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अपराध दिल्ली

महिला को डिजिटल अरेस्ट एंव निवेश के नाम पर 78,50,000 रुपए के ठगी के मामले में तीन आरोपित पकड़े गए।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के साइबर सेल को संगठित साइबर-सक्षम वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ अपने सतत अभियान में एक बड़ी सफलता मिली है। दिल्ली और हरियाणा में समन्वित छापेमारी में, डिजिटल अरेस्ट और निवेश धोखाधड़ी आधारित धोखाधड़ी में शामिल तीन आरोपितों  को गिरफ्तार किया गया।एक मामले में, 71 वर्षीय महिला को मनोवैज्ञानिक दबाव, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिरूपण और तकनीकी धोखे के माध्यम से ₹ 49,00,000/- की ठगी हुई। एक अन्य मामले में, 43 वर्षीय स्टेशनरी की दुकान के मालिक को क्रिप्टोकरेंसी निवेश के माध्यम से उच्च रिटर्न अर्जित करने के बहाने ₹ 39,50,000/- का चूना लगाया गया।
प्रमुख सफलताएँ और गिरफ्तारियाँ: 
• आरोपित व्यक्ति फरार थे और गिरफ्तारी से बचने के लिए बार-बार स्थान बदल रहे थे।
• गहन तकनीकी निगरानी और स्थानीय खुफिया जानकारी के माध्यम से उन्हें पता लगाया गया और गिरफ्तार किया गया। 
• उन्हें गुरुग्राम और हिसार, हरियाणा के दूरस्थ स्थान से पकड़ा गया। 
आरोपित  व्यक्ति: 
1. रवि, निवासी हिसार, हरियाणा (19 वर्ष), 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की, वर्तमान में नर्सिंग सहायक पाठ्यक्रम कर रहा है।
1. उसने बैंक में एक खच्चर खाता खोला और धोखाधड़ी की रकम के एक प्रतिशत के बदले में उसे बेच दिया। 
2. मनदीप, निवासी हिसार, हरियाणा (21 वर्ष), 12वीं कक्षा तक पढ़ा है, वर्तमान में डीजे के रूप में काम कर रहा है। उसने आगे वह खाता एक अन्य आरोपित  को बेच दिया। 
3. कलीम, निवासी तुगलकाबाद एक्सटेंशन, दक्षिण-पूर्व दिल्ली, उम्र 32 वर्ष; अनपढ़; बढ़ई के रूप में काम कर रहा है। उसने एक फर्म के नाम पर एक खच्चर खाता खोला।
कार्य प्रणाली: 
• इस गिरोह ने पीड़ितों को डराने के लिए पुलिस अधिकारियों और सरकारी एजेंसियों के रूप में प्रतिरूपण किया – जो डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी की एक पहचान है। 
• पीड़ितों को कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर बड़ी रकम हस्तांतरित करने के लिए मजबूर किया गया। • उच्च रिटर्न के वादे के साथ पीड़ितों को लुभाने के लिए फर्जी निवेश पोर्टल बनाए गए। • धन को बहु-स्तरीय बैंक खातों के माध्यम से धोया गया, जिसके बाद एटीएम से तेजी से निकासी की गई।
• गरीब और बेरोजगार युवाओं को खच्चर खाते (म्यूल अकाउंट) चलाने के लिए भर्ती किया गया, जिससे अपराध से हुई आय को वैध बनाने में मदद मिली। 
टीम और परिचालन क्रियान्वयन: 
यह अभियान एसीपी श्री अनिल शर्मा के पर्यवेक्षण में, इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र के नेतृत्व वाली एक समर्पित टीम द्वारा चलाया गया, जिसमें एसआई जगसीर सिंह, एचसी मोहित मलिक और एचसी गौरव शामिल थे।

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