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अपराध नोएडा

दस महीने की बच्ची की मौत के बाद चाइल्ड पीजीआई में परिजनों का हंगामा, डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप

अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट 
नॉएडा: नोएडा के सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में डॉक्टर और स्टाफ लापरवाही के चलते 10 महीने की बच्ची की मौत हो गई।  बच्चे के परिजनों ने बच्चे की मौत के लिए डॉक्टर और स्टाफ लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया। परिजनों की मांग थी कि डॉक्टर और स्टाफ पर कार्रवाई की जाए। हंगामे की सूचना मिलते ही कोतवाली सेक्टर- 20 पुलिस मौके पर पहुंच गई और परिजनों को समझा मामले को शांत कराया। चाइल्ड पीजीआई में अपने 10 महीने की बच्ची वैदिक की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। न्यू अशोक नगर के बद्री पासवान का कहना है कि उनकी 10 माह की पोती की तबीयत कल खराब हो गई थी,  

तो उसे इलाज कराने  के लिए नोएडा के सेक्टर- 30 चाइल्ड पीजीआई में आए थे। जहां डॉक्टर उमेश रेड्डी ने उस का ट्रीटमेंट किया और कहा कि अगर तबीयत ज्यादा खराब हो तो बच्ची को लेकर आ जाना। रात को 1 बजे जब बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हुई, तब मै उसे लेकर यहां आया। लेकिन हॉस्पिटल में एडमिट न करके एक टीका लगाकर घर भेज दिया और कहा कि जब तबीयत ज्यादा खराब हो तब सुबह आना।  बद्री पासवान बताते है कि सुबह 10 बजे बच्ची को लेकर जब मै यहां आया, तो बच्चे की हालत बहुत सीरियस थी और उसे लगातार उल्टी हो रही थी, लेकिन रिसेप्शन पर बोला गया कि आपका 24 नंबर है, और अब 10 नंबर चल रहा है, उसके बाद ही डॉक्टर देखेंगे, लेकिन बच्चे की तबीयत लगातार बिगड़ती गई जब तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तब बच्ची को आनन-फानन में अस्पताल में एडमिट कराया गया।  बच्ची जिंदा थी बेड पर भी उल्टी किया।  बच्चे को ईसीजी लगाया गया बच्चे में मूवमेंट था। 

लेकिन थोड़ी देर बाद बच्चे की मौत हो गई, बच्चे की मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई और बच्चे की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चा ब्रॉड डेड लाया गया. अब डॉक्टर दबाव बना रहे हैं कि रिपोर्ट पर साइन करके बच्चे की बॉडी को ले जाए. जब हम चाहते हैं कि डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई हो जिससे वे किसी बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार न कर सके जिससे उसे अपनों से बिछडना न पडे।  नोएडा के सेक्टर- 30 चाइल्ड पीजीआई में बीते दिनों तीन बच्चों की मौत हो चुकी है, 10 वर्षीय वैदिक को भी यहां डॉक्टरों और सिस्टम की लापरवाही के कारण अपनी जान गवानी पड़ी है यदि अस्पताल के स्टाफ ने संवेदनशीलता दिखाते हुए वैदिक का समय रहते भर्ती कर लिया होता तो शायद एक घर के चिराग को यू ना बुझना पड़ता. क्या इस मौत जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई होगी,शायद नहीं क्योंकि तीन साल के बच्चे दक्ष की मौत के बाद हंगामा हुआ और कार्रवाई  का आश्वासन दिया गया.. लेकिन नतीजा अभी तक निकला है।  

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