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दिल्ली

दिल्ली में केंद्र की परियोजनाओं के लिए धर्मस्थलों को न ढहाएं एलजी।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को उपराज्यपाल से अपील करते हुए कहा कि, दिल्ली में केंद्र सरकार के विभिन्न आवासीय प्रोजेक्ट्स सहित अन्य डेवलपमेंट कार्यों के लिए लोगों की आस्था से जुड़े मंदिरों, मजारों व गुरूद्वारे को न तोड़ा जाए। इससे लाखों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचेगी और शहर में लॉ एंड आर्डर की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।  दिल्ली पुलिस खुद अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र कर रही है। उन्होंने एलजी से अपील करते हुए कहा कि 21वीं सदी में मॉडर्न आर्किटेक्चर-इंजीनियरिंग में सब कुछ संभव है।  हम जब पेड़ों को लेकर इतने संवेदनशील है कि घर या कोई स्ट्रक्चर बनाते है तो उसके डिजाईन में बदलाव कर पेड़ को बचाने का काम करते है।

ठीक इसी तरह लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े इन मंदिरों, मजारों व गुरुद्वारों को बचाने के लिए इन प्रोजेक्ट्स के डिजाईन में भी बदलाव किया जाए। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट होना चाहिए और हम सभी इसके पक्ष में है लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए लोगों की आस्था आहत न हो।
 सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल ने कुछ दिनों पहले प्रेस-रिलीज जारी कर मेरे उपर यह आरोप लगाया था कि मैं बहुत सारे मंदिरों,मजारों, गुरुद्वारों को तोड़ने की फाइलें लेकर बैठा हूं और इन पर कोई निर्णय नहीं ले रहा हूं। इसकी वजह से काफी काम रुक रहे हैं। उन्होंने साझा किया कि मेरे पास कुल मिलाकर 19 फाइलें आई, जिनमें 67 मंदिर, 6 मजार और 1 गुरुद्वारा को तोड़ने के लिए चिह्नित किया गया है। जिन विकास कार्यों के लिए इन धार्मिक इमारतों को तोड़ने के लिए चिह्नित किया गया है, उनमें केंद्र सरकार द्वारा आवास बनाने सहित कई फ्लाईओवर-रोड बनाने के प्रोजेक्ट्स शामिल है। 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि “मैंने 1-1 स्ट्रक्चर के बारे में बारीकी से स्टडी की और इसके प्रभाव का आकलन किया, क्योंकि ये सब जनता के धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं। साथ ही इनको लेकर पुलिस की रिपोर्ट्स पढ़ी। इनमें लगभग सभी में ये लिखा है कि इन मंदिरों, मजारों,गुरुद्वारों के साथ हजारों  लोगों की आस्था जुडी हुई है। रोजाना यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं। पुलिस की लोकल रिपोर्ट के अनुसार अगर इन धार्मिक इमारतों को तोड़ा गया तो लोगों का भारी विरोध होगा। लोग प्रदर्शन कर सकते है और दंगे भी हो सकते हैं। इससे शहर में लॉ एंड आर्डर की समस्या उत्पन्न होगी। अगर पुलिस को निर्देश दिए जाए तो इस काम के लिए भारी संख्या में फ़ोर्स तैनात कर सकते हैं।” 

-बांके बिहारी सनातन मंदिर, झील चौक, स्थापना 1948 -शिव शनि मंदिर, लेबर चौक, शिवपुरी, स्थापना 1995 -प्राचीन शिव मंदिर, निकट मायापुरी फ्लाईओवर-प्राचीन हनुमान मंदिर, भजनपुरा, -हनुमान मंदिर, लोनी चौराहा, स्थापना 1932-माँ वैष्णो देवी मंदिर, मौजपुर चौक,स्थापना 1980-हनुमान मंदिर, निकट एम.आई.जी फ्लैट्स लोनी -प्राचीन सिद्ध श्री हनुमान मंदिर, नियर चिंतामणि चौक दिलशाद गार्डन, स्थापना 1978 -सियालकोट रेस्टोरेंट के पास मंदिर -मंदिर,शिवपुरी लेबर चौक -काली माता मंदिर,नियर ईएसआई हॉस्पिटल, बसई दारापुर-मंदिर,बहादुरगढ़-नजफगढ़ कैरिजवे   

*दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली में*
-सर्व मंगल सिद्धपीठ -श्री माता वैष्णो देवी धाम -श्याम मठ मंदिर
*केंद्र सरकार के जीपीआरए प्रोजेक्ट्स के तहत कस्तूरबा नगर, सरोजनी नगर, नेताजी नगर, श्रीनिवासपूरी, त्यागराज नगर में 49 मंदिर व 1 मजार
तोड़ने के लिए चिह्नित* 

*मजार*
-मजार, भजनपुरा चौक, स्थापना 1980 -हजरत हसन जिनाती रहमतुल्लाह मजार,सीडीआर चौक, एमजी रोड, स्थापना 50 वर्ष पूर्व -मजार, नियर हसनपुर डिपो रेडलाइट, स्थापना 50 वर्ष पूर्व -मजार, हिमाचल भवन मंडी हाउस के बाहर, स्थापना 1980-दादा खब्डे मजार,गोयला मोड, स्थापना 1950
*गुरुद्वारा*-गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, नौरोजी नगर, स्थापना 1958 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, इन सभी मंदिरों,मजारों व गुरुद्वारों से दशकों से लोगों की धार्मिक आस्था जुडी हुई है. इन सबको इसलिए तोड़ना कि डेवल पमेंट के नए काम करने है, सही नहीं है। डेवलपमेंट ठीक है, लेकिन सिर्फ एक ब्यूरोक्रेटिक रिपोर्ट के आधार मंदिरों, मजारों, गुरुद्वारों को तोड़ना सही नहीं है, जबकि पुलिस अपनी रिपोर्ट में कह रही है कि इससे लॉ एंड आर्डर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि आज के समय में मॉडर्न आर्किटेक्चर-इंजीनियरिंग में सब कुछ संभव है।  हम जब पेड़ों को लेकर इतने संवेदनशील है कि जब घर बनाते है या कोई स्ट्रक्चर बनाते है तो डिजाईन में बदलाव कर पेड़ को बचाने का काम करते है। तो इसी तरह लाखों लोगों के धार्मिक भावनाओं से जुड़े इन मंदिरों,मजारों व गुरुद्वारों को बचाने के लिए इन प्रोजेक्ट्स के डिजाईन में भी बदलाव किया जाए। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट होना चाहिए और हम सभी इसके पक्ष में है, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए लोगों की धार्मिक आस्था आहत न हो। उन्होंने कहा कि विकास होना चाहिए, घर बनने चाहिए, फ्लाईओवर होना चाहिए लेकिन इस बात को ध्यान में रखकर ही निर्णय लेने होंगे कि लोगों की धार्मिक आस्था आहत न हो। उपमुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल से अनुरोध करते हुए कहा कि सभी प्रस्तावित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में जहाँ तक संभव हो उनके डिजाईन में इस तरह बदलाव किए जाए कि इन धार्मिक इमारतों को कोई नुकसान न पहुंचे और इन्हें तोड़ना न पड़े। 

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