अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: एक 40 वर्षीय व्यक्ति बार-बार पैरालाइसिस की समस्या से ग्रस्त होकर परेशानी से जूझ रहा था,जिसका एसएसबी अस्पताल ने सफलतापूर्वक इलाज कर उसे नया जीवन दिया। मरीज को यह परेशानी दिल में हुए एक छोटे से छेद के कारण हो रही थी, जिसके चलते उसे पिछले तीन सालों में बार-बार पैरालाइसिस (शरीर के आधे हिस्से की बार-बार कमजोरी) की शिकायत होती थी। इसी शिकायत के चलते उसे अस्पताल की ओपीडी में लाया गया।
उससे पहले मरीज को कई अस्पतालों और न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाया था और कई स्कैन (एमआरआई, सीटी ब्रेन, 24 घण्टे होल्टर मॉनिटरिंग, 2 डी इको आदि) करवाए थे। इन तमाम जांचों के बाद भी पैरालिसिस का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। इस बीमारी को क्रिप्टोजेनिक स्ट्रोक कहते है। परेशान मरीज एसएसबी अस्पताल की कार्डिएक ओपीडी में लाया गया और फिर अस्पताल में उसका टीईई (ट्रांस एसोफैगल इको) कराया, जहां पता चला कि उन्हें पीएफओ (पेटेंट फोरामेन ओवले) है, दिल में एक छोटा सा छेद, उसके पैर की नसों से छोटे-छोटे थक्के दिल के छोटे से छेद से होते हुए दिमाग में चले जा रहे थे, जिससे पैरालाइसिस हो गया।
डा. एस.एस. बंसल और उनकी हृदय रोग विशेषज्ञ की टीम ने जांघ में एक छोटे से पंचर से बिना सर्जरी के पीएफओ तकनीक से (हार्ट होल) को बंद कर दिया। मरीज अब पूरी तरह से ठीक हो चुका है और वह अपने सामान्य जीवन में लौट आया है। डा. बंसल ने बताया कि समय पर मरीज का इलाज करके भविष्य में पैरालाइसिस को रोकने में मदद की। उन्होंने इस सफल उपचार के लिए अपनी टीम के डॉक्टरों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अस्पताल अत्याधुनिक तकनीक से सदैव हर बीमारी के उपचार के लिए प्रयासरत रहता है।
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