अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को चार वर्ष पूरे होने पर त्यागराज स्टेडियम में आयोजित हैप्पीनेस उत्सव का आज समापन हो गया। इस दौरान राजयोग मेटिटेशन की शिक्षिका बीके शिवानी ने सबको खुश रहने का मंत्र दिया। समारोह के मुख्य अतिथि सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम स्कूलों में बच्चों को कट्टर देशभक्त बना रहे हैं, जो आने वाले समय में देश में नफरत नहीं, प्यार का पैगाम फैलाएंगे। हम अपने स्कूलों में बच्चों को अच्छा इंसान, कट्टर देशभक्त और कम से कम अपना पेट पालने के योग्य बनना सिखा रहे हैं। स्कूलों में पढ़ रहे हमारे बच्चे देश का भविष्य हैं। कल देश का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, डॉक्टर और इंजीनियर इन्हीं बच्चों में से निकलेंगे। हमारे स्कूलों से निकलने वाले बच्चे देश को एक अच्छा वातावरण दें, ताकि हमारा देश दुनिया का नंबर वन देश बन सके। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हैप्पीनेस क्लास बच्चों को वह खुशी दे रही है, जिसे दुनिया की सारी दौलत मिलकर भी नहीं खरीद सकती।
आज बच्चों के उपर एकेडमिक, साथियों और परिवार का इतना दबाव होता है कि उस वजह से कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। हैप्पीनेस और एंटरप्रेन्योरशिप क्लास बच्चों के उपर से दबाव खत्म करने में मदद कर रहा है और उनको आत्मविश्वास दे रहा है। वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने अपने स्कूलों के बच्चों को खुश रहने और अच्छा इंसान बनाने की जिम्मेदारी ली है और इसके लिए हैप्पीनेस करिकुलम को आधार बनाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को चार वर्ष पूरे होने के अवसर पर हैप्पीनेस उत्सव-2022 के समापन समारोह में भाग लिया। दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित समापन समारोह का शुभारम्भ सुबह 11 बजे हुआ। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अन्य गणमान्य लोगों के साथ दीप प्रज्वलित कर समापन समारोह का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम की शुरूआत में एक इंपैक्ट वीडियो भी प्रदर्शित की गई, जिसमें बच्चे अपने अनुभवों को साझा करते दिखे। इस अवसर पर सेक्रेटरी (शिक्षा विभाग) अशोक कुमार, जीवन विद्या के प्रबोधक सोम त्यागी, राजयोग मेडिटेशन की शिक्षिका बीके शिवानी, शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमें हैप्पीनेस कार्यक्रम चलाते हुए चार साल हो गए। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर हमारी शिक्षा क्रांति की जो यात्रा है, उसके मोटे तौर पर तीन चरण है। जब हमारी दिल्ली में सरकार बनी थी, तब जैसे पूरे देश भर में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल है, वैसे ही दिल्ली में भी बुरा हाल था। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं। पढ़ाई का माहौल नहीं था। परिणाम भी अच्छे नहीं आते थे। मेरे को अभी भी एक सरकारी स्कूल के छोटे से बच्चे की बात याद है। जब उससे पूछा गया कि बच्चे तो देश का भविष्य होते हैं, तो वो बच्चा बोला कि वो तो प्राइवेट स्कूल वाले बच्चे होते हैं, हम तो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। हम देश का भविष्य नहीं हैं। यह बड़ा मार्मिंक वाक्य था। उसी बच्चे का पांच साल के बाद हमने वक्तव्य देखा। जब वो बच्चा कह रहा था कि हम भी अब इस देश का भविष्य हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चे भी इस देश के भविष्य हैं।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोगों ने शिक्षा क्रांति की यात्रा में सबसे पहले इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक किया। बिल्डिंग्स टूटी हुई थीं। टॉयलेट्स नहीं थे। पीने का पानी नहीं था, सफाई नहीं थी। स्कूलों में सुरक्षा नहीं था। हमने बिल्डिंग्स अच्छी बनाई। सुरक्षा को ठीक किया। पीने के पानी और टॉयलेट्स का इंतजाम किया। जबसे हमारी सरकार बनी है, तब से दिल्ली सरकार के कुल बजट का करीब 25 फीसद बजट हम शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। पिछले सात साल में अभी तक हम लोग दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था के उपर करीब 90 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। यह 90 हजार करोड़ रुपए खर्चा नहीं है, बल्कि यह बहुत बड़ा निवेश है। माता-पिता अपने बच्चे को स्कूल में इसलिए भेजते हैं कि उनके बच्चे का नंबर अच्छे आने चाहिए। नंबर अच्छे आएंगे तो कहीं अच्छी नौकरी मिल जाएगी। अगर हमने स्कूल अच्छा कर दिया और शिक्षकों का इंतजाम भी कर दिया, लेकिन बच्चों के नंबर अच्छे नहीं आएंगे, तो क्या फायदा हुआ। इसलिए हम लोगों ने शिक्षकों के उपर काम किया। शिक्षकों को मोटिवेट किया, उनको ट्रेनिंग दी और नंबर भी अच्छे आने लगे। पिछले साल दिल्ली सरकार के स्कूलों के 12वीं के नतीजे 99.7 फीसद आए, जो देश के अंदर एक इतिहास है। जब बच्चों के नंबर अच्छे आने लगे और प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा नंबर आने लगे, तो लोगों को लगा कि ठीक है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लोगों ने समझने की कोशिश की कि हम स्कूलों के अंदर पढ़ा क्या रहे हैं? रट लो और परीक्षा में सारा उल्ला करके आ जाओ। इससे क्या फायदा है? हमें इस सिस्टम को बदलना है और यह रट्टा सिस्टम खत्म करना है। हमारे स्कूलों से जितने भी बच्चे निकल रहे हैं, उनको तीन चीजों के लिए तैयार करना है। पहला, अच्छा इंसान बनना है। आज हमारे स्कूलों से जो बच्चे निकलते हैं, वो इतनी टेंशन में जीते हैं। इसलिए पहली चीज कि बच्चों को अच्छा इंसान बनाना है। अपनी भी शांति रखनी है और दूसरों के लिए निस्वार्थ भाव से काम करना है। दूसरा, कट्टर देशभक्त होना चाहिए। जो बच्चा स्कूल से निकले, उसे अपनी मातृभूमि के लिए तन-मन-धन सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार होना चाहिए। तीसरा, शिक्षा पूरी करने के बाद बच्चा कम से कम अपना पेट पालने के लिए तो तैयार होना चाहिए। ऐसा न हो कि बीए, एमए, एलएलबी, एलएलएम, डॉक्टरेट और बड़ी-बड़ी डिग्री कर ली और उसके बाद नौकरी ढूढ रहे हैं और नौकरी मिल नहीं रही है। घर में सब नाराज और दुखी हैं। इन तीनों बातों को ध्यान में रखते हुए हमने कई कोर्स डिजाइन किया और उसमें से एक कोर्स हैप्पीनेस करिकुलम था कि हम स्कूल से निकलने वाले हर बच्चे को अच्छा इंसान बनाएंगे। हैप्पीनेस कोर्स की वजह से हजारों जिंदगियां बदल रही हैं।