अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली के डिफेंस कालोनी और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने आज एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से कोरोना महामारी के दौरान व्हाट्सएप्स पर सहायता मांगने के बहाने ठगी करने वाले एक नाजीरियन नागरिक को अरेस्ट किया है। शिकायतकर्ता वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को ठगी होने का पता उस समय चला जब वह यूएसए में अपने दोस्त से कंफर्म किया की, वह उससे मदद के तौर पर व्हाट्सएप्स पर 97000 रूपए की मांगी हैं और उसने साफ़ शब्दों उसे मना कर दिया की उसने उससे कोई मदद नहीं मांगी हैं।
पुलिस के मुताबिक बीते 19 अप्रैल 2021 को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए अपने करीबी यूएसए बेस्ड फ्रेंड को पैसे भेजने का अनुरोध करने के बहाने कुछ अज्ञात जालसाज द्वारा अपने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, डिफेंस कॉलोनी शाखा बैंक खातों से 97000 रुपये की ठगी करने की सूचना दी ।लेकिन अपने दोस्त से क्रॉस चेक करने के बाद उसे अहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हुई है। इसके बाद तत्काल जिला साइबर सेल, दक्षिण जिले को इस मामले की छानबीन करने की जिम्मेदारी सौपी गई। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एसएचओ बिजेन्द्र बिधूड़ी,एसीपी ऑपरेशन दक्षिण जिले की देखरेख में एसआई अजीत सिंह, एएसआई सुरेंद्र, एचसी रामवीर, सीटी सुमित और सीटी प्रवीण की टीम गठित की गई।पुलिस की माने तो टीम ने बैंक बयान का विश्लेषण किया और तुरंत कथित परोपकारी बैंक खाते को फ्रीज किया गया और सफलतापूर्वक ठगी की राशि से बाहर पलायन बंद कर दिया । इस शिकायत पर पीएस डिफेंस कॉलोनी में 420 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया और जिला साइबर सेल द्वारा भी जांच की गई । जांच के दौरान, टीम ने लाभार्थी खाते के विवरण और खाते से संबंधित अन्य दस्तावेजों का विश्लेषण किया।विश्लेषण के दौरान पता चला कि आरोपित व्यक्ति छतरपुर और उत्तम नगर इलाके में घूम रहा है। इसके बाद टीम ने तकनीकी विश्लेषण के आधार पर, कल 30 अप्रैल 2021 को अरेस्ट कर लिया।
आरोपित : एक विदेशी नागरिक अर्थात् Tochukwu क्रिश्चियन Nwasu निवासी Benin, पिछले 5 वर्षों के लिए भारत में रहने वाले नाइजीरियाई हैं।
कार्यप्रणाली: पूछताछ के दौरान पता चला कि आरोपित खुद को दोस्त के रूप में प्रतिरूप देकर निर्दोष लोगों को ठगने का काम करता था। वह पहले लक्षित व्यक्तियों के पुराने ईमेल हैक करते थे या किसी लक्षित व्यक्ति की संख्या को धोखा देते थे और उसके बाद उसे सोशल मीडिया से अपने नियमित संपर्कों/मित्रों के नंबर मिले । इसके बाद वह वीओआईपी कॉल के जरिए अपने टारगेट कॉल करता था या ईमेल भेजता था। खुद को अपने लक्षित व्यक्तियों का मित्र बताते हुए उनसे कहा कि वे अपने किराए के बैंक खातों में राशि भेजें जो फर्जी पतों केवाईसी के आधार पर खोले जाते हैं ।मौजूदा मामले में भी उसने मास्टरमाइंड के रूप में अपनी सक्रिय भूमिका स्वीकार की है। लेकिन कथित लाभार्थी के बैंक खाते में जमा होने के कारण वह ठगी की रकम नहीं निकाल पाए।
रिकवरी: मौजूदा मामले में इस्तेमाल किए गए फोन और सिम कार्ड सहित 5 मोबाइल फोन, 6 एटीएम कार्ड (विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर) 3.5 चेक बुक लेपटॉप। इस केस की जांच की जा रही है।