अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली :नई दिल्ली रेंज, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की टीम ने आज मुकदमा न. 373/1996 धारा-302/376/392/120B/34 IPC, थाना भजन पुरा के एक 20 साल के सजायाप्ता पैरोल जम्पर राज कुमार उर्फ़ राजू जो 22/03/2011 से फरार था को मेरठ से 14 साल बाद पकडा गया। यह अपराधी वर्ष – 2011 में 40 दिनों के लिए पैरोल पर आया था अभियुक्त पिछले 14 वर्षों से फरार था। अपने तीन सहयोगियों के साथ आरोपित ने लूट के लिए एक रिश्तेदार के घर में प्रवेश किया और 2 महिलाओं और 2 बच्चों सहित एक पूरे परिवार (5 सदस्यों) को मार डाला।
डीसीपी क्राइम ब्रांच आदित्य गौतम ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 06.07.1996 को सुबह 10:30 बजे डीडी नंबर 5ए के माध्यम से पुलिस स्टेशन भजनपुरा में सी-3/276, यमुना विहार, दिल्ली में हत्या के संबंध में एक सूचना प्राप्त हुई थी। मौके पर 5 शव (एक पुरुष, दो महिला और 2 बच्चे) मिले। इसके बाद, एक मामला मुकदमा नं. 373/1996, धारा 302 आईपीसी के तहत मामला सुरेश शर्मा (मृतकों में से एक का पति) के बयान पर पीएस भजनपुरा में दर्ज किया गया था। जांच के दौरान, वर्तमान मामले में छह आरोपितों राजेंद्र उर्फ राजू, सुनील, राजकुमार उर्फ राजू, जयकिशन, कवलजीत उर्फ कवल सिंह और राज रानी को गिरफ्तार किया गया था। आरोपितों से पूछताछ करने पर पता चला कि वे डकैती के इरादे से घर में घुसे थे, उन्हें शक था कि अंदर बड़ी मात्रा में नकदी रखी हुई थी. जब रहने वालों ने विरोध किया, तो आरोपितों ने उन सभी को मार डाला, घर की एक महिला के साथ बलात्कार किया, कीमती सामान लूट लिया और अपराध स्थल से भाग गए। इसके बाद, उपरोक्त मामले में धाराएं 376/392/397/120B/34 IPC भी जोड़ी गईं, सुनवाई के दौरान, अदालत ने चार आरोपितों को 20 साल की सजा सुनाई, दो आरोपितों सुनील और जयकिशन की सजा की अवधि के दौरान मृत्यु हो गई। उनका कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पैरोल जंपर्स कोट्रे सकरने और पकड़ने के लिए एक मुहिम क्राइम ब्रांच द्वारा चलाई जी रही थी और उपलब्ध कराई गई सूची की जांच के दौरान, एक पैरोल जम्पर राजकुमार @ राजू पुत्र परसदी लाल पता हाउस न. 852, गली न. 4 किठोडिया मोहल्ला, हापुड़ उत्तरप्रदेश को फरार पाया, जिसे दिनांक 22.03.2011 को अपनी मां की बीमारी के आधार पर मुकदमा न. 373/1996, धारा- 302/376/392/120B/34 IPC, थाना भजनपुरा में 40 दिनों के लिए पैरोल मिली थी लेकिन उसने 40 दिनों के बाद जेल प्राधिकरण में आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया । जो निरीक्षक राकेश कुमार, अपराध/आर.के. पुरम को इसमें काम करने के लिए प्रति नियुक्त किया गया था।जो निरीक्षक राकेश कुमार की देखरेख में उप-निरीक्षक अनुज कुमार, अमित ग्रेवाल, सहायक उप-निरीक्षक विकास और प्र. सिपाही राहुल, दिनेश, नहन जी, भाग सिंह और सुखबीर की एक टीम का गठन किया गया था । इस पर काम करते समय, सूचनाओं/जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा गया था जिससे अभियुक्त की गिरफ्तारी हो सकती है। अंत में, अभियुक्त के बारे में मैनुअल जानकारी हापुड़, यूपी और रुद्रपुर, उत्तराखंड के क्षेत्र में पाई गई थी । सहायक उप-निरीक्षक विकास और प्र. सिपाही राहुल, द्वारा तकनीकी सहायता से एकत्र की गई । जो पुलिस टीम ने अमेजॉन डिलीवरी बाय बनकर अभियुक्त के हापुड़ वाले घर के आस पास जानकारी एकत्रित की। इसके बाद, एक गुप्त जानकारी प्राप्त हुई कि आरोपित मुल्तान नगर, मेरठ के क्षेत्र में रह रहा है और मेरठ के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के श्रम कार्य कर रहा है। पुलिस टीम ने सफलतापूर्वक मेरठ से भगोड़े को पकड़ा। भगोड़े को जेल अधिकारियों को सौंपा जा रहा है।उनका कहना है कि पूछताछ के दौरान आरोपित ने खुलासा किया कि वह हापुड़ का एक स्थायी निवास है, और 1990 से 1996 तक सदर बाजार में बैग बनाने का काम करता था जो 1996, उसके दोस्त/सह-अभियुक्त राजेंद्र ने एक जानकारी साझा की कि भजनपुरा दिल्ली में रहने वाले उसके चचेरे भाई ने अपनी संपत्ति 22 लाख रुपये में बेची है और सारा पैसा उसके घर में रखा है। इसके बाद, राजकुमार और उनके सहयोगियों ने राजेंद्र @ राजू, सुनील, जयकिशन पर आरोप लगाया, जयकिशन ने राजेंद्र के चचेरे भाई को लूटने की योजना बनाई। मौके पर पहुंचने पर, उन्होंने आरोपित राजेंद्र के चचेरे भाई को चाकू से मार डाला लेकिन उन्हें घर की तलाश में कोई राशि नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने घर में मौजूद महिला (मृतक की सिस्टर-इन-लॉ) के साथ बलात्कार किया और अपने दो बच्चों सहित पूरे परिवार को मार डाला। मौके पर कुल 5 व्यक्ति मारे गए और उन्होंने घर का सामान लूट कर ले गए । जिस संदर्भ में एक मुकदमा नंबर 373/1996 धारा 302/376/392/120B/34 IPC, PS BHAJAN PURA में पंजीकृत किया गया था। अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट द्वारा 20 साल के लिए उपरोक्त मामले में दोषी ठहराया गया था। अभियुक्त राजकुमार को अपनी मां की बीमारी के आधार पर वर्ष 2011 में 40 दिनों के लिए पैरोल मिला, लेकिन वह जेल नहीं लौटा। जो फरारी के दौरान उसने शादी की व उसके परिवार में पत्नी व चार बच्चे हैं व घर चलाने के लिए मेरठ में मजदूरी का काम करता है वह वर्तमान में मुल्तान नगर, मेरठ में किराए पर रहता था। भगोड़े को जेल अधिकारियों को सौंपा जा रहा है।
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