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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू न करने पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू न करने पर भाजपा को जोरदार तरीके से घेरते हुए कांग्रेस ने इसे तुरंत लागू करने की मांग की है।मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के संदर्भ में कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में पत्रकार वार्ता करते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल, मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनिल जयहिंद ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा-आरएसएस 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू न करने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं।

हरीश चौधरी ने मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण की पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए बताया कि 1994 में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का फैसला किया था, जिसे कांग्रेस सरकार ने 2003 में बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया। इसके बाद प्रदेश में भाजपा सरकार बन गई और इसे लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 2019 में जब कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी, तो 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान वापस लाया गया। लेकिन दोबारा से भाजपा सरकार आ गई और यह लागू नहीं किया गया।हरीश चौधरी ने कहा कि भाजपा ने ओबीसी आरक्षण को लागू न करने के लिए लगातार प्रयास किए। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी, 2025 को 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया और 25 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से मध्य प्रदेश सरकार से सवाल किया कि 27 प्रतिशत आरक्षण क्यों लागू नहीं किया जा रहा है। कोर्ट के इस सवाल के बाद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा 2022 में विधानसभा से पारित किया गया 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण बिल आज भी अध्ययन के नाम पर राज्यपाल के पास लंबित पड़ा हुआ हुआ है। उन्होंने आरएसएस के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना में शामिल समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा संबंधी बयान की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह भारत की आत्मा पर कुठाराघात है और समाज को बांटने का प्रयास है।मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बताया कि 2019 में कांग्रेस सरकार 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के लिए अध्यादेश लाई थी। लेकिन भाजपा का स्लीपर सेल इसके खिलाफ कोर्ट चला गया। कोर्ट ने इस बारे में कानून बनाने का निर्देश दिया। फिर कांग्रेस सरकार ने विधानसभा से संबंधित बिल पास करवा दिया। लेकिन इसके बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा सत्ता में आ गई। भाजपा सरकार ने लगातार 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू न करने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी बताया कि भाजपा ने ओबीसी छात्रों में यह भ्रम फैलाया कि कोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाई है, जबकि ऐसा कोई निर्देश नहीं था। इस वजह से सरकारी नौकरियों के लिए चयनित ओबीसी वर्ग के हजारों छात्र पिछले छह साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।वहीं डॉ. अनिल जयहिंद ने उदाहरण दिया कि कैसे 1949 में आरएसएस ने अपने मुखपत्र ऑर्गनाइजर में लेख लिखकर बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को मनुस्मृति पर आधारित न होने के कारण अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा बीते 11 वर्षों से दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू नहीं करने को लेकर भाजपा नेतृत्व को कटघरे में खड़ा किया ।

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