Athrav – Online News Portal
पलवल स्वास्थ्य

विश्व रक्तदाता दिवस पर विशेष: भारत में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के सबसे बड़े रक्तदाता हैं उप-निरीक्षक डॉ. अशोक कुमार वर्मा।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
भारत में पुलिस विभाग के सर्वोच्च रक्तदाता हैं पुलिस उप निरीक्षक डॉ अशोक कुमार वर्मा। वे स्वयं 175 बार रक्तदान के साथ 85 बार प्लेटलेट्स का दान कर चुके हैं। उनके परिवार में उनके भाई सतपाल, विनोद कुमार, नरेश कुमार, नन्हा राम 50 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। उनके पुत्र और पुत्रियां भी 10 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। इतना ही नहीं डॉ अशोक कुमार वर्मा 544 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर चुके हैं जिसमें 19754 से अधिक रक्त इकाई का संग्रहण सरकारी अस्पतालों को मिला है जिसका लाभ 59262 लोगों को मिला है। रक्तदान के लिए राज्यपाल हरियाणा द्वारा राजभवन चंडीगढ़ में 6 बार सम्मानित हो चुके हैं। वे राष्ट्रपति पुलिस पदक से विभूषित, राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता, डायमंड रक्तदाता एवं पर्यावरण प्रहरी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
 
सभी जानते हैं कि रक्त के अभाव में किसी व्यक्ति विशेष की जीवन लीला समाप्त हो सकती है। रक्त व्यक्ति की धमनियों में बहने वाला वह जीवन अमृत हैं जिसके अभाव में जीवन संकट में पड़ सकता है। लगभग दो-तीन दशक पूर्व रक्तदान के नाम से लोग डरते थे। यदा कदा अपने घर के सदस्य के लिए भी रक्त की आवश्यकता होने पर दूसरों की और ताकते थे। कई तो डर के मारे वहां से खिसक जाते थे। ऐसी ही एक प्रेरणादायक सच्ची कहानी है हरियाणा पुलिस के उप निरीक्षक डॉ अशोक कुमार वर्मा की। वे हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो में जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी के रूप में नियुक्त हैं और वे बताते हैं कि “मुझे याद है कि 1990 में जब मैं राजकीय महाविद्यालय करनाल में पढता था और उन दिनों डीएवी कॉलेज करनाल में एनसीसी द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। पूरे करनाल जिले के 18 वर्ष से अधिक के विद्यार्थियों को वहां रक्तदान के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन कुछ जागरूक और समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझने वाले गिने चुने विद्यार्थियों ने ही वहां पहुंचकर रक्तदान किया। सौभाग्य से मैं भी उनमें से एक था। रक्तदान करके मुझे बहुत अच्छा लगा कि मैंने कुछ अच्छा कार्य किया है लेकिन यह प्रसन्नता कुछ ही क्षण की थी क्योंकि जैसे ही रक्तदान का प्रमाण पत्र लेकर मैं घर लौटा और मैंने घर पर बताया तो घर पर मेरी माँ ने चिंता व्यक्त की और इस पर भी जब मेरी भाभी को ज्ञात हुआ तो समस्या और बढ़ गई। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैंने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया। इस घटना का मेरे मस्तिष्क पर भी बहुत प्रभाव पड़ा। घर में माँ और भाई बहन चिंतित थे कि अब तो मैं निर्बल हो जाऊँगा। सांय तक मेरे मन के भीतर द्वंद्व चलता रहा और मैं ऐसा बोध करता रहा कि मैंने बहुत बड़ा अपराध किया है। रात्रि में मेरे पिता श्री कली राम खिप्पल घर लौटे और उन्हें इस बात की जानकारी दी गई। मैं भयभीत था कि पिता जी भी डांटेंगे लेकिन यह क्या उन्होंने तो मेरी पीठ थपथपाकर मुझे और अधिक प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बहुत अच्छा किया और वे स्वयं सेना में रहे हैं और उन्होंने वहां पर अनेक बार रक्तदान किया। यह सुनकर मुझे सुख का अनुभव हुआ और जैसे मेरे प्राण लौट आए। अब मुझे लगा कि मैंने कुछ गलत नहीं किया।”  भारतीय सैनिक पिता  कली राम खिप्पल जी की प्रेरणा से अब तक 175 बार रक्तदान किया है और 85 बार प्लेटलेट्स दान किये हैं। इतना ही नहीं परिवार के सभी लोग एक साथ रक्तदान कर रहें हैं। रक्तदान करने का भय अब लोगों में नहीं रहा। इतनी जागरूकता आने के बाद भी आज भी रक्त के अभाव में कई जिंदगियां समाप्त हो जाती है।

Related posts

फरीदाबाद के सांसद व केंद्रीय भारी एंव ऊर्जा मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कराया बीपी चेक -पढ़े

Ajit Sinha

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से खुश हैं दिल्ली के लोग

Ajit Sinha

फरीदाबाद: स्वास्थ्य सेवाओं में मील का पत्थर साबित होगा मां अमृता आनंदमयी अस्पताल : मनोहर लाल

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x