अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, उत्तरी रेंज -II की टीम ने आज आत्मा राम, 43 वर्ष, निवासी रघुबीर नगर, दिल्ली नाम के एक ठग को गिरफ्तार कर थाना विजय विहार, दिल्ली के एक मामले को सुलझाया है. जिसमें शिकायतकर्ता के साथ प्राचीन मूल्यवान वस्तुएं बेचने के नाम पर 20 लाख रूपए की धोखाधड़ी की गई थी.आरोपित के पास से साढ़े पांच लाख रुपए बरामद भी किए गए हैं.
स्पेशल डीसीपी क्राइम रविंद्र सिंह यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तरी रेंज -II, क्राइम ब्रांच के सहायक उप- निरीक्षक कुलभूषण को गुप्त सूचना मिली थी कि विजय विहार में एक दुकानदार से 20 लाख रुपये की ठगी करने वाला व्यक्ति रघुबीर नगर, दिल्ली में रहता है। तदनुसार, उत्तरी रेंज -II, क्राइम ब्रांच की एक टीम का गठन संयुक्त आयुक्त एस.डी. मिश्रा और उपायुक्त सतीश कुमार द्वारा सहायक आयुक्त नरेंद्र सिंह की निगरानी में किया गया. जिसका नेतृत्व निरीक्षक संदीप स्वामी व जिसमे उप निरीक्षक प्रदीप दहिया, उप निरीक्षक सुखविंदर, सहायक उप निरीक्षक कुलभूषण, सहायक उप निरीक्षक सुनील, सहायक उप निरीक्षक अशोक, प्रधान .सिपाही कपिल व सिपाही सुमित शामिल थे.उनका कहना हैं कि उक्त टीम ने आत्मा राम निवासी रघुबीर नगर, दिल्ली को अरेस्ट किया व उसके पास से लगभग 5.5 लाख रुपये बरामद किए गए.उनका कहना हैं कि पूछताछ के दौरान, आरोपित आत्मा राम ने खुलासा किया कि वह रघुबीर नगर, कपड़े के बाजार में पुराने कपड़े बेचने का कारोबार करता है, ताकि वह इस आड़ में व्यवसायियों को सोना चढ़ाया हुआ लेख (गिन्नी) दिखाकर उन्हें ठगने का नाजायज कारोबार कर सके। उसने आगे खुलासा किया कि पिछले महीने, उसने अपने चचेरे भाई गणेशी लाल और उसकी एक परिचित महिला के साथ, फेज-2, विजय विहार, दिल्ली में एक व्यवसायी से खुदाई में मिले सोने के सिक्के बेचने के एवज में लगभग 20 लाख रुपये ठगी की। इस संबंध में प्राथमिकी संख्या 160/2023, धारा 406/420 भारतीय दण्ड संहिता, थाना विजय विहार, दिल्ली, दर्ज की गई थी |
कार्य प्रणाली:
टटलुबाज़ गिरोह नकली सोना को असली दिखा कर, उसे ऐतिहासिक स्थलों पर खुदाई से बरामद होने का दावा करके लोगों के साथ ठगी करता है। गिरोह के सदस्य दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर रहते हैं व खुद को पेशेवर कुशल श्रमिक और उत्खनन कार्यों में निपुण बताते थे । फिर वह अपना लक्ष्य चुन कर उससे दोस्ती करते थे। दोस्ती हो जाने के उपरांत वे अपने लक्ष्य को खुदाई से बरामद होने का दावा करते हुए सोने की गिन्नी (सोने के सिक्के) दिखाते हैं। धातु की प्रमाणिकता दिखाने और विश्वास हासिल करने के लिए, वे जांच और मूल्यांकन के लिए एक असली सोने की गिन्नी देते हैं | इसके बाद, वह ऐसे सिक्कों का थोक में होने का दावा करते हैं | जिनकी कीमत 70-80 लाख रुपये बताते हैं, और आकस्मिक धन की आवश्यकता दिखा कर बहुत कम कीमत में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं । दिलकश बातों और बड़े फायदे के दावे के चलते लक्ष्य जल्दबाजी में उनसे सौदा फाइनल कर लेता है और ठगी का शिकार हो जाता है।
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