अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों अभी-अभी कांग्रेस अध्यक्ष ने हमारी कांग्रेस पार्लियामेंट्री स्ट्रैटजी ग्रुप की एक मीटिंग हुई है, करीब एक घंटे की मीटिंग थी। उसमें सभी बड़े नेता लोकसभा और राज्यसभा के पदाधिकारी मौजूद थे। हमारे साथ हैं लीडर ऑफ अपोजिशन राज्यसभा, मल्लिकार्जुन खरगे जी; हमारे लीडर, कांग्रेस पार्टी लोकसभा, अधीर रंजन चौधरी और हमारे प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल। पहले खरगे और अधीर आपको संबोधित करेंगे, बाद में जो सवाल हैं आपके, खासतौर से अभी-अभी जो निकला है पार्लियामेंट की ओर से, जैसे अनपार्लियामेंट्री शब्द होते हैं, जुमलाजीवी, नाटकबाजी, ड्रामेबाजी, ये शब्द इसके बारे में शक्ति सिंह जी आपको जानकारी देंगे।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सभी साथियों को मेरा नमस्कार और मेरे साथ बैठे हुए सभी को मेरा प्रणाम। आज जो हमारी पार्लियामेंट्री स्ट्रैटजी कमेटी की मीटिंग हमारी कांग्रेस अध्यक्षा के नेतृत्व में हुई और हमने वहाँ पर हर विषय पर चर्चा की और एक घंटे तक हमने हर मुद्दे पर बातचीत की, करने के बाद एक नतीजे पर हम आए हैं। जो महत्व के मुद्दे हैं, उनको उठाना चाहिए।
पहला मुद्दा है कि एलपीजी और प्राइस राइस, इसको जोड़ते हुए हम उसको प्रायोरिटी देना चाहेंगे। उसके बाद में अग्निपथ स्कीम, अब आर्मी रिक्रूटमेंट का है, जो सारे देश में बहुत बड़ा युवकों में एक हंगामा मचा हुआ है और बहुत युवक लोग चिंतित भी हैं और हम उस सब्जेक्ट को भी वहाँ पर उठाना चाहते हैं। उसके अलावा और अनएम्प्लॉयमेंट का इशू है, वो भी हम वहाँ पर प्रस्तावित करना चाहते हैं और उसी के साथ- साथ ये अटैक ऑन फेडरल स्ट्रक्चर, ये हमारे जो संघीय ढांचा है, उसको भी वो लोग जो आज खराब कर रहे हैं और उस फेडरल स्ट्रक्चर को भी वो खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, उस विषय को भी हम सदन में उस मुद्दे को भी चर्चा में लेना चाहते हैं। उसके बाद में ये फिस्कल क्राइसिस, जो हमारा रुपए का मूल्य घटा है डॉलर के मुकाबले में और आज दिन-प्रतिदिन हमारी आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही है, इसलिए उस मुद्दे पर भी हम चर्चा करेंगे। उसके बाद ये माइनॉरिटी पर जो अन्याय हो रहे हैं और हेट स्पीच चल रहे हैं, उस पर भी हम दोनों सदनों में इस मुद्दे को चर्चा में लाना चाहते हैं। उसके अलावा जो ऑटोनमस बॉडी है, उनको कमजोर किया जा रहा है, मिसयूज किया जा रहा है और बहुत सी जगह सरकार खुद उसमें अपना इनफ्लुएंस यूज करके लोगों को, लीडरों को तंग करने का, ह्रास करने का, सरकारें गिराने का वो काम कर रही हैं, उस ईडी को और सीबीआई को लेकर वो काम भी कर रहे हैं, उस मुद्दे पर भी हम चर्चा चाहते हैं।
उसके अलावा ये जो एक्सटर्नल थ्रेट है, जो चीन का आजकल सब जगह हमारे एरिया में जो आक्रमण हो रहा है, उस इशू को भी हम आगे बढ़ाना चाहते हैं, हाउस में उसके बारे में भी बात करना चाहते हैं। उसके बाद जो फॉरेस्ट कंजरवेशन रुल हैं, जो पहले कांग्रेस पार्टी ने शेड्य़ूल ट्राइब के लिए, उनकी हिफाजत के लिए, उनकी रक्षा के लिए, उनकी जमीन की रक्षा के लिए जो कानून लाए थे, उसको रुल के मताबिक आगे करके वो डॉयल्यूट करना चाहते हैं।तो ये सारे मुद्दे हमारे सामने हैं। इन सभी मुद्दों पर चर्चा करके एक के बाद एक चर्चा में लेना और जो रुल, जो हमारे रुल ऑफ प्रोसीजर हैं, बिजनेस ट्रांजेक्शन रुल उसके मुताबिक हम वो रुल के मुताबिक ये मुद्दे उठाते रहेंगे और आखिरी और एक आपसे बात कहना चाहते हैं कि 17 को पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर ने जो ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है, उसके तत्काल बाद हमारे जो अपोजिशन पार्टी के और लीडर हैं, जो हम लाइक माइंडेड पार्टी, जो मिलकर सदन में काम करते हैं और करने की इच्छा रखते हैं, उनकी भी मीटिंग उसके बाद तुरंत हम वहीं पर करेंगे।तो ये सारी चीजें हमने आपके सामने रखी हैं और यही चीजें हम आने वाले मानसून सेशन में रखेंगे और जो भी बिल आएंगे, क्योंकि बहुत से बिल हमारे जो स्टैंडिंग कमेटी में जो अप्रूव होकर चले गए या लोकसभा से अप्रूव होकर जो हमारे पास आने वाले हैं, उन सारी चीजों पर भी समय के अनुसार बातचीत करेगें और आगे आपको आगे का जो स्टेप्स है, क्या होने वाला है, वो आपको बताएंगे। क्योंकि हम तो बार-बार मिलते रहेंगे।एक और जो एक बहुत बड़ा मुद्दा, जो बैंकों का निजीकरण, जो ये 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था और श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने गरीबों के लिए बैंक जो खोला था, ये सरकार उसको, उस निजीकरण को नेशनलाइजेशन को हटाकर प्राइवेटाइजेशन करना चाहती है, उस बिल का भी हम विरोध कर रहे हैं और हम लड़ेंगे, क्योंकि ये 27 बैंक से 22 पर लाए, अब 22 से घटाकर अभी भी 20 पर ला रहे हैं और आहिस्ता –आहिस्ता निकाल कर वो चाहते हैं कि देश में एक ही बैंक रहे, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया।तो ये उनकी मंशा है। एक तरफ तो बैंकों का प्राइवेटाइजेशन हो रहा है, वो एक तरफ और जो नेशनलाइजेशन होकर लोगों को जो सहूलियत मिली थी, वो ये छीनना चाहते हैं, उसके खिलाफ भी हम लड़ेंगे।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारे नेता खरगे साहब ने सारे मुद्दे को अपनी तरफ से, मतलब पार्टी की तरफ से जो हमारा सदन के अंदर चर्चा करने की मंशा है, वो सारे आपके सामने उजागर कर चुके हैं। नई बात बोलने की कुछ नहीं है। सबसे पहले अभी भी हमें ये जानकारी नहीं है कि सरकार की तरफ से कौन सा विधेयक या मुद्दा सदन में चर्चा करने के लिए लाया जा रहा है, ये हमारे सामने अभी उतना ज्यादा खुलासा नहीं है। तो सरकार के अपने कितने बिजनेस सदन में लाना चाहते हैं, उसके ऊपर निर्भर करेगा कि हमारी तरफ से और कौन-कौन सा मुद्दा हम उठाने की कोशिश करेंगे, क्योंकि सरकार का बिजनेस और हमारा मुद्दा, दोनों मिलकर सदन चलता है। मुद्दे की कोई कमी नहीं है, जब तक हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी हैं, तो मुद्दे की कभी कोई कमी नहीं हो सकती है। अनेक मुद्दे होने की अभी संभावना हैं, क्योंकि मोदी जी है तो मुद्दा भी मुमकिन है, एक नहीं, अनेक मुद्दे मुमकिन है। लेकिन हमारी तकलीफ ये है कि कितने मुद्दे हमारी तरफ से उठाने की सदन के अंदर हमें इजाजत मिलेगी या नहीं। ये हमारे सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। क्योंकि जिधर से जाइए पंजाब से लेकर, नॉर्थ ईस्ट से लेकर कहीं बाढ़, कहीं तनाव, कहीं श्रीलंका इशू, कहीं चीन का इशू, सारे हमारे देश में चारों तरफ मुद्दे ही मुद्दे हैं। चाहे आर्थिक हालात देखिए, सिकुड़ते जा रहे हैं और सबसे खास हमारे साम्प्रदायिक तनाव, सोशल टेंशन वो भी बढ़ती जा रही है। ये देश के लिए बड़ा हानिकारक होगा। एक तरफ, मतलब तन से सिर जुदा करने की और साथ-साथ मुसलमान समाज को खत्म करने की, ये दोनों तरफ से ये जो नजारा हमारे देश के सामने आज आ रहा है, इससे हम सब चिंतित हैं, क्योंकि हिंदुस्तान एक बड़ा देश है, इस देश को और सशक्त करने के लिए सोशल स्टेबिलिटी चाहिए। समाज में शांति का माहौल कायम होना चाहिए, इसके लिए सदन के अंदर भी हम सरकार से ये बात रखने की मांग करेंगे, कि सरकार इसके बारे में क्या सोच रहे हैं। एक तो कम्युनिय़ल सोसाइटी हो रही हैं, हमारे आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे हैं, रोजाना रोजमर्रा के चीजों के दाम हैं, उनमें इजाफा हो रहा है, तो हम किधर जाएंगे, अंदर-बाहर चारों तरफ हमारी ये जो तकलीफ है, ये बढ़ती जा रही हैं। तो देखते हैं, हम चाहते हैं कि सदन सही ढंग से चले, सदन में ज्यादा से ज्यादा कामकाज हो और इस कामकाज में हम भी शिरकत लेना चाहते हैं। जितना सदन के अंदर हमें मौका मिलना चाहिए, जैसे कि हमारा जीरो ऑवर है, क्वेश्चन ऑवर हैं, कॉलिंग अटेंशन है, प्राइवेट मेम्बर बिल, मतलब जो-जो है आप सब जानते हैं। सदन में आप लोगों को ज्यादा जानकारी भी है। ये सारे जो हमारे उपाय हैं, हमारे पास जितने औजार है, सबको हम इस्तेमाल करते हुए हमारे आम लोगों की बात रखने की कोशिश करेंगे। हमारे मुद्दे हिंदुस्तान के आम लोग परेशान हैं, हिंदुस्तान के आम लोग तकलीफ में हैं, हिंदुस्तान में बेरोजगारी का इजाफा हो रहा है धड्डल्ले से, तो लोगों की तकलीफ को उठाना और इस तकलीफ को सुलझाने की सरकार की क्या राय है, ये सरकार की राय मालुमात करना ये हमारा सदन में काम बनता है, फर्ज बनता है, वो भी काम हम करते रहेंगें और ये भी काम हम शांतिपूर्वक ढंग से करना चाहते हैं। सदन ढंग से चले, सारी चर्चा हो, हमें भी बात रखने का मौका दिया जाए, सरकार भी अपनी बात रखे, ये हम चाहते हैं।
जयराम रमेश ने कहा कि शुक्रिया अधीर जी। आज जो खबर निकली है, जो असंसदीय शब्द हैं, जुमलाबाजी, नाटकबाजी, ड्रामेबाजी, जो हमेशा विपक्ष भाषा का इस्तेमाल कर रहा है, प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री की सरकार को घेरने के लिए, वो सभी शब्दों को अभी अनपार्लियामेंट्री घोषित किया गया है, इस पर शक्ति सिंह जी कुछ कहेंगे। शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि धन्यवाद जयराम जी। सबसे पहले आप सभी का स्वागत करता हूं। ये जो गला घोंटने की लोकतंत्र की आज पूरा देश जो देख रहा है, ये गुजरात में यही मोदी जी जब चीफ मिनिस्टर थे, मैं लीडर ऑफ अपोजिशन था, हम वहाँ के बिल्कुल विटनेस रहे हैं, इसी तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा जाता था।आज जो गुजरात, जहाँ से फर्स्ट स्पीकर ऑफ लोकसभा मावलंकर जी आते थे, उन मावलंकर जी ने खुद अपने पैसे दिए और उसके बाद हर सरकार फंड देती थी और मावलंकर ब्यूरो चलता था विधायकों, मंत्रियों की ट्रेनिंग का। मोदी जी बने मुख्यमंत्री, उस मावलंकर ब्यूरो को खत्म कर दिया, लोकतंत्र की ट्रेनिंग का गला घोंट दिया और आज आप देखें तो आंदोलन करना, वो संवैधानिक अधिकार है फिर भी वहाँ पर वो आंदोलनजीवी शब्द लाकर लोगों का मजाक बना रहे थे। लोकतंत्र में जुमला देना, वो जायज नहीं है और इस देश के आज के गृहमंत्री ने खुद कहा कि चुनाव के वक्त हम कहते हैं, वो करना थोड़े ना होता है, वो तो जुमले होते हैं। वो बात हम उनको सुनाते हैं।आज आप आजादी से आने से आज तक में किसी भी असेंबली ने लोकसभा या राज्यसभा के हमारे जो अनपार्लियामेंट्री वर्ड में जुमलेजीवी, जुमलेबाज वो कभी भी अनपार्लियामेंट्री नहीं हुआ है। भ्रष्ट कभी भी अनपार्लियामेंट्री नहीं हुआ है। आप झूठ बोल रहे हैं, आप नौटंकी कर रहे हैं बार-बार, जब यही भाजपा के लोग अपोजीशन में थे, कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, ये सारे शब्द हमारे खिलाफ इस्तेमाल होते थे, तब देश की पार्लियामेंट्री प्रोसीजर, संसदीय शब्दावली में अनपार्लियामेंट्री कोई लव्ज नहीं लगता था, इनको। ये गुजरात में भी जब हमने वाइब्रेंट गुजरात के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हो रहा था और विधानसभा में एज ए अपोजिशन जब हमने कहा कि किसके साथ आपकी क्या भागीदारी है, आपकी क्या पार्टनरशिप है कि आप ये कर रहे हैं, उसका पूरा तथ्य लगाया, तो गुजरात में कह दिया कि भागीदारी माने पार्टनरशिप वो भी अनपार्लियामेंट्री शब्द हो गया। मतलब आप किसी से मिलीभगत करके कर रहे हैं, उसके डॉक्य़ूमेंट हम दे रहे हैं, बोले कि आप ये नहीं बोल सकते हैं। तो मैं मानता हूं कि देश के इतिहास में काली स्याही से देश के लोकतंत्र के इतिहास में ये टैन्योर जो है आज का भाजपा का, उसको लिखा जाएगा।
मैं तो अनुरोध करता हूं राज्यसभा के हमारे चेयरमैन साहब को और लोकसभा के स्पीकर साहब को कि आपकी प्राइमेसिस है, ये आपका अधिकार है। गुजरात में भी इस अधिकार का हनन हुआ था। आप हमारे मेंबर के हितों के रक्षक हो, क्यों ये सब हो रहा है, आपको भी सोचना होगा। अनपार्लियामेंट्री शब्द के लिए आज तक के इतिहास में कभी भी जो लफ्ज नहीं आ सकते थे, वो डाल कर इस देश में जिस तरह से गुंडागर्दी कर रहे हैं, जिस तरह से भ्रष्ट होकर लूट रहे हैं, हां, ये कर रहे हैं और मैं पार्लियामेंट से बाहर मेरे बोलने का अधिकार वो नहीं छीन सकते हैं और यही हाउस के अंदर हमें पार्लियामेंट्री लैंग्वेज में जब कहते हैं, वो आज तक जायज था, हम कहते थे। आज उन शब्दों को भी बंद करना इस देश के लोकतंत्र का अपमान है। हम एक जिम्मेदार प्रिंसिपल अपोजिशन के नाते कांग्रेस अध्यक्षा, सोनिया गांधी के नेतृत्व में जो मीटिंग हुई है, उसमें तय हुआ है कि जो जनता के अहम मुद्दे हैं, इनको हम हाउस के अंदर लोकतांत्रिक तरीके से उठाएंगे, सरकार को इन मुद्दों पर चर्चा देनी चाहिए, अगर सरकार के दिल में चोर नहीं बैठा है तो। अगर उनके दिल में चोर नहीं बैठा है, तो गैस के दाम पर चर्चा करें, अग्निपथ पर चर्चा करें, चीन हमारी सरहद में घुस गया है, उनका एमपी कहता है, ट्वीट करता है, उसके ऊपर चर्चा करें। यदि पंजाब के हालात बिगड़े हों, उन सब पर चर्चा करें। यही हमारी मांग होगी।
आज हमने और लाइक माइंडेड पार्टीज के साथ भी हम बात करके एक फ्लोर मैनेजमेंट करके आवाम के इशू को उठाएंगे।
एक प्रश्न पर कि ये जो अनपार्लियामेंट्री शब्द हैं, इसकी जो लिस्ट बनाई है, क्या अपोजिशन के साथ मिलकर आप इसके विरुद्ध अपील करेंगे? गोहिल ने कहा कि देखिए पहली बात तो ये है कि जब भी ऐसी चीजें होती हैं, तो उसके लिए बाकायदा सभी पार्टी के साथ मशविरा होता है। मैं गुजरात से आता हूं, गुजरात की परंपरा रही है कि अगर असेंबली के कानून में भी अगर कोई बदलाव करना है, तो पहले सभी पार्टी के लीडर के साथ बात होती थी, स्पीकर बुलाते थे। उसके बाद वो रुल कमेटी को जाता था और अगर यूनैनिमिटी नहीं होती थी मतलब एक भी मेंबर कहता था कि नहीं एक भी बदलाव नहीं हो सकता है, तो नहीं होता था। अनपार्लियामेंट्री शब्द भी उसी तरह से तय होते थे। किसी को ख्वाब आ गया कि अब ये जुमलेबाज साबित हो गए हैं देश में तो अब जुमलेबाज सदन के अंदर नहीं कह सकते हैं, ऐसा नहीं होता है। हम अनुरोध पब्लिक प्लेटफार्म से भी कर रहे हैं और जैसा कि हमारे मुख्य सचेतक जी ने कहा कि हम ऑफिशियली भी चेयरमैन साहब को और स्पीकर साहब को ये जरुर गुजारिश करेंगे कि ये परंपरा नहीं है।एक अन्य प्रश्न पर कि इस शब्दावली को हटाने की वजह क्या लगती है आपको? गोहिल ने कहा कि सच जब चिपकता है, तो भाजपा वाले घबराते हैं। ये सच था, ये जुमलेबाज हैं, उसको चिपक रहा था, तो इसलिए जो पार्लियामेंट्री शब्द हैं, उनको भी अनपार्लियामेंट्री शब्द करार दिया है।एक अन्य प्रश्न पर कि 17 तारीख को बैठक होने वाली हैं, प्रधानमंत्री भी उसमें रहेंगे, तो क्या ये मुद्दा उस बैठक में उठाएंगे? गोहिल ने कहा कि नहीं, प्रधानमंत्री कहाँ आते हैं, ये उनको आना चाहिए। अब ये तो आते नहीं हैं ऑल पार्टी मीटिंग में।खरगे ने कहा कि यूजुअली क्या होता है कि पहले तो प्रधानमंत्री बैठते थे, लेकिन अब के प्रधानमंत्री सिर्फ डिस्कशन होने के बाद आखिरी में आएंगे, सबके साथ एक फोटो खींच लेंगे, फिर वही बहुत बढ़िया आप लोग भी छापते हैं, ठीक है, लेकिन वो आखिरी में आते हैं, अपने शब्द बोलते है, दूसरा किसी का शब्द वो सुनते नहीं हैं और सुनना भी नहीं चाहते हैं। तो वो डिस्कशन क्या होता है। तो इसलिए यही तो गड़बड़ी है, अगर वो वहाँ बैठ कर, सुन कर ये हो सकता है, ये नहीं हो सकता है, आप इस विषय पर चर्चा कीजिए, हम उसको मौका देंगे, ये बात ही वहाँ पर नहीं होती है। इसलिए प्रधानमंत्री सिर्फ आखिरी में आते हैं, चले जाते हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप इन शब्दों का इस्तेमाल करते रहेंगे? गोहिल ने कहा कि हम जरुर करते रहेंगे, ये अनपार्लियामेंट्री गलत तरीके से तय किया गया है। अनपार्लिया मेंट्री हो नहीं सकता है, हम उसके ऊपर अपील भी करेंगे, हम जहाँ लड़ सकते हैं, वहाँ लड़ेंगे। खरगे ने कहा कि देखिए, पार्लियामेंट का एक पब्लिकेशन में है, कौन से शब्द इस्तेमाल करना, कौन से शब्द इस्तेमाल नहीं करने और उसी के तहत हम बात करेंगे, ये अगर नया कुछ लाना चाहते हैं तो जैसे कि हमारे शक्तिसिंह ने बोला कि मीटिंग बुलाकर सबसे पूछकर चर्चा करके उसके बाद निर्णय लेना चाहिए। उसकी बजाए वो जो एग्जिस्टिंग अब हमारे पास किताब है, शब्दों का ऐसा प्रयोग करना, क्या करना, उसको छोड़ कर अगर ये करना चाहते हैं, तो ये ठीक नहीं है। हम उठाएंगे, बार-बार बोलते रहेंगे, वो बार-बार निकालते रहेंगे, देखेंगे। एक अन्य प्रश्न पर कि ये भी कहा है कि कोविड स्प्रैडर जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल नहीं होना चाहिए? गोहिल ने कहा कि पहली बात तो ये है कि जब प्रोटोकॉल था कि मास्क पहनना चाहिए, तब भी प्रधानमंत्री मास्क नहीं पहनते थे, आस-पास वाले सारे लोग मास्क पहनते थे, तो ये कोविड स्प्रेडर कौन था। अब उनको लगता है कि मैं ही कोविड स्प्रेडर हूं पर पार्लियामेंट में अब मुझे कोविड स्प्रेडर नहीं कहेंगे। तो ये सारे शब्द जो लगाए गए हैं, वो इनको चिपक रहे थे, उन्हीं के लिए थे, तो उन्होंने ये किया है। मैं ही चोर, मैं ही पुलिस, मैं ही कोतवाल, ऐसा चलाना चाहते हैं। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जयराम रमेश ने कहा कि अभी तक तो अनपार्लियामेंट्री नहीं घोषित किया गया है, अब तक तो नहीं किया गया है, मैं कहते रहूंगा और जो भी कहें, वो हम कहते रहेंगे। गोहिल ने कहा कि विश्व ठग गुरु कहते रहेंगे।