अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
जेल में बंद,आंदोलन कर रहे किसानों की रिहाई की मांग को लेकर मंगलवार की शाम को बदौली गांव वालों ने कैंडल मार्च निकाला. कैंडल मार्च में युवा, महिलाएं और बच्चे भारी संख्या में शामिल हुए. उनका कहना था कि पुलिस किसानों को परेशान कर रही है और हमारे सभी किसानों को उठाकर जेल में बंद कर दिया गया है। घर में घुस कर औरतों को परेशान किया गया। कई किसानों की उम्र सत्तर साल की है उन्हे जेल मे बंद किया गया है, सबको तुरंत रिहा किया जाए।
हाथों कैंडल लेकर प्रदर्शन कर रहे ये गांव बदौली के युवा, महिलाएं और बच्चे है उनका कहना है कि 2 दिसंबर को हमने शांतिपूर्वक इस प्रशासन के प्राधिकरण के खिलाफ दिल्ली चलने का आह्वान किया था। जिसे रोक कर प्रशासन ने हम सभी को जगह दी ताकि हम अपना शांतिपूर्वक बैठकर बात कर सके और एक हफ्ते के अंदर हमारी वार्ता कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन।तीन तारीख को प्रशासन ने धोखा देते हुए हमारे सभी किसानों को जेल में बंद कर लिया। चार तारीख को उन्हें रिहा कर दिया गया। लेकिन प्रशासन ने इसके बाद धोखा देते हुए दोबारा से रात को नौ बजे के करीब हमारे किसानों को दोबारा से उठा लिया। पुलिस लगातार घर में घुस कर औरतों को परेशान कर रही है।
गांव वालों का कहना है कि बदौली गांव से चार लोग तीन चार तारीख में जो धरना स्थल से उठाए गए हैं उनमें दो रतन जिनकी उम्र करीब 70 वर्ष है और सुरजीत पुत्र रामफल उनकी उम्र भी करीब 70 वर्ष है और तीसरे किसान है प्रकाश जिनकी उम्र करीब 60 वर्ष है और चौथे किसान है अमरपाल पुत्र टेकन जिनके यहाँ की शादी का प्रोग्राम कल है. पुलिस जिन किसानों को तो उठा के ले गयी है, यहाँ घर पर आकर तंग कर रही है। पीछे लगी हुई है, कृपया पुलिस से बचाया जाए। सभी किसानों को और उनके हक को दिलाया जाए। किसानों के समर्थन में मंगलवार को जिला बार एसोसिएशन के वकील न्यायिक कार्यो मे भाग नही लिया. वकीलों ने पुलिस की ओर से की गई किसानों के खिलाफ कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए रिहाई की मांग की है। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश भाटी ने कहा कि तीनों प्राधिकरण से किसानों की मांगें उचित है। किसानों की जमीन जबरन ली गई है। उन्होंने कहा कि 64.7 प्रतिशत मुआवजे, 10 प्रतिशत आबादी प्लॉट, सरकारी नौकरी और लीज बैंक की प्रक्रिया पूरी करने की मांग जायज है। इसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। मजबूरी के चलते किसानों को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है। शासन प्रशासन की दमनकारी नीति के खिलाफ संवैधानिक तरीके से किसान धरना प्रदर्शन कर रहे थे। जिन्हें जबरन जेल में डाला गया।
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