अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस नेत्री श्रीमती अलका लांबा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की राजधानी दिल्ली में 31 दिसंबर, 2022 को एक ऐसी घटना हुई, जिसने एक बार फिर से राजधानी दिल्ली के साथ पूरे देश को हिला कर रख दिया। राजधानी दिल्ली में 31 दिसंबर, मुझे याद आ रहा है दिसंबर, 2012 और ये है दिसंबर, 2022, एक दशक पहले राजधानी दिल्ली को टाइटल दिया गया था ‘रेप कैपिटल ऑफ इंडिया’, ‘क्राइम कैपिटल ऑफ इंडिया’। जिन्होंने ये टाइटल दिया था, वो दोनों राजनीतिक दल उस समय विपक्ष और सड़कों पर थे। आज वही दोनों राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी सत्ता में हैं।
इस पूरे एक दशक में जो टाइटल था रेप कैपिटल ऑफ इंडिया का, इन्हीं लोगों का दिया हुआ आज भी बरकरार है। घटना होती है, मंगोलपुरी इलाका, 20 साल की बेटी को 12 किलोमीटर तक एक गाड़ी में बैठे 5 लड़के घसीटते हैं। उसके कपड़े, उसके शरीर की खाल पूरी तरह उतर जाती है और उस लड़की को तब तक घसीटा गया, जब तक उस लड़की ने दम नहीं तोड़ दिया।
अगर मैं सिर्फ पिछले एक हफ्ते की आपसे बात करूं, तो राजधानी दिल्ली के द्वारका में 14 दिसंबर को स्कूल से आती एक बच्ची के ऊपर एसिड अटैक होता है। दावा किया जाता है कि दिल्ली में पुलिस सतर्क है और एसिड की, तेजाब की खुली बिक्री बंद है। लेकिन इन दोनों दावों की पोल खुली, जब द्वारका में स्कूल से आती एक बच्ची पर एसिड फेंका जाता है और अभी पता लगा कि 31 दिसंबर को पांडव नगर में भी एक लड़की को कार में खींचकर उसके ऊपर एसिड डाला गया। ये राजधानी दिल्ली के पांडव नगर की खबर है और आज ही जब मैं आपसे बात कर रही हूं आदर्श नगर दिल्ली से ही एक और सीसीटीवी फुटेज सामने आता है कि आदर्श नगर में एक लड़के ने एक लड़की को चाकुओं से गोद डाला है, ये राजधानी दिल्ली है! मैं वापस आती हूं मंगोलपुरी की इस खबर पर। पुलिस पर दबाव है। क्यों पुलिस लगातार इस मामले को कमजोर कर रही है? दिल्ली पुलिस पर दबाव क्या है, वो इस पोस्टर में आपको साफ दिखेगा। क्या ये सच है या नहीं कि पांच अपराधी, जिन्होंने उस अपराध को अंजाम दिया, 12 किलोमीटर तक उस बेटी को घसीटा, उन पांचों में एक आरोपी का नाम मनोज मित्तल है। कौन है मनोज मित्तल- ये मनोज मित्तल भाजपा का, मंगोलपुरी वार्ड नंबर 42 का सह-संयोजक है। भाजपा के दबाव में दिल्ली पुलिस भाजपा के इस नेता को बचाने के लिए मामले को लगातार कमजोर करने की कोशिश कर रही है। ये हमारा सीधा आरोप है।
एक लड़की जिसका नाम निधि है, दिल्ली पुलिस मीडिया के सामने अचानक उस लड़की को वारदात के तीन दिन के बाद लाती है और बयान दिलवाती है। बयान से साफ समझ आता है कि दिल्ली पुलिस अपनी छवि को बचाने के लिए, भाजपा के नेता को बचाने के लिए, निधि को आगे करके इस तरह के बयान दिलवा रही है कि मृत पीड़िता का पूरी तरह से चरित्र हनन हो रहा है। सवाल, जो अपराध हुआ है, उस पर नहीं, अपराधियों पर नहीं, मृतक पीड़िता पर उठाए जा रहे हैं। परिवारजन बोले- हमें नहीं पता कौन है, ये निधि, जिसे दिल्ली पुलिस सबके सामने लाकर सीधा-सीधा पीड़िता का चरित्र हनन कर रही है। राजधानी दिल्ली लगातार शर्मसार हो रही है। कौन लोग जिम्मेदार हैं, किसकी जवाबदेही बनती है? जिनकी जिम्मेदारी निर्भया के समय 2012 में थी, किसका इस्तीफा मांगा था – दिल्ली की मुख्यमंत्री का मांगा था, तो आज 2022 दिसंबर में अगर ये वारदात होती है तो आज दिल्ली के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए या नहीं अपनी जिम्मेदारी के तहत? उस समय देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी का इस्तीफा मांगा गया था, देश के गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा गया था, पुलिस कमिश्नर का इस्तीफा मांगा गया था और उस समय जो सड़कों पर थे, आज वो सत्ता में हैं। लेकिन ना वो इस्तीफा मांग रहे हैं, ना वो दे रहे हैं, वो सिर्फ पीड़िता को बदनाम करने का, अपराधियों को, भाजपा के नेताओं को बचाने का काम कर रहे हैं। ये पहली बार नहीं हो रहा है। उत्तराखंड की अंकिता भंडारी को भी मत भूलिएगा। भाजपा का नेता शामिल था, इसलिए अंकिता भंडारी के मामले को दबाने की, भाजपा के नेता को उसके रिज़ॉर्ट में हुई इस जघन्य अपराध को ढकने की भाजपा ने कोशिश की। आज भाजपा मात्र इसलिए खामोश है क्योंकि उनका नेता इसमें शामिल है। दिल्ली पुलिस मात्र अपनी छवि को बचाने के लिए क्योंकि 12 किलोमीटर तक जब बेटी को गाड़ी के नीचे घसीटा जा रहा था, तब दिल्ली पुलिस का दावा है हर किलोमीटर पर पीसीआर वैन खड़ी थी। लेकिन एक भी पीसीआर वैन वो जब घटना हो रही थी 12 किलोमीटर तक किसी की नजर में नहीं आई। चश्मदीद अगर कहता है कि उसने 20 पीसीआर कॉल की, लेकिन जब वो वारदात हो रही थी, उसे अंजाम दिया जा रहा था, तब तक दिल्ली पुलिस का अता-पता नहीं था और वही हम देखते हैं कि दिल्ली पुलिस नववर्ष की जो तैयारियां चल रही थीं, उसको लेकर अपनी मुस्तैदी, सतर्कता और कार्रवाई को लेकर अपने दावे पेश कर रही थी। लेकिन इस घटना ने पूरी तरह से केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, दिल्ली के मुख्यमंत्री और एलजी साहब जो मात्र केंद्र के हाथों की एक कठपुतली हैं, उनके आदेशों का मात्र पालन करने के लिए एलजी बैठे हैं, उसके अलावा हमें नहीं लगता दिल्ली की किसी तरह की किसी भी घटना से उनका कोई लेना-देना है।
कहीं चाकुओं से गोदा जा रहा है, कहीं एसिड से हमला किया जा रहा है और कहीं हमारी बेटियों को गाड़ियों के नीचे रौंदकर उनके दम तोड़ने तक उनको खींचा जाता है और दिल्ली पुलिस, भाजपा, पूरी तरह से चरित्र हनन कर रही है, हमारा ये मानना है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का।
पहले राकेश अस्थाना, गुजरात काडर से रहे, दिल्ली से वाकिफ़ नहीं थे,तो उन्हें कमिश्नर बनाया गया। जिसका खामियाजा किसी और को नहीं दिल्ली को भुगतना पड़ा। उसके बाद संजय अरोड़ा जी, दिल्ली काडर से नहीं, तमिलनाडु काडर से आते हैं। दिल्ली के चप्पे-चप्पे से वो भी वाकिफ नहीं हैं। दिल्ली को एक ऐसा पुलिस कमिश्नर या अधिकारी चाहिए जो दिल्ली के चप्पे-चप्पे को, दिल्ली की नस को, एक-एक अपराधी को, आपराधिक प्रवृत्ति को ठीक से जानता हो और उस पर पूरी तरह से कार्रवाई करने का पूरा प्लान बनाकर, हमारी जो राजधानी दिल्ली है, उसको क्राइम मुक्त कर सके। लेकिन दुःख की बात है कि ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है। 31 दिसंबर, 2022 की ये घटना और आज मैं आपसे 4 जनवरी, 2023 में बात कर रही हूं, 4 दिन बीत जाने के बावजूद भी परिवार को शुरू में मीडिया से सीधे बात नहीं करने दी, हमारी भारतीय राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और जो हमारी महिला नेता हैं, परिवार से उन्होंने भी जाकर मिलने की कोशिश की, बिल्कुल भी परिवार से नहीं मिलने दिया गया। सच्चाई क्या है, वो सामने नहीं आने दी गई और पुलिस अधिकारी, जो डीसीपी वहाँ के रहे, उनके बयान घटना के कुछ घंटों के बाद क्लीन चिट देते हुए दिखे अपराधियों को। अपराधियों के बिना पकड़ में आए, बिना उनकी मेडिकल जांच हुए ये कह दिया गया कि वो नशे में थे ही नहीं। बिना बेटी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आए पुलिस ने क्लीनचिट दे दी कि बेटी के साथ किसी तरह का कोई अपराध हुआ ही नहीं, लेकिन परिवार को लगातार लगता रहा कि बेटी के साथ कुछ अपराध हुआ है, इसकी जांच होनी चाहिए, निष्पक्षता से होनी चाहिए। सवालिया निशान एक बार फिर खड़ा होता है दिल्ली पुलिस की साख पर, उनके दावों पर, जिसकी पोल एक के बाद एक अपराध खोल रहे हैं और देश के गृह मंत्रालय से मैं कहना चाहूंगी, देश के गृहमंत्री से मैं कहना चाहूंगी, लाल किले की प्राचीर से ‘बेटी बचाओ’ का नारा देने वाले हमारे प्रधानमंत्री जी से कहना चाहूंगी, एक दशक कम नहीं होता है, निर्भया का मामला सड़कों पर उठा कर, इस्तीफे मांगकर आप सत्ता में आए हैं और आज एक दशक के बाद हालात बेहतर नहीं, बदतर हो रहे हैं। बेटियां पूरी तरह से राजधानी में असुरक्षित हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। पुलिस या सत्ताधारी नेता पूरी तरह से अपराधियों को बचाने के लिए खड़े हुए राजधानी दिल्ली हो या देश के कोनों तक में दिख रहे हैं।हम ये मांग करते हैं कि पीड़िता के परिवार को पूरी तरह से, जिस तरह की भी उनकी मांग है, उनकी मांगों को मानते हुए इस जांच को तुरंत पूरी तरह से निष्पक्षता से बिना किसी दबाव के पूरा करके अपराधियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत मात्र तीन महीने के अंदर अगर आपकी नीयत है, सीसीटीवी फुटेज है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट है, अपराधियों की मेडिकल रिपोर्ट है, आपके पास चश्मदीद गवाह हैं, सब हैं, सब कुछ होने के बाद अब मुझे नहीं लगता कि समय लगना चाहिए, एक उदाहरण बनना चाहिए। इस मामले को और फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई करके तीन महीने के अंदर इस सुनवाई को पूरा करते हुए, आरोपियों के दोषी साबित होते ही कानून के तहत सख्त से सख्त सजा दी जाए। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मांग करती है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूरी तरह से पीड़िता के परिवार के साथ खड़ी है और हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि दिल्ली पुलिस अपनी छवि को बचाने के लिए या भाजपा के नेता को बचाने के लिए धन, बल, सत्ता का जितना मर्जी इस्तेमाल कर ले, पीड़ित परिवार अगर हमें सुन रहा है, तो हम उन्हें भरोसा दिलाना चाहते हैं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक-एक दोषी को, आरोपी को सजा मिल जाने तक, पीड़िता और उस परिवार को न्याय मिल जाने तक पूरी ताकत के साथ खड़ी है और खड़ी रहेगी। एक प्रश्न पर कि पीड़िता के परिवार वालों से मिलने के लिए क्या कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई गया है, श्रीमती अलका लांबा ने कहा कि मैं आपको साफ बता रही हूं। हमारी भारतीय राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिल्कुल वहां गईं थीं। पुलिस ने पूरे घर की घेराबंदी की हुई थी, पुलिस ने पीड़िता के घर तक नहीं जाने दिया, उनके परिवार से बिल्कुल नहीं मिलने दिया और वो बिना मिले लौटीं, इस बात का उन्हें दु:ख है। मेरी बात अभी नेट्टा डिसूजा जी से हुई है।जहां तक आप दिल्ली के मुख्यमंत्री की बात कर रहे हैं, उन्हें वही मैं याद दिला रही हूं कि 2012 में निर्भया मामले में वो रामलीला मैदान से राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुके थे। इंडिया गेट तक प्रदर्शन हुए थे। मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगा जा रहा था; गृहमंत्री, प्रधानमंत्री, पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे मांगे जा रहे थे। आज दिल्ली के मुख्यमंत्री मात्र एक ट्वीट तक सीमित हैं। हर ट्वीट में हम न्याय दिलाएंगे, लेकिन पूछना चाहती हूं- दिल्ली के मुख्यमंत्री, आज तक कितनी पीड़िता और उनके परिवारों को आपने न्याय दिलाया है।सच्चाई तो ये है कि दिल्ली में फास्ट ट्रैक कोर्ट जितने होने चाहिए थे, जितने मामले उनकी सुनवाई के लिए, उतने दिल्ली के अंदर फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं हैं और अगर पीड़िता के परिवार को वकील भी देने की जरूरत है, आर्थिक मदद, वकील, कानूनी तौर पर और फास्ट ट्रैक कोर्ट, ये दिल्ली सरकार का काम है, जिसे दिल्ली सरकार नहीं कर रही। दिल्ली की बेटियां ये नहीं सुनना चाहती हैं, दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुंह से कि उनकी एलजी से नहीं बन रही है, उनकी देश की सरकार से नहीं बन रही है, उनकी सुनी नहीं जा रही है। आपकी इस नूराकुश्ती में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के एलजी, देश के गृहमंत्री की नूराकुश्ती में, लड़ाई-झगड़ों में हमारी दिल्ली की बेटियां पिस रहीं हैं। हम ये नहीं सुनना चाहते हैं।मैं आपसे अगर छोटा सा उदाहरण देकर पूछूं कि आपके बच्चे को भूख लग रही है, वो आपसे रोटी मांग रहा है, लगातार; आपके घर में आटा नहीं है, आप क्या करेंगे? बाहर जाकर धरने पर बैठ जाएंगे या आटे की व्यवस्था करेंगे, अनाज की व्यवस्था करेंगे, अपने बच्चे को रोटी देंगे?दिल्ली के मुख्यमंत्री जी, बेटियों को सुरक्षा नहीं मिल रही। उन्हें दिल्ली की बेटियों को सुरक्षा देनी है, लेकिन वो क्या कर रहे हैं। उन दिल्ली की बेटियों को पूरी तरह सुरक्षित करने के बजाय, वो धरना कर रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। फोटो ऑप हो रहा है कि हमारे विधायक ने कमिश्नर से मिलकर, पत्र देकर फोटो खिंचवाई, फोटो मीडिया में डाल रहे हैं, आप। आप एलजी के घर के बाहर धरने दे रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री एलजी के घर के अंदर क्यों नहीं जाते हैं? एलजी के साथ बैठकर बात क्यों नहीं करते हैं? दिल्ली के मुख्यमंत्री एलजी का हाथ पकड़कर देश के गृहमंत्री के पास, गृह मंत्रालय क्यों नहीं जाते? दिल्ली पुलिस कमिश्नर को ये तीनों मिलकर तलब क्यों नहीं करते? क्यों किसी पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई? क्यों किसी को संस्पेंड नहीं किया गया? इतनी बड़ी वारदात दिल्ली राजधानी में 12 किलोमीटर तक हुई और एक बेटी देखते-देखते मौत के मुंह में चली गई और अब भी पीड़िता का चरित्र हनन किया जा रहा है!वो कहां थी, किसके साथ थी, क्या पहना था, क्या खाया था, क्या पिया था, पूरी तरह अपराध से ध्यान भटकाने के लिए…, सच्चाई ये है कि बेटी को 12 किलोमीटर तक घसीटा गया और तब तक घसीटा गया जब तक उसकी मौत नहीं हो गई और पाँचों के पाँचों आरोपी, जो उस गाड़ी में थे, उन्हें इस बात का पूरी तरह से पता था कि गाड़ी के नीचे 12 किलोमीटर तक एक इंसान घसीटा जा रहा है और उसकी मौत होती है, उसके बाद उसको वहां से छुड़ाकर, सुरक्षित अपनी गाड़ी को और अपने आपको एक स्थान तक पहुंचा देते हैं और उसके बाद दिल्ली पुलिस का एक शर्मनाक, गैर जिम्मेदाराना खेल शुरू होता है भाजपा के उस नेता को और अपनी छवि को बचाने के लिए, जो बिल्कुल निंदनीय है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक प्रश्न पर कि जिस तरह 2012 में निर्भया हत्याकांड के समय विपक्ष ने कांग्रेस को घेरा था, क्या कांग्रेस भी अब दिल्ली सरकार को और केन्द्र सरकार को घेरने का काम करेगी,श्रीमती अलका लांबा ने कहा कि देखिये उन्होंने हमें घेरा था इसलिए हम उन्हें घेरेंगे, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। अपराध उस समय भी हुआ,सड़कों पर विपक्ष ने निकलकर उस समय भी अपना धर्म निभाया था और सत्ता में बैठी कांग्रेस ने अपना धर्म निभाया था। निर्भया को अच्छे से अच्छा इलाज मिले, विदेश भेजकर उसका इलाज कराकर उसकी जान बचाने की अन्त तक कोशिश की गई। पीडिता के परिवार को बड़ी से बड़ी कानूनी मदद, आर्थिक मदद दी गई। उनका हौसला बढ़ाया गया। श्रीमती सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री जी, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, शीला दीक्षित जी पीड़िता के परिवार के साथ खड़े थे। आज कोई दिख रहा है, आपको खड़े हुए