अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
हरियाणा: चुनावी मौसम के बीच अब आम जनता के मूड को समझने के लिए किए जा रहे सर्वे में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती दिख रही है। हाल ही में प्रकाशित हुए आउटलुक-हंसा के सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 53 प्रतिशत मतदाता तीसरी बार भाजपा को सत्ता में देखना चाहते हैं, तो वहीं कांग्रेस मात्र 44 प्रतिशत मतदाताओं के समर्थन के साथ बड़े अंतर से पिछड़ती हुई दिख रही है। जनता के अनुसार भाजपा सबसे अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करने जा रही है, वहीं जजपा, आप और अन्य पार्टियां तमाम गठबंधनों के गुणा भाग करने के बाद भी दौड़ से बाहर ही दिख रही हैं। गौरतलब है कि उक्त सर्वे में प्रदेश की सभी विधानसभाओं में 8 हजार से अधिक पुरुषों और 5 हजार से अधिक महिलाओं को मिलाकर कुल 14,670 लोगों की राय ली गई, जिसमें लोगों के लिंग, जाति ,वर्ण और क्षेत्र का विशेष ध्यान रखा गया। सर्वे के अनुसार चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है, वहीं कांग्रेस दूसरे स्थान पर, तो अन्य दल अभी भी चुनाव में पकड़ बनाने के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने केंद्र और राज्य, दोनों ही स्तरों पर महिला वोटरों की आकांक्षाओं को हमेशा प्राथमिकता पर रखा है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव की ही तर्ज पर विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं का स्पष्ट रूझान भाजपा के पक्ष में जाता दिख रहा है। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का लाभ प्रदेश में भी भाजपा को मिल रहा है। खास तौर पर मुख्यमंत्री नायब सैनी की महिला वोटरों के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता देखी गई है। यही कारण है कि 41 प्रतिशत महिला वोटरों ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माना है। इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में प्रदेश की 10 में से 5 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी को एक दशक बाद प्रदेश में सत्ता में वापस लौटने की संभावना दिखाई दे रही थी, हालांकि सर्वे में कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी और अंतर्कलह को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। जहां एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा-दीपेन्द्र हुड्डा मुख्यमंत्री पद हेतु ताल ठोंकते दिख रहे थे, वहीं कुमारी सेलजा, रणदीप सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह जैसे कद्दावर नेताओं की सक्रियता से कांग्रेसियों के भीतर खींचातानी शुरू हुई है। इतने सारे संभावित चेहरों की ऊहापोह के बीच कांग्रेस पार्टी शीर्ष नेतृत्व से लेकर कार्यकर्ताओं के स्तर तक दो फाड़ हो गई है। एक ओर जहां हुड्डा पिता-पुत्र मुख्यमंत्री पद हेतु स्वयंभू बनते दिखाई दे रहे हैं, वहीं अन्य नेता भी लगातार मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के लिए कवायद में लगे हुए हैं। कांग्रेस पार्टी में टिकटों को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जहां 90 सीटों के लिए लगभग 3000 उम्मीदवारों के आवेदन आए हैं। टिकट आवंटन के दौरान भी अपने नेता को टिकट न मिलने पर, हर सीट पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बागी हो जाने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।कांग्रेस में जहां कुर्सी की लालसा के कारण गुटबाजी दिखाई देती है, वहीं इसके ठीक उलट भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा से ही विकासवादी राजनीति का उदाहरण प्रस्तुत किया है। कांग्रेस में जहां एक ओर मुख्यमंत्री पद हेतु कोई स्पष्ट चेहरा ही नहीं है, वहीं सर्वे के अनुसार 29 प्रतिशत वोटरों के बीच मुख्यमंत्री पद हेतु नायब सिंह सैनी लोकप्रिय चेहरा हैं। हरियाणा में साढ़े 9 साल तक एक सफल कार्यकाल का निर्वहन करने के बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को केंद्र में बुलाया गया, तब नायब सिंह सैनी के रूप में भाजपा ने प्रदेश को नई पीढ़ी के नए चेहरे का मुख्यमंत्री दिया। पार्टी के अंतिम पंक्ति के कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सैनी पिछड़े समाज से आते हैं। यही कारण है कि पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के साथ-साथ समाज के पिछड़े वर्ग में भी उनकी बहुत मजबूत पकड़ है। मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के इस मास्टर स्ट्रोक से भाजपा ने 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद उठने वाली नाराजगी पर भी पूर्ण विराम लगा दिया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की घोषणाओं ने भी उनकी लोकप्रियता को कम समय में ही शीर्ष पर पहुंचा दिया है। किसानों की सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने, अग्निवीर प्रतिभागियों को राज्य सेवा की नौकरियों में विशेष प्रावधान देने, बिना खर्ची-पर्ची के युवाओं को रोजगार देने, और महिलाओं को मात्र 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने से संबंधित योजनाओं ने इस लोकप्रियता के इजाफे में मुख्य भूमिका निभाई है।
चुनावों में भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता से अन्य दलों के कार्यकर्ताओं का झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि किरण चौधरी, जोगीराम सिहाग,रामकुमार गौतम और देवेन्द्र बबली और संजय कबलाना आदि कद्दावर क्षेत्रीय नेताओं और विधायकों ने जनता के मिजाज को समझते हुए भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके अलावा, अंबाला की मेयर शक्ति रानी शर्मा, पूर्व जेल अधीक्षक सुनील सांगवान और असंख्य युवा कार्यकर्ता भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। उक्त सर्वे और जनता के मिजाज से तो भाजपा सरलता से स्पष्ट बहुमत प्राप्त करती दिख रही है, हालांकि अभी राजनैतिक सरगर्मियों के ओर बढ़ने के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि 8 अक्टूबर को सियासत का यह ऊंट किस करवट बैठता है।
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