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फरीदाबाद स्वास्थ्य

मदर्स डे पर फोर्टिस, फरीदाबाद के डॉक्टरों ने जोखिम भरी गर्भावस्था को जीवन की खुशियों में तब्दील किया।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद: मदर्स डे के अवसर पर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल के डॉक्टरों ने 29-वर्षीय महिला की हाइ-रिस्क प्रेग्नेंसी का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया। इससे पहले उक्त महिला के दो गर्भपात हो चुके थे। मरीज को 18 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के साथ जब फोर्टिस एस्कॉर्ट्स लाया गया तो वह एडवांस सर्वाइकल ओपनिंग के साथ-साथ वॉटर बैग में फैलाव की समस्या से जूझ रही थीं, इस कंडीशन को सर्वाइकल इन्कॉम्पेटेंस (अक्षमता) कहते हैं, जो गर्भपात और प्रेग्नेंसी के असमय समाप्त होने का रिस्क बढ़ाती है। एसोसिएट डायरेक्टर एवं सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, डॉ ए सोनी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस मामले में इमरजेंसी सर्वाइकल स्टिच प्रक्रिया को अंजाम दिया।

इस प्रक्रिया के तहत सर्वाइकल के आसपास स्टिच लगाए गए थे ताकि वह बंद रहे और प्रेगनेंसी को सपोर्ट करे। यह सर्जरी करीब 40 मिनट तक चली, और मरीज को 5 दिन बाद स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।मरीज को जब फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल लाया गया तो इससे पहले दो बार गर्भपात हो चुके थे इस बार प्रेग्नेंसी का 18वां सप्ताह चल रहा था। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स में भर्ती होने पर सर्वाइकल इन्कॉम्पेटेंस का पता चला, यह ऐसी दुर्लभ कंडीशन है जिसमें सर्वाइक्स बिना किसी दर्द के खुलने लगता है, और इस वजह से दूसरी तिमाही में प्रेग्नेंसी लॉस का खतरा बढ़ जाता है। उनका सर्वाइक्स पहले से ही 3 सेमी तक फैल चुका था, और मेंब्रेन्स उभरने लगी थीं जो गर्भपात का संकेत थीं। मरीज की काउंसलिंग की गई और उन्हें आगे भी गर्भपात के संभावित जोखिमों के बारे में बताया गया। डॉ ए सोनी, एसोसिएट डायरेक्टर एवं सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, तथा डॉ ईशा वधावन, कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ने अपनी टीम के साथ उनकी इमरजेंसी रेस्क्यू सर्क्लेज (emergency rescue cerclage) प्रक्रिया की, इस जटिल सर्जरी में वॉटर बैग को सावधानीपूर्वक गर्भाशय में रखकर उसके आसपास स्टिचिंग की गई। इस प्रक्रिया के लिए काफी एडवांस सर्जिकल कौशल की आवश्यकता होती है और बेहद सावधानीपूर्वक की जाती है ताकि समय से पहले प्रसव प्रक्रिया न शुरू हो जाए, या जिससे मेंब्रेन्स के फटने का खतरा न हो। इन तमाम जोखिमों के बावजूद, इस प्रक्रया ने सर्वाइकल को और खुलने से रोक दिया और मेंब्रेन्स का भी फटने से बचाव किया जा सका। मरीज को इस प्रक्रिया के बाद डॉक्टरी ऑबज़र्वेशन में रखा गया और उन्हें बेड रेस्ट तथा रेग्युलर फौलो-अप करवाने की सलाह दी गई। इसके बाद, मरीज प्रेग्नेंसी को 36 हफ्तों तक सस्टेन कर पायीं और सीज़ेरियन सेक्शन के जरिए उन्होंने स्वस्थ पुत्री को जन्म दिया। इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ ए सोनी ने कहा, “इस प्रक्रिया के लिए सटीक तरीके से सर्जरी की आवश्यकता थी ताकि प्रसव या इंफेक्शन का खतरा न हो। सर्वाइकल अक्षकता दुर्लभ कंडीशन है जो 1,000 प्रेग्नेंसी में से 1 को प्रभावित करती है। यदि इस कंडीशन का समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो दूसरी तिमाही में ही गर्भपात हो सकता था। ऐसे मामलों में सफल उपचार के लिए आरंभिक स्तर पर डायग्नॉसिस, सर्जिकल विशेषज्ञता के साथ-साथ पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल भी बेहद जरूरी है। इस प्रक्रिया के बाद, मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और साथ ही, मोडीफाइड बेड रेस्ट करने की सलाह दी गई तथा रेग्युलर फौलो-अप के जरिए उनकी स्थति पर लगातार नज़र रखी गई। वह 36-37 सप्ताह तक प्रेग्नेंसी को सस्टेन कर पायीं और सीज़ेरियन सेक्शन के जरिए उन्होंने एक स्वस्थ कन्या शिशु को जन्म दिया। बाद में, उनकी फैमिली ने अस्पताल की मेडिकल टीम को बच्ची के पहले जन्मदिन पर आमंत्रित किया, जो कि एक चुनौतीपूर्ण समय के बाद खुशी का अवसर था।”

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