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दिल्ली राष्ट्रीय हाइलाइट्स

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु भारत मंडपम में एनएचआरसी, भारत के मानव अधिकार दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगी

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
दिल्ली:वर्ष 1950 से 10 दिसंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला मानव अधिकार दिवस, 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाए जाने की याद में मनाया जाता है। गरिमा, समानता और स्वतंत्रता के लिए एक वैश्विक घोषणा पत्र के रूप में, यूडीएचआर मानव अधिकारों को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने के लिए विश्‍व में प्रयासों का मार्गदर्शन करता है।इन सार्वभौमिक आदर्शों के अनुरूप, भारत का संविधान और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993, उसी लोकाचार को प्रतिबिंबित करते हैं जिसके कारण 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत की स्थापना हुई। आयोग मानव अधिकार दिवस को सभी हितधारकों के लिए प्रत्येक व्यक्ति के मानव अधिकारों का सम्मान करने, उन्हें बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के अपने संकल्प को दोहराने का अवसर मानता है।10 दिसंबर 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले इस वर्ष के मानव अधिकार दिवस समारोह में सरकारों, नागरिक समाज, शिक्षाविदों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनयिकों, संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों, क्षेत्र के विशेषज्ञों जैसे विभिन्न हितधारक एनएचआरसी में शामिल होंगे।
इस अवसर पर भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन, आयोग के सदस्यों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में मुख्य अतिथि होंगी।इस वर्ष के मानव अधिकार दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा चुनी गई थीम ‘दैनिक आवश्‍यकताएं’ के अनुरूप, इस दिन को मनाने के लिए, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत भी इसी स्थल पर ‘दैनिक आवश्‍यकताएं: सभी के लिए सार्वजनिक सेवाएं और सम्मान’ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य भाषण प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा देंगे। यह विषय भारत की विकास यात्रा से पूरी तरह मेल खाता है जो इस बात पर जोर देता है कि मानव अधिकार केवल अमूर्त आकांक्षाएं नहीं हैं। ये दैनिक आवश्‍यकताएं हैं जो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास, न्याय, वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं के माध्यम से किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करती हैं।आयोग का मानना है कि बुनियादी सुविधाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने तथा सभी के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान के संवैधानिक वादे को पूरा करने के लिए उत्तरदायी शासन और कुशल सार्वजनिक सेवाएं आवश्यक हैं।हाल के वर्षों में, देश ने प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र, आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, वन बंधु कल्याण योजना, आकांक्षी जिले एवं ब्लॉक कार्यक्रम आदि जैसी पहलों के माध्यम से बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि, इन कल्याणकारी नीतियों को निरंतर सुदृढ़ प्रयासों के साथ पूरक बनाने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पहुंच, जागरूकता और जवाबदेही में कोई कमी न रहे।इस सम्मेलन के दो सत्रों – ‘सभी के लिए बुनियादी सुविधाएं: एक मानवाधिकार दृष्टिकोण’ और ‘सभी के लिए सार्वजनिक सेवाएं और सम्मान सुनिश्चित करना’ – का उद्देश्य इन पहलुओं पर चर्चा करना है। इन दोनों सत्रों में प्रख्यात क्षेत्र विशेषज्ञ, भारत सरकार के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इन पहलों पर विचार-विमर्श करेंगे।राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत अपनी स्थापना के समय से ही नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों सहित सभी प्रकार के मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के अपने प्रयासों में अडिग रहा है। इसने सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों में मानव अधिकार-केंद्रित दृष्टिकोण को समाहित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, साथ ही विविध पहलों के माध्यम से लोक प्राधिकारियों और नागरिक समाज में जागरूकता भी बढ़ाई है।जांच, खुली सुनवाई , शिविर बैठकों, स्व संज्ञान, राहत की सिफारिशों और नीतिगत सलाह के माध्यम से आयोग के सक्रिय हस्तक्षेप न्याय और जवाबदेही के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इसने स्व संज्ञान के मामलों सहित मानवाधिकार उल्लंघनों की 23.8 लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज की है और अपनी स्थापना के बाद से मानवा धिकार उल्लंघन के पीड़ितों के लिए 264 करोड़ रुपये की राहत की सिफारिश की है।भारत में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का प्रभाव निवारण से आगे बढ़कर व्यवस्थागत सुधार तक फैला हुआ है जो कानूनों और नीतियों की समीक्षा, विषयगत परामर्श और बाल अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य से लेकर पर्यावरण संरक्षण और श्रम कल्याण तक के मुद्दों पर शोध-आधारित पहलों में स्पष्ट है।

अपनी कोर ग्रुप बैठकों, परामर्शों और ओपन हाउस चर्चाओं, राष्ट्रीय सम्मेलनों और ऐसे ही सहयोगी कार्यक्रमों के माध्यम से, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग मानव अधिकार शासन को मजबूत करने के लिए सरकारी निकायों, राष्ट्रीय आयोगों, राज्य मानवाधिकार आयोगों, विशेषज्ञों, मानव अधिकार रक्षकों और नागरिक समाज के बीच संवाद को बढ़ावा देता है।आयोग प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, मूट कोर्ट और इंटर्नशिप के माध्यम से सिविल सेवकों, पुलिसकर्मियों और छात्रों को संवेदनशील बनाकर क्षमता निर्माण में भी योगदान देता है जिससे संस्थानों में मानव अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ती है। इसके अलावा, आयोग अपने आईटीईसी समर्थित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से ग्‍लोबल साउथ के राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों (एनएचआरआई) के वरिष्ठ पदाधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करता है जिससे वैश्विक स्तर पर मानव अधिकार सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्व को बल मिलता है। अब तक, एनएचआरसी, भारत ने चार क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं जिनमें से दो पिछले एक वर्ष के दौरान अफ्रीका, पूर्वी एशिया,मध्य एशिया, दक्षिण अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र के 23 देशों के एनएचआरआई के 78 वरिष्ठ पदाधिकारियों की भागीदारी के साथ आयोजित किए गए थे।आयोग ने डिजिटल नवाचार के माध्यम से अपनी पहुंच का विस्तार करते हुए एचआरसी नेट पोर्टल को चालू किया है जो राज्य प्राधिकरणों को जोड़ता है और व्यक्तियों को शिकायत दर्ज करने और वास्तविक समय में उनकी स्थिति पर नजर रखने में सक्षम बनाता है। यह पोर्टल पांच लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटरों और राष्ट्रीय सरकारी सेवा पोर्टल के साथ जुड़ा हुआ है जिससे मानव अधिकार संरक्षण अधिक सुलभ और पारदर्शी हो गया है।मानव अधिकार दिवस पर, आयोग अपनी पहुंच गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न मानव अधिकार प्रकाशन भी जारी करेगा।

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