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नई दिल्ली: प्रजातंत्र की रक्षा एवं सुरक्षा के इस यज्ञ में आगे बढ़कर निर्णायक योगदान दें-अजय माकन

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: आज पूरा देश #SpeakUpForDemocracy की आवाज बुलंद कर रहा है। देशवासियों को हमारा यह आह्वान है कि प्रजातंत्र की रक्षा एवं सुरक्षा के इस यज्ञ में आगे बढ़कर निर्णायक योगदान दें। यही सबसे बड़ी राष्ट्रभक्ति है। एक तरफ देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। 130 करोड़ देशवासी गंभीर आर्थिक संकट से ग्रस्त हैं। 14 करोड़ से अधिक रोजगार खोए जा चुके हैं (CMIE)। छोटे-बड़े धंधे और व्यवसाय बंद होने की कगार पर हैं। चीन हमारे क्षेत्र पर कब्ज़ा बनाए है। परंतु प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी कोरोना-आर्थिक संकट-चीन से लड़ने की बजाय कांग्रेस की सरकारें गिराने के षडयंत्र में लगे हैं।

वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार और भाजपा ने देश के प्रजातंत्र और संविधान पर हमला बोल रखा है। राजस्थान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी हुई कांग्रेस सरकार गिराने के भाजपाई षडयंत्र से साफ है कि यह विघटनकारी ताकतें प्रजातंत्र को दिल्ली दरबार की दासी बनाना चाहते हैं तथा लोकतंत्र को अपने हाथ की कठपुतली। बहुमत की सरेआम हत्या हो रही है और जनमत को कुचल भाजपा की काल कोठरी की सलाखों के पीछे डाल दिया गया है।
सबसे अधिक चिंता का विषय है कि संविधान व स्थापित संवैधानिक परंपराओं को बेरहमी से भाजपा द्वारा रौंदा जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय पालिका से भी अपेक्षित न्याय की उम्मीद खत्म हो गई है। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति संविधान की रक्षा करने में असहाय और असक्षम नजर आते हैं। राजस्थान की बहुमत वाली कांग्रेस सरकार के पक्ष में, कांग्रेस विधायकों के समर्थन में व संविधान तथा प्रजातंत्र की रक्षा के लिए कल पूरे देश में राज भवनों के सामने कांग्रेसजन व देशवासी गांधीवादी धरना देंगे। यह लोकतंत्र की रक्षा और सुरक्षा के हमारे संकल्प को और ज्यादा मजबूत करेगा।

आज मोदी सरकार से लोकतंत्र की रक्षा हेतु हर देशवासी को मूलभूत प्रश्न पूछने होंगेः

1.क्या देश को प्रजातंत्र और संविधान पर भाजपाई हमला स्वीकार्य है?

2.क्या बहुमत और जनमत का निर्णय राजस्थान की 8 करोड़ जनता के वोट से होगा या फिर दिल्ली के हुक्मरानों के सत्ताबल और धनबल से?

3.क्या प्रधानमंत्री व भारत सरकार संविधान व स्थापित संवैधानिक परंपराओं को नाजायज सत्ता प्राप्ति की हवस में पांव तले रौंद सकते हैं?

4.क्या बहुमत से चुनी हुई राजस्थान सरकार के द्वारा बुलाए गए विधानसभा सत्र को राज्यपाल अनुमति देने से इंकार कर संविधान की घोर अवहेलना कर सकते हैं?

5.क्या न्यायपालिका अब विधायिका के अधिकार क्षेत्र में असंवैधानिक तौर से दखलंदाजी कर सकती है? क्या इससे विधायिका और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी?
राजस्थान के रणबांकुरों ने सदैव देश की रक्षा की है। राजस्थान हमेशा सबसे और न्याय के साथ खड़ा हुआ है। राजस्थान की धरती की इतिहास बलिदान, त्याग व सिद्धांतों की परिपाटी से लिखा गया है। आज फिर प्रजातंत्र और बहुमत की इस जंग में राजस्थान भाजपाई साजिश का मुंहतोड़ जवाब देगा।

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