अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने चिकित्सा पेशेवरों तथा अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मियों की सुरक्षा के समुचित प्रबन्ध करने और उनके खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना को रोकने के उद्देश्य से राज्य तथा जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं । ये नोडल अधिकारी चिकित्सा पेशेवरों और अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मियों को पेश आने वाले सुरक्षा से सम्बन्धित मामलों का निवारण करेंगे। एक सरकारी प्रवक्ता ने आज इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि गृह सचिव, भारत सरकार के अद्र्ध-सरकारी पत्र की अनुपालना में हरियाणा सरकार द्वारा पहले से ही डीआईजी (कानून और व्यवस्था) और पुलिस आयुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों या पुलिस अधीक्षकों, जैसा भी मामला हो, को बतौर राज्य नोडल अधिकारी और जिला नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला नोडल अधिकारी नियमित रूप से राज्य नोडल अधिकारी को रिपोर्ट सौंपेंगे, जो तदनुसार पुलिस महा निदेशक के परामर्श से गृह विभाग को कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
इन जिला नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों तथा आईएम की स्थानीय इकाई के बीच, उनके लिए किए गए सुरक्षात्मक उपायों तथा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का व्यापक प्रचार किया जाए। इसके अलावा, इन उपायों के बारे में आम जनता को भी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि इन सुरक्षात्मक उपायों की अनुपालना जमीनी स्तर पर हो सके। प्रवक्ता के अनुसार केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा 2020 का अध्यादेश संख्या 5 पारित किया गया है, जिसे महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 कहा जाता है। यह अध्यादेश महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवा कर्मियों द्वारा उनके कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान उनके उत्पीडऩ, हानि, चोट, बाधा या किसी संपत्ति या दस्तावेजों को नुकसान या क्षति समेत उनके खिलाफ हिंसा को प्रतिबंधित करता है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए गए हैं कि वे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, चिकित्सा कर्मियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मचारियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि उनके खिलाफ हिंसा को रोका जा सके। निर्देशों में यह भी कहा गया है कि अपनी सेवाओं का निर्वहन करते हुए जिन चिकित्सा पेशेवरों या अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मियों की कोविड संक्रमण से मौत हो जाती है, उनके अंतिम संस्कार में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 08 अप्रैल, 2020 को जारी अपने आदेश में कहा है कि भारत सरकार, संबंधित राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों और संबंधित पुलिस अधिकारियों को अस्पतालों और उन स्थानों पर चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मचारियों को आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ,जहां कोविड-19 के संदिग्ध, संक्रमित या क्वारंटीन किए गए मरीज रखे गए हैं। इसके अलावा, न्यायालय ने ऐसे चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं,जो बीमारी के लक्षणों का पता लगाने के लिए लोगों की जांच करने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाते हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत सभी राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों और जिला अधिकारियों से अधिनियम के प्रावधानों, या लागू किसी भी अन्य कानून के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है, जो आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत अधिकृत स्वास्थ्य अधिकारियों, या अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों या संबधित व्यक्तियों को अपनी सेवाएं देने से रोकते हैं।