अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
हरियाणा के पलवल जिले स्थित संस्कृत विद्यापीठ, बघौला को अब केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा। यह घोषणा कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेडी द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के दौरान की गई। इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य संस्कृत के उच्च अध्ययन, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है, जिससे विद्यार्थी उच्च शैक्षणिक मानकों का लाभ उठा सकें।आधिकारिक दौरे के दौरान, प्रोफेसर वरखेडी ने कहा, “यह हरियाणा की पावन भूमि श्रीकृष्ण का दिव्य प्रसाद है। हमें गर्व है कि इस विद्यापीठ को अब केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है, जो संस्कृत के प्रचार और प्रसार में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। विद्यार्थी यहाँ छात्रावास एवं अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।”
उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय की अनेक योजनाओं का यहां आगाज होगा, जिससे विद्यार्थियों को बेहतर अवसर और सुविधाएं प्राप्त होंगी। “हम शीघ्रातिशीघ्र इन योजनाओं पर अमल करेंगे,” उन्होंने आगे बताया।गौरतलब है कि हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ ने हाल ही में 12 एकड़ भूमि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली को संस्कृत के विकास और अनुसंधान के लिए दान में दी है। इस कदम से संस्कृत भाषा और साहित्य के विकास में नया आयाम जुड़ने की संभावना है।
इस अवसर पर ग्राम बघौला के सरपंच तुलाराम वशिष्ठ, विद्या प्रचारिणी सभा के सचिव दिनेश तायल, प्राचार्य डॉ. पशुपतिनाथ मिश्र सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। सरपंच तुलाराम वशिष्ठ ने कहा, “यह निर्णय हमारे गाँव के लिए गर्व की बात है, और हम सभी इस अवसर का स्वागत करते हैं।”
इस घटनाक्रम के बाद, स्थानीय समुदाय में उत्साह का वातावरण है। बघौला के नागरिकों ने इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर और शैक्षणिक भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम माना है। इस अवसर पर ग्राम, बघौला के सरपंच तुलाराम वशिष्ठ, विद्या प्रचारिणी सभा, बघौला के सचिव दिनेश तायल, प्राचार्य डां पशुपतिनाथ मिश्र,देवेन्द्र वशिष्ठ,मुरारी,कालूराम,बिशन,सोमदत्त, रमेश,त्रिलोक, भगवद्दत्त,डां रंजना गुप्ता,डां राजकुमार मिश्र,डां छोटू कुमार मिश्र,डा राधावल्लभ शर्मा,ललिता शर्मा,डां शुभंकर सामन्त,मदन गोपाल शर्मा,रजत वशिष्ठ तथा बघौला के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

निष्कर्ष: हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ का केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में विकास, न केवल क्षेत्र के शिक्षा के स्तर को ऊँचा करेगा, बल्कि संस्कृत भाषा और संस्कृति के महत्व को भी बढ़ावा देगा। यह कदम स्थानीय विद्यार्थियों के लिए नए अवसरों की सृष्टि करेगा और हरियाणा के शैक्षणिक क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा।
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