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कला, संस्कृति, विरासत और विश्व की एकता का मेला संपन्न हुआ : प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी

रचना सिंह,  संवाददाता : फरीदाबाद के सूरजकुंड में लगा 31वां अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला बुधवार को अमिट यादें छोड़ता हुआ संपन्न हो गया। इस दौरान राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय मेला केवल शिल्प मेला ही नहीं हैं, बल्कि यह कला, संस्कृति, विरासत और विश्व की एकता का मेला है।

मेले के समापन समारोह में राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि सूरजकुंड मेला में पिछली बार 13 देशों ने भाग लिया था। इस बार यह संख्या बढ़कर 22 देश हो गई है। इससे पता चलता है कि यह मेला दिनों दिन प्रचलित हो रहा है।
– पिछली बार 810 स्टालों को लगाया गया था। इस बार 1000 से अधिक स्टालों को लगाया गया है। 16 एकड़ भूमि भी जोड़ी गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा पूरे विश्व को संस्कृति के माध्यम से जीने का तरीका सिखाता है, जो स्थायी और शास्वत है।
– उन्होंने हरियाणा सरकार और पर्यटन विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि अगला मेला फरवरी माह के पहले शुक्रवार को शुरू करके फरवरी माह के तीसरे रविवार को समाप्त किया जाएगा।
झारखंड को मिली एक विशिष्ट पहचान
इससे पूर्व, झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि उन्हें अति प्रसन्न्ता है कि सूरजकुंड मेले में थीम राज्य के रूप में सम्मिलत किया गया। उन्होंने कहा कि इससे जहां झारखण्ड के पर्यटन को नई उंचाइयां मिलेंगी। झारखंड को एक विशिष्ट पहचान मिली है।
मेला शुरू करने वाले एस के मिश्रा को किया सम्मानित
पर्यटन मंत्री राम बिलास शर्मा ने कहा कि इस मेले की शुरुआत पूर्व आईएएस अधिकारी एस के मिश्रा ने की थी। जिन्हें उन्होंने स्वयं मंच पर बुलाकर शॉल पहनाकर व स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि वैसे तो आज विदाई का दिन है, परंतु यह विदाई दोबारा मिलने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि इस मेले में 12.50 लाख से ज्यादा लोगों ने भ्रमण किया।
इस बार इन्हें मिला पुरस्कार
– परंपरागत पुरस्कार: उत्तर प्रदेश के मोहम्मद मतलूव पुरस्कार: 11 रुपए की राशि व स्मृति चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया गया।
– कलामणि पुरस्कार : ओडिसा के निरंजन मोहराना को पटाचित्र कला के लिए राजस्थान के लक्ष्मी लाल कुम्हार को टेरोकोटा छत्तीसगढ़ के भुवनेश्वर को, साड़ी ड्रेस मेटेरियल छत्तीसगढ़ के ढाणी राम झोरक को, ढोकरा आर्ट रूप किशोर सोनी को, सिल्वर कार्विंगकर्नाटका के एस. मनोहर को लेदर पपेट उत्तर प्रदेश के गोदावरी सिंह को बुडन खिलौनों के लिए ( 11 हजार रुपए की राशि व एक स्मृति चिन्ह और शॉल देकर सम्मानित किया गया)।
– कलानिधि श्रेणी में पुरस्कार झारखंड के मुंगल महाली को बैंबू के लिएबेस्ट बंगाल के कोहोकोन नांदी को, झमदानी साड़ी सीरिया के हलाल की नेया को बुडनेपाल के तेज नारायण राम को शॉल, तेलंगाना के मोहम्मद गुलाम को कॉटन दरी(शिल्पकारों ने 5100 रुपए की राशि व एक स्मृति चिन्ह तथा शॉल देकर सम्मानित किया गया)।
– कलाश्री श्रेणी में पुरस्कार झारखंड की खोरी देवी को मधुबनी के लिए हरियाणा की ललिता चौधरी को खादीझारखंड के जोगेश्वर मिस्त्री को मास्कहरियाणा की निशा को स्टोन डस्ट पेंटिंग(इन्हें 2100 रुपए की राशि व एक स्मृति चिन्ह तथा शॉल देकर सम्मानित किया गया)।`

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