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कांग्रेस ने कहा,जनता की आंखों में आंख डालकर, करीब से पूछो, महंगाई कैसे जान लेती है,किसी गरीब से पूछो-सुने इस वीडियो में

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट  
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जिस संदर्भ में हम बात कर रहे हैं, उसका संदर्भ तो मेरे शुरुआत के कुछ कोटेशन से ही जाहिर हो जाता है, पेट्रोल-डीजल। तो मैं शुरुआत करना चाहूंगा ये कहकर कि – ‘हो रहा देश में पेट्रोल पर हाहाकार, जुमले छोड़ दाम पर लगाम लगाए मोदी सरकार’।

ये तुरंत आज की मांग है।

‘भाजपा कब तक करेगी अत्याचार, हम कब तक सहेंगे महंगाई की मार’।

एक बात और कहना चाहता हूं कि –

‘जनता की आंखों में आंख डालकर, करीब से पूछो, महंगाई कैसे जान लेती है, किसी गरीब से पूछो’।

और मैं अपने कांग्रेस की तरफ से एक वक्तव्य पर आने से पहले, चौंकाएगा आपको एक वक्तव्य। मैं आपको एग्जेक्ट जैसा कांग्रेस का स्टेंड है, वो पढ़ना चाहता हूं और उसके बाद एक चौंकाने वाला वीडियो दिखाना चाहता हूं। वक्तव्य के शब्द सुनिएगा ध्यान से। ये हमारी मांग है, ये हमारा वक्तव्य है, 100 प्रतिशत।

“देश में जिस प्रकार से पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए हैं, ये सरकार के शासन चलाने की नाकामयाबी का ये जीता-जागता सबूत है। देश की जनता के अंदर भारी आक्रोश है और इसके कारण और भी चीजों पर बहुत भारी बोझ होने वाला है।“ एक-एक शब्द ध्यान से सुनें। सरकार पर भी बहुत बड़ा बोझ होने वाला है। मैं आशा करुंगा और कांग्रेस बिल्कुल ये आशा करती है। मैं आशा करुंगा कि प्रधानमंत्री जी देश की स्थिति को गंभीर रुप से लें और पेट्रोल के दाम, जो बढ़ाए गए हैं, उन्हें वापस लें। ये हमारी मांग कृपा आप पहुंचा दें प्रधानमंत्री तक।

लेकिन एक क्षमा चाहूंगा, मैं कानूनविद भी हूं, तो कहीं मुझे प्लेगरिज्म (Plagiarism) यानि कॉपी करने का आरोप ना लग जाए। इसलिए मैं खुलासा भी कर देता हूं कि ये मेरे शब्द नहीं हैं। माफी चाहता हूं, ये इनके शब्द हैं। एक-एक शब्द जो मैंने पढ़ा अभी।

(विपक्ष में रहते पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर आज के प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का वीडियो दिखाया गया, जिसमें वे कह रहे थे- “देश में जिस प्रकार से पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए हैं, ये सरकार के शासन चलाने की नाकामयाबी का ये जीता-जागता सबूत है। देश की जनता के अंदर भारी आक्रोश है और इसके कारण और भी चीजों पर बहुत भारी बोझ होने वाला है।“)

तो जैसा मैंने कहा कि मेरा विनम्र निवेदन है कि आवाज किसी की भी हो, जो आवाज के अंदर शब्द हैं, उनका अनुपालन कृपया करें। आपको हमारी आवाज पसंद हो तो हमारी आवाज का अनुपालन करें। अपनी आवाज पसंद तो उसका करें। लेकिन पालन तो करें। ये मैं विनती करता हूं, देश विनती करता हैं, कांग्रेस विनती करती है।

दो रोचक बिंदु और एक रोचक बिंदु है कि आपने इसमें शब्द सुना- और चीजों पर भी बोझ बढ़ने वाला है। ये वाक्य याद आया है, ये सुना आपने अभी। तो और चीजों पर बोझ पड़ने वाला है। ये मान्यवर शक्तिकांत दास, आरबीआई के गवर्नर ने अभी तीन दिन पहले कहा है। आपके संज्ञान में होगा, प्रकाशित है। पहले तो बोल रहे हैं आज के प्रधानमंत्री, अब बोल रहे हैं आर.बी.आई. के गवर्नर और वो एक बहुत वरिष्ठ, एक फाइनेंस सेक्रेटरी रह चुके हैं पहले इस सरकार में। उन्होंने इन्हीं कीमतों की बढ़ोतरी के विषय में कहा कि इनको कम करिए, कांग्रेस को भूल जाइए। मैं किसी और के शब्दों की बात कर रहा हूँ। दूसरा कहा कि इनको कम करिए, क्योंकि वही शब्द – और चीजों पर इसका बोझ पड़ेगा।

तीसरा बिंदू, पिछले 3 हफ्तों से मुझे बड़ा रोचक लगा ये। मैं हर हफ्ते एक वाक्य सुनता हूं माननीय वित्त मंत्री से। निर्मला जी, 3 हफ्ते में एक दिन, हर दिन, मतलब एक हफ्ते में एक दिन, 3 बार कह चुकी हैं कि इन सब कीमतों का, पेट्रोल-डीजल और गैस का धर्म संकट है। ये बड़ा रोचक वाक्य है। तो मैं पूछना चाहूंगा माननीय वित्त मंत्री से कि धर्म संकट का मतलब क्या है, क्या प्रधानमंत्री जी आपके धर्म संकट है? क्या इसका अभिप्राय है कि आप कम करना चाहती हैं, चाहें तो कम हो जाए, लेकिन प्रधानमंत्री करने नहीं देते आपको कम? अरे भाई! अगर देश के वित्त मंत्री को धर्मसंकट है, तो आम आदमी की क्या हालत होगी? देश का वित्त मंत्री अगर कीमत कम नहीं कर सकता, तो आप और हम क्या करेंगे? तो ये कैसा धर्म संकट, क्या बाधा है? तीन बार बोला उन्होंने धर्म संकट।

मैं डिटेल में जाने से पहले ये कहना चाहूंगा कि आम आदमी ये कह रहा है कि –

‘जिंदगी की तन्हाई लिखूं या, भाजपा की रुसवाई लिखूं?

बढ़ती हुई महंगाई लिखूं या घटती हुई कमाई लिखूं?’

इसका उत्तर सिर्फ सन्नाटा है और या ये गूंजती हुई आवाज, जो पुरानी आवाज मैंने अभी चलाई। दो ही चीजें हैं।

आज की एक्स पैसा, वाई पैसा, कल के 10 पैसा, उसकी बात नहीं है आज की प्रेस वार्ता में। एक कहावत है अंग्रेजी में – Even a straw breaks a camel’s back. आपको मैं स्ट्रॉ बताऊं, ये स्ट्रॉ नहीं हैं ये। 20 दिन में, 8 फरवरी से 27 फरवरी, 20 दिन होते हैं। 20 दिन में 14 बार ये सॉ-कोल्ड स्ट्रॉ रख चुके हैं ऊंट की पीठ पर। ऊंट है आम आदमी, पीठ वैसे ही टूटी हुई है, कमाई से भी, टैक्स से भी, महंगाई से भी। 20 दिन में 14 बार। आज विडंबना देखिए, दुर्भाग्य देखिए, शर्मनाक बात है। 39 प्रतिशत सस्ता है क्रूड ऑयल। देखिए इनके कार्यकाल में कई ऐसे सौपान आए हैं, जब क्रूड ऑयल 50 प्रतिशत सस्ता है, 70 प्रतिशत सस्ता रहा है। लेकिन मैं सिर्फ आज की बात कर रहा हूं, सरकार के हक की। आज भी 39 प्रतिशत सस्ता है और कितना ज्यादा है पेट्रोल, 27 प्रतिशत और डीजल 42 प्रतिशत। तो ये तो रिवर्स कोरिलेशन (reverse correlation) कभी सुना ही नहीं किसी ने। आपका 80 से 85 प्रतिशत आयात होता है, ये रिवर्स कोरिलेशन आयात होता हुए गिर रहा

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