह सब क्या हो रहा हैं भाइयों,इसे जरूर पढ़े ।
खबर हैं कि जिला सूचना एंव जनसम्पर्क विभाग में 68 में से इस वक़्त कुल 8 कर्मचारी ही कार्यरत हैं, ऐसे में आप जरा सोचिए यह लोग कैसे कार्य कर रहे होंगें,जरुरत हैं कार्य कर रहे इन कर्मचरियों के दर्द को समझने की। इस मसले पर जिला उपायुक्त अतुल द्विवेदी का कहना हैं कि जिला सूचना एंव जनसम्पर्क विभाग में जन सूचना एंव जनसपर्क अधिकारी तक नहीं हैं, ऐसे में और कर्मचारियों के बारे में क्या कह सकतें हैं। उनका कहना हैं कि उन्होनें स्टाफ की कमी की के बारे पत्र के माध्यम से चंडीगढ़ में बड़े अधिकारीयों को बता दिया गया हैं पर उसका उस पत्र का कोई असर अभी तक नहीं दिखा हैं। ऐसे में अभी जो भी कर्मचारी कार्य कर रहे हैं,वह लोग काफी मुश्किल दौड़ से गुजर रहे हैं। खबर हैं कि जिला सूचना एंव जनसम्पर्क विभाग में कायदे से डीपीआरओ सहित 68 कर्मचारियों की टीम होनी चाहिए पर इस वक़्त कुल 8 कर्मचारी है। ऐसे में क्या 68 कर्मचारियों का कार्य मात्र 8 लोग कर सकतें हैं, यह तो कतई नहीं हो सकता हैं पर फरीदाबाद के इस कार्यालय में अभी हो रहा हैं।
आपको बताते चलते हैं कि हरियाणा में अभी भाजपा की सरकार हैं और भाजपा के सांसद कृष्णपाल गुर्जर केंद्र में मंत्री हैं, के बाद तीन विधायक हैं। इसके अलावा केंद्र व प्रदेश के मंत्री लोग भी फरीदाबाद में आए आते ही रहते हैं के अलावा जिला प्रशासन का अलग कार्यक्रम होते ही रहते हैं। इन सभी के कार्यकर्मों का कवरेज करके और प्रेस नोट को तैयार करना व फोटों खींच कर अख़बारों के कार्यालय में भेजना, इनकी डियूटी में शामिल हैं। ऐसे में एक दिन में कई -कई कार्यक्रम होते हैं, इन सभी कार्यक्रमों का कवरेज करना कितना मुश्किल होता होगा, यह तो वहीँ कर्मचारी बता सकतें हैं, इस वक़्त उन मुश्किलों को झेल रहे हैं। इस कार्यालय में डीपीआरओ के पद खाली हैं, कई एपीआरओ के पद हैं, ना ही कम्प्यूटर ऑपरेटर हैं और नाही ही कोई फोटोग्राफर हैं। इसके बाद के निचले स्तर पर भी तक़रीबन पद खाली पड़े हैं। बताते हैं कि कई बार कार्यक्रम में लेट होने और किसी अख़बार में प्रेस नॉट नहीं पहुंचने पर बचे हुए कर्मचारियों को मंत्रियों व अधिकारीयों के घोंस भी सहने होते हैं पर इस कार्यालय कर्मचारियों की कमी हैं, इस बारे में कोई भी मंत्री नहीं पूछता हैं और पूरा कराने में कोई मंत्री सहायता करता हैं।
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