संवाददाता, नई दिल्ली। पाकिस्तान को बासमती चावल का निर्यात करने में भारत पिछड़ सकता है। दरअसल, ईरान ने अपना निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन पर फिक्स कर दिया है। माल ढुलाई की लागत अधिक होने के कारण भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए ऐसा करना व्यवहारिक नहीं है। ईरान चावल के आयात के लिए परमिट को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, लेकिन इस बात से भारतीय व्यापारी और अधिकारी परेशान हैं। परोक्ष रूप से पाकिस्तान को इसका फायदा होगा क्योंकि यह ईरान के करीब स्थित है।
ईरान के लिए अपनी निकटता की वजह से पाकिस्तान को फायदा होगा। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे लिए परिवहन लागत अधिक है। भारतीय निर्यातकों ने मांग की है कि ईरान को प्रति टन कम से कम 900 डॉलर कीमत तय करनी चाहिए, ताकि वे व्यापार को किफायती बना सकें। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष मोहिंदर पाल जिंदल ने कहा कि पाकिस्तान, ईरान के नजदीक हो सकता है, मगर उसके पास निर्यात करने के लिए चावल नहीं हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि है कि ईरानी कंपनियां इस बात को समझेंगी कि भारत में पिछले साल की तुलना में 20 से 30 फीसद कम फसल पैदा हुई है। ऐसे में 925 डॉलर से कम में चावल की बिक्री व्यवहार्य नहीं है।