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फरीदाबाद

मटिया महल की जमीन पर भूमाफियाओं ने खडी की मल्टीस्टोरी बिल्डिंग,एसडीएम ने की जांच शुरू

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:बल्लभगढ़ के अंबेडकर चौक के पास स्थित बेशकीमती मटिया महल की जमीन पर भूमाफियाओं द्वारा खडी की गई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के मामले को न्यायिक सुधार संघर्ष समिति द्वारा प्रशासन के समक्ष लगातार उठाए जाने के बाद अब प्रशासन ने इस संबंध में एक्शन लिया है। शुक्रवार को बल्लभगढ़ एसडीएम त्रिलोकचंद ने यहां का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने इस पूरी जमीन की विडियोग्राफी भी कराई। एसडीएम ने बताया कि इस जमीन की जांच के लिए तहसीलदार व पटवारी को आदेश दे दिए गए हैं। न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एल. एन. पाराशर ने मटिया महल की जमीन पर भूमाफियाओं द्वारा प्रशासन की मिलीभगत से बहुमंजिला इमारत खडी किए जाने के मामले में करीब 3 माह पूर्व जिला उपायुक्त व नगर निगम कमिश्रर को ज्ञापन दिया था।

इस मामले में उन्होनें हाईकोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर की थी। अभी तक चुनावों आदि के सिलसिले में व्यस्त रहने के कारण प्रशासन ने इस जमीन के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की थी। शुक्रवार को एसडीएम त्रिलोकचंद ने यहां दौरा कर जायजा लिया। पाराशर ने बताया कि उन्हें पता चला था कि अंबेडकर चौक के पास मटिया महल प्राचीन काल से बना हुआ था। इसकी करीब 800 वर्गगज जगह खाली पड़ी हुई थी। बीजेपी सरकार आने के बाद नेताओं ने इस जमीन को कब्जाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते मिलीभगत से यहां 550 वर्गगज पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग खड़ी हो गई। जबकि यह जमीन सरकारी थी। समय-समय पर इसकी कंप्लेंट की गई लेकिन अधिकरियों ने मिलीभगत होने के चलते कार्रवाई नहीं की। आज इस जमीन की कीमत करीब 20 करोड़ रुपए से भी अधिक है। पाराशर का कहना है कि मटिया महल का मुद्दा नगर निगम सदन में भी कई बार उठ चुका है। सदन ने इस जमीन के दस्तावेज देख हैरानी भी जताई थी और इस मामले की जांच विजिलेंस से कराने को लेकर प्रस्ताव पास हो गया था। इसके बाद आज तक भी इसकी जांच शुरू नहीं हो सकी। इस मामले में बड़े स्तर पर गोलमाल हुआ है। यही कारण है कि निगम अधिकारी इसकी जांच भी नहीं कराते। यदि इस जमीन का सही रिकॉर्ड देखना है तो एसडीएम महोदय राजस्व रिकॉर्ड, फील्ड बुक , मसाबी , सिजरा व अक्ष में देखे।



इनमें यह जमीन आज भी सरकार के नाम पर है। किंतु बडे ही हैरानी की बात है कि जमीन का सारा रिकॉर्ड सरकार के नाम पर होने के बावजूद भी नगर निगम द्वारा इस जमीन का नक्शा पास कर दिया गया। पाराशर का कहना है कि इस जमीन की भूमाफियाओं ने तहसील से भारी घपला कर रजिस्ट्री कराई है। उनके हाथ मटिया महल की इस 786 गज जमीन की रजिस्ट्री भी लगी है। इस रजिस्ट्री को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि रजिस्ट्री कोर्ट केस चलने के दौरान ही कर दी गई। जबकि कोर्ट ने प्रदूमन सिंह को मालिक बाद में माना किंतु जमीन की रजिस्ट्री उससे पहले ही उसने निहाल सिंह के नाम कर दी थी। सबसे बडी बात इसमें यह है कि कोर्ट में प्रदूमन आदि का केस इस खसरा न. 195 के साथ लगते खसरा नम्बर 118 का चल रहा था। जिसमें कोर्ट ने खसरा न. 118 का फैसला प्रदूमन सिंह के हक में दिया किंतु उस फैसले की आड में प्रदूमन सिंह ने खसरा नं. 195 की 786 गज जगह जिसमें ऐतिहासिक मटियामहल खडा था,उसे भी बेच दिया। पाराशर का कहना है कि इसके बाद इस जमीन की कई और लोगों के नाम भी रजिस्ट्री हुई है। इस सबका रिकॉर्ड उन्होंने निकलवा लिया है। जल्द ही वह इन फर्जी रजिस्ट्रियों के खिलाफ भी केस दर्ज कराऐंगे। गुरूवार को भी उन्होंने फरीदाबाद में हुई कई फर्जी रजिस्ट्रियों के खिलाफ केस दर्ज कराए हैं। एसडीएम त्रिलोक चंद का कहना है कि शुक्रवार को उन्होंने मौके का दौरा किया। इस जमीन की जांच के लिए तहसीलदार व पटवारी को आदेश दिए गए हैं। जल्द ही जांच रिर्पोट उन्हें मिल जाऐगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी । सरकारी जमीन को किसी भी सूरत में कब्जाने नहीं दिया जाऐगा।

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