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हरियाणा ने पोक्सो मामलों में फॉरेंसिक डीएनए प्रोटोकॉल में स्थापित किया स्वर्ण मानक, 99% डीएनए पॉजिटिविटी दर -डॉ. सुमिता मिश्रा


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: हरियाणा की गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. सुमिता मिश्रा ने कुछ राज्यों, जिनमें पंजाब भी शामिल है, में बच्चों के यौन शोषण से संरक्षण (पोक्सो) मामलों में डीएनए रिपोर्ट के अधिक नकारात्मक आने को लेकर हालिया मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए आज बताया कि हरियाणा ने वैज्ञानिक रूप से मजबूत, तीन-स्तरीय फॉरेंसिक जांच प्रोटोकॉल स्थापित किया है, जो फॉरेंसिक उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मानक के रूप में उभरा है। इस प्रोटोकॉल के तहत 99 प्रतिशत की अभूतपूर्व डीएनए पॉजिटिविटी दर हासिल हुई है, जबकि नकारात्मक रिपोर्ट 1 प्रतिशत से भी कम हैं। डॉ. मिश्रा ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण वैज्ञानिक कठोरता, संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग और हमारे बच्चों को न्याय दिलाने की अटूट प्रतिबद्धता पर आधारित है। हमने ऐसी प्रणाली विकसित की है जो यह सुनिश्चित करती है कि अदालत में प्रस्तुत किया जाने वाला हर फॉरेंसिक साक्ष्य विश्वसनीय, उपयोगी और न्यायिक जांच के सर्वोच्च मानकों पर खरा उतरने में सक्षम हो। एसीएस  ने बताया कि हरियाणा मॉडल वैज्ञानिक रूप से फिल्ट्रेड, चरणबद्ध दृष्टिकोण का पालन करता है, जिसमें तीन महत्वपूर्ण स्तर शामिल हैं -पहला, कथित पीड़ितों का समय-संवेदी चिकित्सकीय परीक्षण, जिसे निर्धारित समय-सीमा के भीतर किया जाता है, ताकि भौतिक साक्ष्यों का सूक्ष्म संग्रह, अग्रेषण और फॉरेंसिक जांच हेतु समुचित दस्तावेजीकरण सुनिश्चित हो सके।दूसरा, डीएनए प्रोफाइलिंग से पहले सभी एकत्रित नमूनों की प्रारंभिक जीव विज्ञान और सीरोलॉजी जांच, ताकि जैविक द्रवों की उपस्थिति का पता लगाया जा सके। यह चरण एक महत्वपूर्ण ‘गेटकीपिंग’ प्रक्रिया के रूप में कार्य करता है, जिससे यौन उत्पीड़न के जैविक संकेत वाले नमूनों की पहचान होती है।

तीसरा, विश्व स्तरीय उन्नत डीएनए प्रोफाइलिंग विधियां, जिन्हें केवल उन्हीं मामलों में अपनाया जाता है, जहां प्रारंभिक जांच में सकारात्मक जैविक संकेत मिलते हैं। इससे डीएनए जांच को एक पुष्टिकरण उपकरण के रूप में स्थापित किया गया है, न कि अंधाधुंध स्क्रीनिंग प्रक्रिया के रूप में। डॉ. मिश्रा ने जोर देते हुए कहा कि हरियाणा का यह प्रोटोकॉल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत फॉरेंसिक सिद्धांतों और प्रयोगशाला गुणवत्ता मानकों के अनुरूप है। यह उन साक्ष्य-छंटनी और चयनात्मक डीएनए जांच प्रक्रियाओं के समान है, जिन्हें अमेरिका की एफबीआई फोरेंसिक प्रयोगशाला सहित विश्व की अग्रणी फॉरेंसिक लेबोरेटरी अपनाती हैं। इस रणनीति के प्रमुख लाभों में वैज्ञानिक रूप से आवश्यक होने पर ही उन्नत डीएनए परीक्षण कर विशेषीकृत प्रयोगशाला संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग, उच्च-विश्वसनीय फॉरेंसिक साक्ष्यों के माध्यम से न्यायपालिका का बढ़ा हुआ विश्वास, स्थापित जैविक संकेतों वाले मामलों में ही उन्नत परीक्षण कर भ्रामक व्याख्याओं से बचाव, तथा फॉरेंसिक रिपोर्ट के त्वरित निपटान से मामलों के शीघ्र समाधान शामिल हैं।

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