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पंचकूला

पंचकूला: महापौर को एमपी लैड की तरह 5 करोड़ रुपये का फंड भी देने की मांग

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
पंचकूला: हरियाणा के मेयरों ने नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारी एसीआर लिखने की पावर मांगी है। आल इंडिया मेयर कांफ्रेंस में प्रदेश के 9 मेयरों ने एक स्वर में भारतीय संविधान के 74वें संशोधन को हरियाणा में पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की है। पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल, जिन्हें हरियाणा मेयर काउंसिल का प्रधान चुन लिया गया है, के नेतृत्व में मेयरों ने मुख्यमंत्री को अपना 15 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा, ताकि हरियाणा के सभी नगर निगमों को एक सशक्त मजबूती दी जा सके। महापौरों ने कहा कि निगमों के कार्यों में तेजी एवं पारदर्शिता लाने के लिये अदायगी करने का अधिकार एवं स्वीकृति नगर निगम के महापौर को होनी चाहिए। सरकार द्वारा नगर निकाय एवं परिषदों में यह अधिकार चेयरमैन को पहले से प्राप्त है, उसी तर्ज पर नगर निगमों में भी महापौर के स्तर पर इसे लागू किया सुनिश्चित किया जाए। नगर निगमों में आयुक्त व संयुक्त आयुक्त आईएएस व एचसीएस रैंक के अधिकारी होते हैं, जिस कारण कर्मचारियों पर इन अधिकारियों का दबाव अधिक होता है।

जनहित कार्यों में तेजी लाने के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों की एसीआर लिखने का अधिकार निगम के महापौर को होना चाहिए, ताकि अधिकारी/कर्मचारी को महापौर द्वारा दिए गए निर्देशों की दृढ़ता से पालना की जाए। महापौर को नगर निगम क्षेत्र में कार्य करवाने के लिए 5 करोड़ का स्वैच्छिक फंड 1 वर्ष का बजट (एम लैड और विधायक फंड की तर्ज पर) दिया जाए।हरियाणा के मेयरों ने मांग की है कि भारत सरकार एंव प्रदेश सरकार या किसी अन्य सरकारी संस्था द्वारा निगम क्षेत्र में बनाई जाने वाली किसी भी प्रकार की योजना जैसे कि स्मार्ट सिटी व अन्य कोई भी योजना को बनवाने/लागू करने में महापौर को अध्यक्ष पीएमडीए ,गमाड़ा या उसके सदस्य के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। नगर निगम के कार्य क्षेत्र में होने वाले सभी टेंडर कार्पोरेशन लेवल पर किए जाए और पूर्व की भांति किसी भी कार्य/निविदा की दरों की स्वीकृतिकरने का अधिकार महापौर की अध्यक्षता में गठित वित्त एंव सविंदा समिति को दिया जाना चाहिए। नगर निगम कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों को इंटरनल बदली करने से पूर्व आयुक्त नगर निगम द्वारा उसकी अनुमति महापौर से लेना अनिर्वाय होना चाहिए। महापौर नगर निगमो को 50 लाख तक टेंडर के बिना नगर निगम क्षेत्र में विकास करने के लिये अधिकार दिया जाना चाहिए। प्रोटोकॉल के अनुसार महापौर का पद मुख्य सचिव के बराबर का है अतः महापौर को भी आर्थिक मेडिकल सुविधाएं मुख्य सचिव के पदानुसार दी जानी चाहिए। सरकार द्वारा जिस प्रकार मंत्री, सांसद एवं विधायक के प्रोटोकॉल बनाए गए उसी तर्ज पर भी महापौर का प्रोटोकाल मैनुअल बनाना सुनिश्चित किया जाए। सभी वरिष्ठ उपमहापौर, उप महापौर व पार्षदो को उनके पदानुसार आर्थिक शक्तियां दी जानी चाहिए। नगर निगमों के सदन द्वारा गठित हाउस कमेटियों की रिपोर्ट को लागू करने का अधिकार भी सदन को ही दिया जाए। नगर निगमों की लेखा शाखा एवं आडिट शाखा की कार्य प्रणाली पर नजर रखने के लिए भी महापौर नगर निगम को अधिकृत किया जाना सुनिश्चित किया जाए। नगर निगमों की वित्त एवं संविदा समिति को नगर निगम अधिनियम के द्वारा दी गई शक्तियों को पुनः संशोधित कर वर्तमान की तर्ज पर और अधिक वित्तीय शक्तियां दी जानी चाहिए। महापौर, वरिष्ठ उप महापौर, उपमहापौर एंव निगम पार्षदों के मान भत्ते को बढ़ाया जाना चाहिए एवं महापौर का मानदेय एवं सुविधाएं सांसद व विधायक के तर्ज पर की जानी चाहिए। नगर निगम में कोई भी सरकारी कार्यक्रम की सूचना महापौर को दी जाए। 

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