अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस महासचिव और वायनाड की सांसद श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही कड़ी मेहनत की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इतनी मेहनत के बावजूद उन्हें पर्याप्त वेतन नहीं मिल रहा है। यह बात श्रीमती वाड्रा ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के दौरे के दौरान कहीं। उन्होंने दौरे के पहले दिन गुरुवार को मीनांगडी में ग्राम पंचायत सामुदायिक भवन में वनिता संगमम का उद्घाटन किया। उन्होंने यहां आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत एक स्मार्ट आंगनबाड़ी, एक लिफ्ट सिंचाई परियोजना और एक चेक डैम का भी उद्घाटन किया। इसके अलावा, उन्होंने वायनाड के पुलपल्ली में नए ‘ग्राम पंचायत कार्यालय परिसर’ का उद्घाटन किया। पंचायत ने मोबाइल पशु चिकित्सालय और वर्टिकल खेती जैसी कई पहल की हैं। इन समारोहों के दौरान बोलते हुए, श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने महिला कार्यकर्ताओं विशेष रूप से आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की जोरदार प्रशंसा की। उन्होंने कहा, आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका चौबीसों घंटे काम करती हैं। उन्होंने बताया कि अगर आधी रात को कोई चिकित्सा समस्या होती है, तो आशा कार्यकर्ता को सबसे पहले फोन आता है। उन्होंने कहा कि इतनी मेहनत के बावजूद, उनकी कार्य स्थितियां और मानदेय के मानदंड काफी कठिन हैं। अगर एक मानदंड भी कम होता है, तो उनके वेतन से 700 रुपये काट लिए जाते हैं। कई बार उन्हें प्रोत्साहन राशि पाने के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ता है। उनके काम के घंटे औसत कार्यालय कर्मचारियों से ज़्यादा हैं। फिर भी उन्हें नियमित कर्मचारी की तरह नहीं माना जाता है। उन्हें उचित वेतन नहीं दिया जाता और पेंशन भी नहीं दी जाती।खुद को सभी कामकाजी महिलाओं के साथ जोड़ते हुए उन्होंने कहा, “हम एक बहुत बड़ा बोझ उठा रहे हैं। समाज हमारे बिना नहीं चल सकता और आने वाली पीढ़ियों को हमारे बिना नहीं पाला जा सकता”। श्रीमती वाद्रा ने उत्तर प्रदेश में अपने महिला सशक्तिकरण अभियान “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने महिलाओं के लिए अलग से घोषणा पत्र जारी किया था, जो देश के चुनावी इतिहास में पहली बार था। उन्होंने कहा कि भाजपा सहित तमाम राजनीतिक दलों ने उस घोषणा पत्र से कई नीतियों को अपनाया और लागू किया। इससे पहले पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में श्रीमती वाद्रा ने कहा कि वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए प्रस्तावित टाउनशिप उनके (पीड़ितों) पुनर्वास की दिशा में उठाया गया सही कदम है। उन्होंने पीड़ितों के पुनर्वास में मदद करने के लिए सभी के प्रयासों की सराहना की, साथ ही कर्नाटक सरकार द्वारा 100 घर बनाने की पहल का भी जिक्र किया। उन्होंने पुलपल्ली में श्री सीता देवी लव कुश मंदिर के दर्शन भी किए और कहा, “इस मंदिर की दिव्य ऊर्जा और समृद्ध इतिहास ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया।”
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