अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
पंचकूला:भारतीय चिकित्सा परिषद सेक्टर-3 पंचकूला द्वारा वर्ष 2022 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर क्लिनिक संचालन के एक गंभीर मामले में दर्ज एफआई आर पर बड़ी कार्रवाई करते हुए पंचकूला पुलिस ने डीसीपी सृष्टि गुप्ता के नेतृत्व में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 471, 120बी तथा आयुर्वेदिक यूनानी प्रैक्टिशनर एक्ट 1963 के अंतर्गत दर्ज किया गया था। पुलिस प्रवक्ता ने आज जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. कृष्ण कुमार व डॉ. वीरेन्द्र कुमार जो कि मूल रुप से पानीपत के रहने वाले है उन्होने बिहार के पटना स्थित राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा संस्थान से अनुभव के आधार पर फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करवाया था।
इन प्रमाण पत्रों के आधार पर वे हरियाणा के पानीपत समालखा में आयुर्वेदिक क्लिनिक चला रहे थे, जबकि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, बिहार राज्य के इस संस्थान से जारी प्रमाण पत्र पर हरियाणा में क्लिनिक संचालन मान्य नहीं है।इन दोनों आरोपियों ने अपने परिचित चन्द्र भूषण चौधरी (पुत्र राम पुनित चौधरी, जिला अंबाला) की मदद से हरियाणा में प्रमाण पत्र का माईग्रेशन और रिन्यूवल करवाया, परंतु संबंधित रिकॉर्ड भारतीय चिकित्सा परिषद सेक्टर-3 के पास उपलब्ध नहीं था, जिससे मामला संदेहास्पद बन गया।मामले की जांच कर रही सेक्टर-21 पुलिस चौकी के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर दीदार सिंह व जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर राज कुमार ने अपनी टीम के सहयोग से दोनों आरोपियों को 5 जुलाई को गिरफ्तार किया। 6 जुलाई को उन्हें माननीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया।पुलिस रिमांड के दौरान आरोपियों से पूछताछ में फर्जी डिग्री की फोटोकॉपी बरामद कर ली गई है। साथ ही यह भी पता चला है कि अन्य कई लोगों ने भी इसी तरह की फर्जी डिग्रियां बनवाई हैं। पुलिस का कहना है कि ऐसे अन्य व्यक्तियों की पहचान की जा रही है और उन्हें भी शीघ्र ही गिरफ्तार किया जाएगा।
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