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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय हाइलाइट्स

कांग्रेस ने पूछा – क्या भारत सरकार ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार की, क्या शिमला समझौता रद्द हो गया है।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक संघर्ष विराम की घोषणा को अचंभित करने वाला और भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी बताया है।नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने सरकार से पूछा कि क्या भारत ने कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है और क्या शिमला समझौता अब रद्द हो गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट करने की मांग की कि पाकिस्तान से क्या वादे लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहे थे, लेकिन कश्मीर इस मामले में बीच में आ गया। जनता जानना चाहती है कि क्या सरकार ने वर्षों से चली आ रही हमारी रणनीति को बदल दिया है।कांग्रेस की मांग को दोहराते हुए उन्होंने सरकार से सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। 

भाजपा प्रवक्ता के बयान से जुड़े सवाल के जवाब में भूपेश बघेल ने सरकार से यह भी पूछा कि पहलगाम में 26 पर्यटकों को मारने वाले आतंकवादियों का क्या हुआ।उन्होंने कहा कि देश जानना चाहता है कि क्या उन्हें पकड़ लिया गया है या मार दिया गया है। उन्होंने इसका भी जवाब मांगा कि आतंकी हमले में सुरक्षा चूक को लेकर क्या कार्रवाई की गई है। क्या गृह मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है? 1994 में कांग्रेस सरकार में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए संसद में पारित हुए प्रस्ताव से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पूरा देश इस बार पीओके को वापस लेने के मूड में था और सेना इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही थी। लेकिन संघर्ष विराम की अचानक घोषणा कर दी गई और वह भी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा, उससे हर कोई आश्चर्यचकित हो गया।इस दौरान भूपेश बघेल ने सेना के शौर्य और बलिदान को नमन करते हुए कहा कि हमारी सेना ने अनेक युद्धों में भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की वीर सेना ने संकल्प और साहस के साथ दुश्मनों को जिस तरह से मुंहतोड़ जवाब दिया, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि जब-जब देश में संकट आया, कांग्रेस पार्टी ने राजनीति को पीछे रखा और राष्ट्र हित को प्रथम स्थान दिया। उन्होंने याद दिलाया कि 1971 में इंदिरा गांधी जी ने अमेरिका के दबाव को ठुकराकर पाकिस्तान को धूल चटाई थी। आज भी कांग्रेस का वही संकल्प है कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में राजनीति नहीं, केवल राष्ट्रवाद का स्थान होना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सेना के बलिदान को चुनावी बयानबाजी में इस्तेमाल करने को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में कांग्रेस ने सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द किए, ताकि देश में एकजुटता का संदेश जाए। कांग्रेस ने देशभर में ‘जय हिंद’ यात्रा निकालकर सेना का मनोबल बढ़ाने और जनता को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने की बात कही। लेकिन जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा था, तब भाजपा नेता ट्विटर पर यूपीए और एनडीए की तुलना करके मुद्दे को राजनीतिक रंग देने में लगे हुए थे।

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