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अपराध नोएडा

दो लाख रूपए के लिए मासूम को अगवा कर, पकड़े जाने के डर से मार डाला।

अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट 
नॉएडा: ग्रेटर नोएडा की देवला गांव में हुई दो साल की मासूम मानसी की हत्या के आरोपी राघवेंद्र को कोतवाली सूरजपुर थाना पुलिस ने गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से उस समय गिरफ्तार किया, जब वह भागने का प्रयास कर रहा था। पुलिस के अनुसार आरोपी ने फिरौती के लिए मानसी का अपहरण किया था,  लेकिन पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी थी। शव को ठिकाने लगाने के इरादे से पिट्ठू बैग में रखकर दरवाजे के पीछे खूंटी पर टांग दिया था। लेकिन वह शव ठिकाने नहीं लगा पाया था और न ही फिरौती मांग पाया।  पुलिस के गिरफ्त में राघवेंद्र आखिरकार आ ही गया, आरोपी घटना को अंजाम देने के बाद गायब हो गया था।   पुलिस ने उसे उस समय गिरफ्तार किया, जब वह गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से फरार होने की कोशिश कर रहा था।   

एडिशनल डीसीपी राजीव दीक्षित ने बताया कि राघवेंद्र से की गई पूछताछ में उसने बताया कि उसकी नौकरी 5 अप्रैल को छूट गई थी,  उसे पैसे की जरूरत थी।   जब उसने राघवेंद्र की पत्नी मंजू को यह कहते सुना कि उसके पति शिवकुमार के खाते में 10 से 12 लाख रुपए हैं। उसने मानसी अपहरण की योजना बना ली और पूरे परिवार को गांव छोड़कर वापस आया और साथ ही 7 अप्रैल को मानसी को अगवा कर लिया.एडिशनल डीसीपी ने बताया कि राघवेंद्र शिवकुमार से फिरौती मांगने वाला था, कि इस दौरान बच्चे के गायब होने की खबर फैल गई और बच्ची का परिवार और पुलिस उसकी तलाश में जुट गई जिससे वह घबरा गया।   और उसने शाल से बच्ची का गला घोट कर हत्या कर दी।   शव को एक बैग में रख दिया लेकिन वह शव को ठिकाने नहीं लगा पाया न ही फिरौती की मांग कर पाया।   लेकिन वह लगातार शिव कुमार के परिवार के साथ मिलकर बच्ची को तलाशने का नाटक करता रहा और पुलिस की कार्रवाई की जानकारी हासिल करता रहा।  इस बीच जब राघवेंद्र के कमरे से बदबू आने लगी तो लोगों ने इसके बारे में पूछा तो उसने कहा कि कमरे में कोई चूहा मर गया होगा। इसके बाद अपना भेद खुलता देख राघवेंद्र वहां से भाग गया.  आरोपी ने बताया कि किसी को शक ना हो कि इसलिए उसने शव हो पिट्ठू  बैग में रखा था। इरादा शव को  जंगल या नदी में ठिकाने लगाने का था। आरोपी राघवेंद्र के पकड़े जाने के बाद शिवकुमार और उनका परिवार सदमे में है मंजू का रो रो कर बुरा हाल है और बीच-बीच में वह बेहोश भी हो जाती है दोनों परिवारों का साथ 5 साल से ज्यादा पुराना है जो मानसी राघवेंद्र को फूफा कहकर बुलाती थी वह उसकी चंद पैसों के जान ले लेगा इसका अंदेशा किसी को नहीं था।  

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