अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मुख्यमंत्री अरविदं केजरीवाल ने आज कहा कि देश का पैसा देश की जनता के लिए है। नेताओं के दोस्तों के लोन माफ़ करने के लिए नहीं है। अगर चंद अरबपतियों के 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ नहीं होतेे, तो केंद्र सरकार को खाने-पीने की चीजों पर टैक्स लगाने और जवानों का पेंशन खत्म करने के लिए अग्निवीर योजना लाने की जरूरत नहीं पड़ती। एक तरफ इन्होंने 10 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया और दूसरी तरफ बड़ी-बड़ी कंपनियों के 5 लाख करोड़ रुपए का टैक्स भी माफ कर दिया। ये लोग अपने दोस्तों पर सारा सरकारी पैसा उड़ाते हैं और हम ग़रीबों व आम लोगों को देते हैं। आखिर ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सरकार सैनिकों को पेंशन भी देने की हालत में नहीं है और पेंशन खत्म करने के लिए अग्निवीर योजना लानी पड़ी।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार खाने-पीने की चीजों पर टैक्स लगाया गया है। इससे पहले कभी किसी सरकार ने टैक्स नहीं लगाया। 2014 में केंद्र सरकार जितना टैक्स इकट्ठा करती थी, आज उससे दोगुना-तीन गुना टैक्स इकट्ठा हो रहा है, तो यह सारा पैसा कहां जा रहा है? अगर सारा सरकारी पैसा कुछ चंद लोगों पर उड़ाया जाएगा, तो देश आगे कैसे बढ़ेगा? आज देश का आम नागरिक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पिछले कुछ दिनों से जनता को फ्री में मिलने वाली सुविधाओं का जबरदस्त तरीके से विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर सरकारें जनता को फ्री में सुविधाएं देंगी, तो सरकारें कंगाल हो जाएगी और देश के लिए बहुत आफत पैदा हो जाएगी। इन सारी फ्री की सुविधाओं को बंद किया जाए। इससे मन में एक शक पैदा होता है कि क्या केंद्र सरकार की आर्थिक हालत बहुत ज्यादा कहीं खराब तो नहीं हो गई है। इतना जबरदस्त तरीके से जनता को दी जाने वाली फ्री की सुविधाओं का विरोध क्यों किया जा रहा है? पिछले 70-75 साल से सरकारी स्कूलों के अंदर फ्री में शिक्षा मिलती आई है। पिछले 70-75 साल से सरकारी अस्पतालों में गरीबों को फ्री में दवाइयां मिलती आई है। हर महीने फ्री राशन दिया जाता है। तो अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन सारी चीजों के खिलाफ विरोध पैदा हो गया। केंद्र सरकार की आर्थिक हालत ठीक तो है!

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी थोड़ी दिन पहले ये अग्निवीर योजना लेकर आए और कहा गया कि अग्निवीर योजना लाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि सैनिकों का जो पेंशन का खर्चा है, वो इतना ज्यादा बढ़ गया है कि केंद्र सरकार उसको बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। आजादी के बाद से आज तक पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई केंद्र सरकार यह कह रही है कि हमारे से सैनिकों की पेंशन का बिल बर्दाश्त नहीं हो रहा है। आज तक कभी किसी सरकार ने ये नहीं कहा कि देश की सुरक्षा के लिए पैसे की कमी पड़ गई है। आज तक किसी सरकार ने ये नहीं कहा कि सैनिकों की पेंशन का पैसा हम नहीं दे पा रहे हैं। सैनिकों को पेंशन देकर हम एहसान नहीं करते, सैनिक हमारे ऊपर एहसान करते हैं, जब वो बॉर्डर के ऊपर अपनी जान दांव पर लगाते हैं। ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सरकार अब सैनिकों की पेंशन भी देने की हालत में नहीं बची है और केंद्र सरकार उस पेंशन के बिल को खत्म करने के लिए अग्निवीर योजना लेकर आई है। केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक वेतन आयोग बनाती है। आठवां वेतन आयोग अभी बनने वाला था। केंद्र सरकार ने कहा है कि अब हम आठवां वेतन आयोग नहीं बनाएंगे। यह हर दस-दस साल में बनता है।

ये कह रहे हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है, पैसे की कमी है। केंद्र सरकार के पास अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के लिए भी पैसा नहीं बचा है। केंद्र सरकार का सारा पैसा कहां गया? केंद्र सरकार की इतनी बुरी हालत क्यों हो गई है कि केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन हर बार बढ़ाने के लिए वेतन आयोग बनाया जाता था, वो भी नहीं बनाया जा रहा है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश के गरीब से गरीब आदमी, जिसके घर में कुछ भी नहीं होता है, उस व्यक्ति को सरकार साल में 100 दिन का काम देती है और फिर दिहाड़ी के हिसाब से 100 दिन का पैसा देती है। केंद्र सरकार कह रही है कि हमारे पास मनरेगा के तहत लोगों को 100 दिन का काम देने के लिए पैसा भी नहीं है। पिछले साल के मुकाबले इस साल उस पैसे में 25 फीसद की कटौती कर रही है। देश के सबसे गरीब, किसान, मजदूर और ग्रामीण इलाकों में जो लोग रहते हैं, वो दिहाड़ी के हिसाब से साल में 100 दिन काम करते थे। वो गड्ढे खोदने और सड़क बनाने का काम करते थे। उनको सरकार 100 दिन की दिहाड़ी देती थी, उसमें भी कटौती कर दी गई है। केंद्र सरकार कह रही है कि पैसा नहीं है।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार देश भर से जितना टैक्स इकट्ठा करती है, उसमें से एक हिस्सा राज्यों को देती है। अभी तक यह था कि उस टैक्स का 42 फीसद हिस्सा राज्यों को देना होता था। पिछले कुछ वर्षों में यह भी घटाकर 29-30 फीसद कर दिया गया। राज्यों को जो पैसा केंद्र सरकार देती है, उसमें भी कमी कर दी गई है। कह रहे हैं कि पैसा नहीं है। आखिर केंद्र सरकार का सारा पैसा कहा गया? केंद्र सरकार 2014 में जितना टैक्स इकट्ठा करती थी, आज की तारीख में उससे दोगुना-तीन गुना टैक्स इकट्ठा हो रहा है। यह सारा पैसा कहां जा रहा है? आज हम अपनी आजादी का 75वां साल मना रहे हैं। पहली बार एक गरीब आदमी के गेहूं और चावल के ऊपर टैक्स लगाया गया है। खाने-पीने की चीजों पर टैक्स लगाया गया है। इससे पहले कभी भी किसी सरकार ने खाने-पीने की चीजों पर टैक्स नहीं लगाया है। यह सबसे क्रूर चीज है। एक बिल्कुल गरीब आदमी, एक भिखारी, जिसके पास कुछ नहीं होता है, अब वो भी मार्केट से जब गेहूं-चावल खरीद कर लाएगा, तो उसको भी उस पर टैक्स देना पड़ेगा। इससे पहले किसी सरकार ने इतना क्रूर कदम नहीं उठाया था। लेकिन अब गेहूं, चावल, गुड़, शहद, छाछ, लस्सी, दही, पनीर पर टैक्स लगा दिया गया है। केंद्र सरकार की ऐसी क्या हालत हो गई कि गरीब से गरीब आदमी के खाने पर टैक्स लगाने की नौबत आ गई, जो आज तक 75 साल में कभी नहीं हुआ था। केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के ऊपर इतना टैक्स लगा रखा है कि बताते हैं कि केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स से हर रोज एक हजार करोड़ रुपए की आमदनी होती है और साल में लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपए की आदमनी होती है। यह सारा पैसा कहां गया? मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब ये कह रहे हैं कि जनता को जितनी सुविधाएं फ्री में मिलती हैं, वो बंद होनी चाहिए। सारे सरकारी स्कूल या तो बंद किए जाएं या सारे सरकारी स्कूलों में बच्चों से फीस लिया जाए। आप सोच कर देखिए कि अगर सरकारी स्कूलों में फीस लगने लग गई, तो क्या होगा? वैसे ही सरकारी स्कूलों के अंदर पढ़ाई खराब है और अगर सरकारी स्कूलों में फीस लगने लग गई, तो अपने बच्चों को तो कोई नहीं पढ़ा पाएगा। इस देश के आधे से ज्यादा बच्चे अनपढ़ रह जाएंगे। देश आगे कैसे बढ़ेगा? कई राज्य सरकारों ने अब सरकारी स्कूलों में फीस लगा भी दी है। एक राज्य के अंदर 120 रुपए महीना फीस लगा दी है। एक अन्य राज्य के अंदर 500 रुपए महीना फीस लगा दी है। एक गरीब आदमी अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए 500 रुपए कहां से लाएगा? अब ये कह रहे हैं कि सारे सरकारी अस्पतालों के अंदर पैसे लगने चाहिए। सरकारी अस्पतालों में जो फ्री का इलाज होता है, वो बंद होना चाहिए। ये कह रहे हैं कि सरकारी अस्पतालों में बिना पैसे दिए इलाज नहीं होगा। गरीब आदमी के पास इलाज कराने के पैसे नहीं है। वो इलाज कराने के लिए कहां से पैसे लाएगा। जिसके पास पैसा नहीं है, उसका इलाज नहीं होगा। ऐसे तो इस देश के गरीब लोग मर जाएंगे। अब ये कह रहे हैं कि फ्री का राशन बंद होगा। राशन फ्री नहीं होना चाहिए। पिछले 75 साल में जितनी भी सरकारें आईं, किसी को भी ऐसा घाटा नहीं हुआ कि फ्री का राशन बंद कर दिया जाए। फ्री का राशन तो बहुत पहले से मिल रहा है। अब ये फ्री का राशन भी बंद करना चाहते हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब यह प्रश्न उठता है कि केंद्र सरकार का यह सारा पैसा कहां गया? 2014 में केंद्र सरकार का लगभग 20 लाख करोड़ रुपए का बजट होता था। आज केंद्र सरकार का लगभग 40 लाख करोड़ का बजट है। तो यह सारा पैसा कहां जा रहा है। इन्होंने अपने दोस्त के, जो बहुत बड़े अरबपति लोग हैं, उनके 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ कर दिए। इन्होंने जिन लोगों के कर्जे माफ किए, इनमें से कई इनके दोस्त हैं। सरकारी पैसे से इन लोगों ने अरबपति लोगों के 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ कर दिए। किसी के 60 हजार करोड़ रुपए माफ कर दिए, किसी के 10 हजार करोड़ रुपए माफ कर दिए, किसी के 5 हजार करोड़ रुपए माफ कर दिए, क्यों? अगर ये हजारों-लाखों करोड़ रुपए के कर्जे माफ नहीं किए जाते, तो इनको खाने-पीने की चीजों के ऊपर टैक्स लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर ये लाखों-करोड़ों रुपए के कर्जे माफ नहीं जाते, तो आज इनके पास सेना के जवानों को पेंशन देने के लिए पैसे की कमी नहीं पड़ती और इस तरह देश की हालत नहीं होती। एक बात और पता चली है कि इन्होंने बड़ी-बड़ी कंपनियों के 5 लाख करोड़ रुपए का टैक्स माफ कर दिया। एक तरफ तो इन्होंने 10 लाख करोड़ रुपए के कर्जे माफ कर दिए और दूसरी तरफ इनसे जो टैक्स लेना था, वो टैक्स भी माफ कर दिया। जबकि इन्होंने गरीब आदमी पर टैक्स लगा दिया। आपके गेहूं, चावल, दही, छाछ, लस्सी, गुड़ और शहद के ऊपर टैक्स लगा दिया। पिछले कुछ सालों में अमीर लोगों के 5 लाख करोड़ रुपए के टैक्स माफ कर दिया गया। आज इस देश का आम नागरिक ठगा हुआ महसूस कर रहा है। इस देश का आम नागरिक धोखा महसूस कर रहा है। ऐसे देश आत्मनिर्भर कैसे बनेगा? ऐसे तो अपने देश के युवाओं का और बच्चों का भविष्य अंधकार में है। अगर यह देश कुछ चंद लोगों के लिए चलेगा, अगर सारा सरकारी पैसा कुछ चंद लोगों पर उड़ाया जाएगा, तो देश आगे कैसे बढ़ेगा?
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