अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने पटना में प्रतिष्ठित व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या पर गहरा शोक व चिंता व्यक्त करते हुए राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाओं को गुंडाराज करार दिया और कहा कि बिहार में आजादी के बाद से ऐसी अराजकता पहले कभी नहीं देखी गई। इंदिरा भवन कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने सत्तारूढ़ जदयू-भाजपा गठबंधन को घेरते हुए कहा कि बिहार की जनता भगवान भरोसे छोड़ दी गई है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के हाथों की कठपुतली बनकर रह गए हैं। कांग्रेस सांसद ने बताया कि मगध अस्पताल के मालिक खेमका की शुकवार रात को पटना में उनके घर के पास अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। कुछ साल पहले उनके बेटे की भी हत्या हुई थी। उन्होंने कहा कि खेमका की हत्या गांधी मैदान के पास हुई, जहां पुलिस की मौजूदगी के बावजूद अपराधी खुलेआम वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए।
डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने प्रदेश के सीवान में तीन दिन पहले हुई तीन लोगों की हत्या का भी जिक्र किया और कहा कि बिहार में शायद ही कोई ऐसा जिला बचा हो, जहां रोज हत्याएं नहीं हो रही हों। उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ एडीजी लॉ एंड ऑर्डर खुद स्वीकार करते हैं कि पुलिस पर बढ़ते हमले चिंता का विषय हैं और दूसरी तरफ पटना में मुख्यमंत्री व तेजस्वी यादव जी के आवास के पास अपराधी दिनदहाड़े गोलियां चला देते हैं, जो आजतक पकड़ से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि कभी शांति, सद्भाव और ज्ञान की भूमि के रूप में पहचाना जाने वाला बिहार आज गुंडों की गोलियों की आग में जल रहा है। कांग्रेस सांसद ने आंकड़ों के जरिए बिहार की भयावह स्थिति को उजागर किया। उन्होंने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2005 में बिहार में कुल 1,07,664 अपराध दर्ज हुए थे, जो 2022 में बढ़कर 3,47,835 हो गए, यानी 323 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले 17 वर्षों के एनडीए शासन में 53,000 से अधिक हत्याएं, 98,169 हत्या के प्रयास और 5,59,413 जघन्य अपराधों के मामले दर्ज हुए। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 336 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बच्चों के खिलाफ अपराध में 7,062 प्रतिशत की भयावह वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने यह भी बताया कि दलित उत्पीड़न के मामलों में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पुलिसकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं, 151 दिनों में पुलिस पर 1,297 हमले हुए हैं। डॉ.अखिलेश प्रसाद सिंह ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर भी सवाल उठाया और कहा कि केवल 25 दिनों में आठ करोड़ मतदाताओं के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करना असंभव है। उन्होंने 2003 के विशेष गहन पुनरीक्षण का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लंबा समय था, फिर भी यह प्रक्रिया पूरी होने में काफी समय लगा था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम लोगों को उनके मताधिकार से वंचित करने और भाजपा को चुनाव जितवाने का प्रयास है।
कांग्रेस सांसद ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की, ताकि बिहार में बढ़ते अपराधों और मतदाता सूची से दो करोड़ लोगों को बाहर करने की साजिश के तहत चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा हो सके।
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