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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने विशाल संबोधित करते हुए क्या कहा. लाइव वीडियो में सुने उन्हीं के जुबानी।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाद्रा ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि मनीष जी और इंद्राज गुर्जर जी के पक्ष में मुझे कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं है। मनीष यादव जी, इंद्राज गुर्जर जी, अजय यादव जी, श्री रोहित चौधरी जी, श्री विष्णु सैनी जी, मंच पर उपस्थित सभी कांग्रेस के नेतागण और पदाधिकारी, कांग्रेस के सारे कार्यकर्ता, भाई-बहन, मेरी प्यारी-प्यारी बहनों, प्यारे भाई, आप सबका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत।

सभी बहनो-भाईयों को राम-राम। त्रिवेणी धाम जी की (जनसभा ने कहा – जय), खाटू श्याम भगवान जी की (जनसभा ने कहा – जय), संत श्री नारायण दास जी की धरती है। आज हम यहाँ खड़े हैं, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए उन्होंने कितना काम किया। हम उनको श्रद्धा से याद इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्होंने हमेशा अपना धर्म निभाया, तो आज उनकी धरती पर खड़े हुए हम उनको याद करते हैं और उनको नमन करते हैं। मैं जानती हूं कि यहाँ के आपके कुछ मुद्दे हैं,यहाँ के जो आपके विधायक हैं, अच्छे लगते हैं आपको (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – नहीं लगते हैं)। बदलना चाहते हैं, (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – हाँ)। उनको बहुत मान-सम्मान मिला हमारी पार्टी से, आपकी यहाँ पेयजल की समस्या है, है कि नहीं (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – हाँ है)। जिले की मांग है, है कि नही (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – हाँ है)। उन्होंने ये मांग उठाई ही नहीं और आपकी समस्या को पूरी तरह से नकारा। मनीष यादव जी, उन्होंने खुद कहा, लेकिन मुझे भी यही रिपोर्ट आई थी कि इन्होंने आपके दुख-सुख में हमेशा आपका साथ नहीं छोड़ा है। आपके संकट में आपके साथ खड़े रहे। साधारण परिवार के हैं, दिल के सच्चे हैं, दिन-रात आपके लिए काम करते हैं, इन्हें जैसे ही आप मौका देंगे, तो ये आपको और भी दोगुना काम करके दिखाएंगे। इंद्राज गुर्जर जी भी पास वाली विधानसभा के हैं, वो भी नौजवान हैं, वो भी दिन-रात एक करके काम करेंगे। देखिए, चुनाव का समय है, तो जब त्योहार का समय होता है, अभी दीपावली थी, त्योहार का समय होता है, तो हम क्या करते हैं – पूजा-पाठ करते हैं, घर की सफाई करते हैं, त्योहार की तैयारी करते हैं कि नहीं? जब खेती में कटाई का मौसम आता है, कटाई का समय होता है तो क्या करते हैं – तैयारी करते हैं कटाई के लिए, खेती में जाते हैं सुबह-शाम, मेहनत करते हैं, कटाई करते हैं। चुनाव का समय आता है, तो हमें क्या करना चाहिए। कौन बताएगा? चुनाव का समय होता है, हिसाब-किताब करने का समय, सही है? (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – हाँ सही है)… ये आकलन करने का समय कि भाई, हमार लिए हमारी सरकार ने क्या किया है, हमारे लिए हमारे विधायक ने क्या किया है और देश में जो परिस्थितियां हैं, उनको ठीक तरह से समझने का समय होता है। कभी-कभी लोग कहते हैं कि भाई, हम तुम्हारे धर्म के हैं, हम तुम्हारी जाति के हैं, इसी के आधार पर हमें वोट दे दो। कहते हैं? लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि वोट जो है आपका, वो पूरी जिम्मेदारी से, समझदारी से, आपके ही पक्ष में जाना चाहिए और ये जो चुनाव का समय है, इस समय ये समझना कि आपकी भलाई के लिए कौन काम करता है और आपको नकारता कौन है, ये बहुत ज़रूरी है। तो बहुत सारे नेता आते-जाते हैं मंच पर। हम कांग्रेस के नेता हैं, कांग्रेस के पक्ष में तो बोलते ही हैं। भाजपा के नेता आएंगे, वो भी भाजपा के पक्ष में बोलेंगे। अच्छा वो कहते हैं, हम भ्रष्ट हैं, कहते हैं ना। कांग्रेस वाले भ्रष्ट हैं, कहते हैं। हम कहते हैं कि भाजपा वाले भ्रष्ट हैं। वो कहते हैं कि हम काम नहीं करते, हम कहते हैं, वो काम नहीं करते। तो ये इस बीच कभी-कभी मुझे लगता है कि जनता कैसे समझेगी कि भाई, सही कौन कह रहा है, झूठ कौन कह रहा है। तो ये जो समय है चुनाव का, इसमें आप सबकी बातें अच्छी तरह से सुनो, ध्यान से सुनो। मोदी जी आएं, उनकी सुनो, भाजपा के नेता आएं, उनकी सुनो। हमारी सुनो, हमारे बड़े-बड़े नेता गहलोत जी, राहुल जी, खरगे जी आएं आपके सामने, उनकी बात सुनो। लेकिन जो आपका वोट है, जो आपकी सोच है, वो बहुत ही मतलब तीखी होनी चाहिए। आपको सोचना चाहिए कि किस तरह से इन सबकी बातों में से हम सच्चाई को निचोड़ कर निकालें। ये आपकी बड़ी जिम्मेदारी है।तो आज जो चुनाव के सच्चे सवाल हैं, जो असली सवाल हैं, वो क्या हैं। एक तो बेरोजगारी है, बड़ा मुद्दा है। अब हम देश में देखें कि जहाँ पर भाजपा की सरकारें हैं और जहाँ देश में, केंद्र में भाजपा की सरकार चल रही है, वहाँ बेरोजगारी की क्या दर है। 45 सालों में सबसे अधिक बेरोजगारी आज हमारे पूरे देश में है। अब आप अपने प्रदेश में राजस्थान में देखिए, राजस्थान में मैं मुख्यमंत्री जी से पूछ रही थी दो-तीन दिन पहले कि मुख्यमंत्री जी हमने कितने रोज़गार दिलवाए हैं? तो वो बोले कि देखो, दो लाख रोज़गार हमने दिलवाए हैं और एक लाख रोजगार की बजट में हमने घोषणा की थी, उसमें से 40 हजार रोज़गार प्रक्रिया में हैं। तो ये जवाब वो मुझे दे पाए और ये हमारी आपस की बात थी, ये नहीं था कि कोई सुन रहा है, देख रहा है। हम आपस में बैठे थे, मैंने पूछा कि कितने रोज़गार दिए हैं? मुख्यमंत्री जी ने सच्चाई से बोला कि देखो, दो लाख दिए हैं। यही बात जब मैं मध्य प्रदेश में थी, भाजपा की सरकार है वहाँ 18 सालों से बहनों और भाईयों… 18 साल कम नहीं होते। मैंने पूछा कि भाई, जबसे ये पिछली सरकार बनी है इनकी, साढ़े तीन सालों से इनकी, भाजपा की सरकार है वहाँ, कि जबसे इनकी सरकार बनी है, तो इन्होंने कितने रोज़गार दिलवाए? अब मुझे कोई जवाब देकर बताए, यहाँ हमने पांच सालों में दो लाख रोज़गार बनाए, मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, आप सोचेंगे कि चलो एक लाख तो बनाए होंगे। नहीं, दस हजार, नहीं, एक हजार, नहीं। साढ़े तीन सालों में बहनों और भाईयों, मात्र 21 रोज़गार दिए हैं उनकी सरकार ने। सोच सकते हैं आप? मात्र 21 रोज़गार।फिर हम अगर युवाओं को देखें, शिक्षा के लिए कितने काम किए हैं,। शिक्षा के लिए राजस्थान की सरकार ने नई-नई पाठशालाएं बनवाईं। मैं छत्तीसगढ़ जाती हूं, अपनी सरकार वहाँ भी है, यहाँ भी है। छत्तीसगढ़ में हर जिले में पाठशाला बनाई है, तो मैंने गहलोत जी से पूछा कि छत्तीसगढ़ में तो हमारी सरकार ने हर जिले में बनाया है इंग्लिश मीडियम का स्कूल। आपने कितने बनवाए। हंसने लग गए, कहा अरे, जिला क्या, हमने तो गांव-गांव में बनवाए हैं। नई यूनिवर्सिटियां खोली हैं, नए कॉलेज हैं, वो खोले हैं। मेडिकल कॉलेज खोले हैं और वहाँ मध्य प्रदेश में पूछ लीजिए, अपने मध्य प्रदेश के दोस्तों से पूछिए, वहाँ पर सात हजार से अधिक स्कूल बंद कर दिए हैं। तो सोचिए, यहाँ पांच सालों में नई-नई यूनिवर्सिटियां, नए-नए कॉलेज, नए-नए स्कूल बन रहे हैं, वहाँ पर सात हजार से अधिक बंद हो चुके हैं।किसानों से पूछिए, यहाँ पर आपके कर्ज माफ़ किए गए। केंद्र सरकार ने जो महंगाई बढ़ाई हुई है, जीएसटी का जो टैक्स है, वो कहाँ जाता है। वो प्रदेश की सरकार के पास नहीं जाता है बहनों और भाईयों… वो जो टैक्स है, जो आज आपके बर्तनों पर है, जो भी आप खरीदने जाएं, उस पर है। आप किसान हैं, ट्रैक्टर पर है, तमाम चीजों पर वो टैक्स है जो आपको भरना पड़ता है, जिसकी वजह से सब कुछ महंगा हो रहा है, वो टैक्स कहाँ जाता है – वो प्रदेश की सरकार के पास नहीं जाता है। वो आपके पैसे हैं, वो केंद्र की सरकार, मोदी जी की जो सरकार है, उसके पास वो टैक्स जाता है। तो ठीक है, टैक्स जाता है। अब सोचें कि ठीक है टैक्स जा रहा है, हमारे पैसे जा रहे हैं थोड़े अधिक। तो कम से कम आपको ये नहीं लगता कि उस टैक्स से, वो जो पैसे हैं उनसे आपके लिए काम होना चाहिए। होना चाहिए कि नहीं (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – हाँ होना चाहिए)। जितना भी पैसा सरकार का होता है, वो किसका होता है? मोदी जी का तो नहीं होता, उनके मंत्रियों का नहीं होता। शायद उनके लिए ये दुख की बात होगी कि अडानी जी का भी नहीं होता। वो पैसा बहनों और भाईयों, आपका पैसा होता है। हमारे देश में लोकतंत्र है। लोकतंत्र में जितनी भी संपत्ति होती है देश की सरकार की, वो जनता की संपत्ति होती है। तो चाहे शिक्षा हो, चाहे स्वास्थ्य सुविधाएं हों, चाहे सड़कें हों, चाहे नौजवानों के लिए रोज़गार हो, ये सब उस संपत्ति से आना चाहिए। उसी संपत्ति से बनना चाहिए।हम रोज़गार की बात करते हैं, यहाँ राजस्थान में दो लाख रोज़गार आपको दिलवाए। मैंने आपको बताया कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार ने कितने रोज़गार दिए। लेकिन आप इनकी सोच को समझिए। यहाँ से, राजस्थान से कितने बच्चे जवान बनकर हमारी सरहदों पर हमारी सुरक्षा करते हैं। करते हैं कि नहीं देश की सुरक्षा? (श्रीमती गांधी ने जनसभा से पूछा) (जनसभा ने कहा – हाँ करते हैं) … जब वो जाते हैं, सेना में भर्ती होते हैं, तो मन में क्या होता है – देशभक्ति की भावना… और इतनी मज़बूत होती है वो देशभक्ति की भावना कि वो कहते हैं कि हमारी जान चली जाए, लेकिन हम सरहद पर खड़े होकर अपने देश की सुरक्षा करेंगे। राजस्थान, हरियाणा, ये जो प्रदेश हैं, सबसे ज्यादा सैनिक आप ही ने दिलवाएं हैं देश को।अब हमारी क्या उम्मीद रहती है सरकारों से। सरकारों से हमारी यही उम्मीद रहती है कि ना हमारे जीवन में संकट है, हमारे जीवन में मुश्किलें हैं… उन मुश्किलों का सामना करने के लिए हमारी सरकार हमारी सहायता करे। ये उम्मीद होती है। इसी तरह से नौजवान होता है, रोज़गार लेता है, सेना में भर्ती होता है तो खुश रहता है कि भाई, मेरी भर्ती हो गई, जीवन भर मैं काम करुंगा सेना में। इन्होंने क्या किया, अग्निवीर योजना ले आए। अग्निवीर में क्या है कि भाई, सेना में भर्ती होने के लिए वही ट्रेनिंग करो, उतनी ही मेहनत करो, लेकिन तुम्हारी भर्ती सिर्फ़ चार सालों के लिए होगी। तो अगर सिर्फ़ चार सालों के लिए सैनिक खड़ा होगा, वापस घर आएगा, फिर से उसी बेरोज़गारी का सामना करेगा तो उसके मन पर क्या बीतती होगी? क्या वो सोचेगा कि हाँ, हम जाकर सरहद पर खड़े होकर इस देश के लिए अपना जीवन दे दें, लेकिन इस देश की सरकार हमें सिर्फ़ चार सालों की नौकरी दे रही है। उसी तरह से जो सरकारी कर्मचारी है, काम करता है। 20 सालों तक हर महीने उसके थोड़े-थोड़े पैसे सरकार निकालती है कि पेंशन में जाएंगे। तो वो क्या उम्मीद रखता है सरकार से… यही उम्मीद रखता है कि मेरी पेंशन के जो पैसे कटेंगे, वो अंत में 20 साल बाद मेरे हाथों में आ जाएंगे और उनकी मैं खुद हिफाज़त करूंगा। सरकार क्या कर रही है, केंद्र की सरकार, पेंशन के पैसे लेती है और उसका निवेश खुद कर देती है। अब कर्मचारी कहता है कि निवेश आप कहीं कर लो, कहीं गड़बड़ हो जाए, ग़लत निवेश कर लिया तो मेरी तो 20 सालों की मेहनत चली गई ना। मेरे तो पैसे वापस नहीं होंगे। तो सरकारी कर्मचारियों की समय से ये मांग है केंद्र सरकार से कि भाई, हमारी जो पुरानी पेंशन थी, जिसके ज़रिए मेरी पेंशन के पैसे मेरे ही हाथों में मिल जाते, वो पुरानी पेंशन वापस कर दो। किसान की क्या मांग रहती है, किसान का कर्ज़ होता है, मुश्किलें होती हैं। किसान चाहता है कि खाद आसानी से मिल जाए, सही दाम मिले अपनी फसल का और अगर कर्ज़ में डूब रहा है तो अगर सरकार की सहायता हो तो कर्ज़ में से निकल पाए। यही किसान की मांग होती है। तो इस तरह से आप सरकार से उम्मीद रखते हैं।ये सरकार क्या कहती है, ये सरकार कहती है कि किसानों के कर्ज़ माफ़ करने के लिए हमारे पास पैसे ही नहीं हैं। तो कांग्रेस की जो सरकारें हैं, राजस्थान में आपने खुद देखा, छत्तीसगढ़ में, कर्नाटका में, जितनी भी सरकारें हैं, सबसे पहले तो किसानों को राहत देती हैं। तो यहाँ पर आपके कर्ज़ माफ़ हुए। इसी तरह से पुरानी पेंशन की स्कीम… जहाँ-जहाँ कांग्रेस की सरकार है, वहाँ आज पुरानी पेंशन की स्कीम लागू है तो सरकारी कर्मचारी भी खुश हैं।महिलाओं की बात करते हैं, बहनो, मैं जानती हूं महंगाई का जो सबसे बड़ा बोझ है ना, आप उठाती हैं। मैं जानती हूं, सुबह से शाम तक आप मेहनत करती हैं, खेती में भी जाती हो। जो जॉब करती हैं, वो जॉब के लिए भी जाती हैं। घर आकर फिर भी आपको सारा काम करना पड़ता है। घर का काम छोड़ती नहीं हैं। बाहर मज़दूरी करती हैं, खेती का काम करती हैं, नौकरी करती हैं, फिर भी घर आती हैं। फिर भी घर में मेहनत का काम होता है। फिर बच्चों की परवरिश करती हैं। छोटा-मोटा आप बचत कर सकती हैं, तो उसमें से जुगाड़ करके छोटी-मोटी चीजें घर के लिए, बच्चों के लिए खरीदती हैं। अभी त्योहार हुआ, धनतेरस था। आपने कुछ सामान खरीदा होगा घर के लिए। तो ये जो बोझ है समाज का आप उठाती हैं। जितने भी नेता हैं, वो आकर बोलते हैं कि महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, ये हो रहा है, वो होता है। खासतौर से आजकल भाजपा के नेताओं ने बहुत बात करनी शुरू की है कि महिलाओं पर बहुत अत्याचार हो रहा है। तो मैं आपसे पूछना चाहती हूं बहनों, अत्याचार हो रहा है, होता है और सबसे ज्यादा शायद महिलाओं पर होता है। जब ये आपके सामने आकर इन चीजों का राजनीतिकरण करते हैं, इसके बारे में कुछ राजनीतिक खेल करना चाहते हैं… ये कहना चाहते हैं कि अरे, आपके प्रदेश में ज्यादा है, हमारे प्रदेश में तो है ही नहीं, हमारी सरकारों में तो है ही नहीं… तो ये ग़लत करते हैं, क्योंकि ये महिलाओं के मान-सम्मान की बात है। इससे किसी को खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, राजनीतिक बातें इसमें मिलानी नहीं चाहिए।देखिए, इनके प्रदेशों में बहुत अत्याचार होता है। मैंने यूपी में काम किया, हाथरस में जो एक महिला पर इतना बड़ा अत्याचार हुआ था, वो यूपी में हुआ था। उन्नाव की एक महिला के साथ क्या-क्या नहीं हुआ। मैं उसके परिवार से मिलने गई। उसके पिता जी ने जो मुझे बताया, आज तक मैं नहीं भूली। उसके साथ तो अत्याचार हुआ ही है, लेकिन क्योंकि भाजपा के प्रधान का बेटा था तो उसने उसके पूरे परिवार पर अत्याचार किया था। उनके खेत जला डाले थे। उसके पिता जी की पिटाई की थी, उसके भाईयों की पिटाई की थी। उस बेचारी को तो जला कर मार ही डाला। उसकी बहन की भी पिटाई की, क्योंकि भाजपा का विधायक था। आपको ताज्जुब होगा, जब मैं उस गांव में गई तो मेरा काफिला जब जा रहा था तो एक जगह रुक गया। क्योंकि हमने देखा कि काफी बड़ी भीड़ थी लोगों की तो हमने सोचा कि पीड़िता का घर होगा। जब हम रुके तो हमें पता चला… मैं उतरी गाड़ी से, पता चला कि ये तो अपराधी का घर है। पीड़िता के घर में कोई जा ही नहीं रहा था। वो अकेले संघर्ष कर रही थी। उसका परिवार अकेले संघर्ष कर रहा था। सारे लोग जितने भी थे, सरकार, साधन, सब कुछ अपराधी के पक्ष में थे। ये इनके प्रदेशों में हो रहा है।

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