अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम: मुंबई की प्राची सर्राफ ने कोविड-19 के बाद आर्थिक तकलीफ से जूझते हुए जुलाहों की सहायता करने के लिए व्यू सती हैंडलूम की शुरुआत की है। रविवार रात सेंट्रल पार्क -1 के बैंक्वेट में व्यू सती हैंडलूम का गुरुग्राम में एग्जीबिशन के साथ लॉन्च किया गया। एग्जीबिशन सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक चला। गुरुग्राम की कई प्रमुख महिलाओं ने हैंडलूम की साड़ी पहनकर कैटवॉक किया। डॉ सारिका वर्मा ने कहा साड़ी एक बहुत ही खूबसूरत और शत प्रतिशत भारतीय पहनावा है। पिछले 2 साल में सजावट की चीजें कम खरीदी जा रही है जिसकी वजह से जो लोग कपड़े जूते जेवर पर्स इत्यादि सजावट की चीजें को बनाने के कारोबार में लगे हैं उन्हें बहुत आर्थिक दिक्कत आ रही है।
प्राची सर्राफ का व्यूसती हैंडलूम आत्मनिर्भर भारत की ओर सराहनीय कदम है। जेनिथ चौधरी ने कहा साड़ी पहन कर नारी अपने आप को खूबसूरत और कॉन्फिडेंट दोनों महसूस करती है और बाकी कपड़े छोटे बड़े हो जाएं साड़ियां कई दशक तक पहनी जा सकती हैं। लतिका ठुकराल ने कहा इस समय फैशन के साथ सस्टेनेबिलिटी का भी ध्यान रखते हुए ऐसी चीजें खरीदनी चाहिए जो सालों साल चले। साड़ी एक ऐसी चीज है जो मां से बेटी आगे पहन सकते हैं। सरू मुखर्जी ने कहा कि भारतीय महिलाएं जितनी भी मॉडर्न हो जाए साड़ी पहनकर जितनी खूबसूरत लगती है वह सजावट और किसी पोशाक में नहीं आती। रितिका सिन्हा, पूजा सिंह मनीषा ,डॉ ज्योति यादव और शिखा ने व्यू सती हैंडलूम की साड़ियां पहनकर फैशन शो किया।
इस एग्जिबिशन में महाराष्ट्र के विदर्भा क्षेत्र से करवट कटी , पैठाणी और कर्नाटक की चित्रदुर्गा और बागलकोट साड़ियां दिखाई गई। औरंगाबाद की गलियों में हिमरू साड़ी और शॉल बनाने वाले दुनिया के आखिरी 25 जुलाहे बचे हैं। इन का काम गुड़गांव की मिलेनियम सिटी की औरतों तक पहुंचाने का काम व्यूसती हैंडलूम ने किया है। प्राची सर्राफ का कहना है कि वह इसके बाद भी गुड़गांव के एग्जिबीशंस में आती रहेंगी और ग्रामीण जुलाहो की मदद करने के लिए व्यू सती ट्रस्ट के जरिए काम करती रहेंगी।
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